गंगानाथ :
यह शुद्रों का प्रिय देवता है। डोटी के राजा वैभवचंद का पुत्र पिता से लड़कर साधु हो गया। घूमता-घामता वह पट्टी सालम के अदोली गाँव में एक ब्राह्मण जोशी की स्री के प्रेम-पाश में फँस गया। जोशी अल्मोड़ा में नौकर था। जब उसे मालूम हुआ, तो उसने झपरुवा लोहार की सहायता से अपनी गर्भवती स्री तथा उसके राजकुमार साधु प्रेमी को मरवा डाला। भोलानाथ की तरह ये तीन प्राणी भी भूत हो गये। अत: उन्होंने इनका मंदिर बनवाया।
कहते हैं, गंगानाथ बच्चों व खूबसूरत औरतों को चिपटता है। जब कोई भूत-प्रेत से सताया जावे या अन्यायी के फंदे में फँस जावे, तो वह गंगानाथ की शरण में जाता है। गंगानाथ अवश्य रक्षा करते हैं। अन्यायी को दंड देते हैं। गंगानाथ को पाठा (छोटा बकरा), पूरी, मिठाई, माला, वस्र या थैली, जोगियों की बालियाँ आदि चीजें चढ़ाई जाती हैं। उसकी स्री भाना को अंग (आंगड़ी), चदर और नथ और बच्चे को कोट तथा कड़े व हसुँली।