Author Topic: Narendra Singh Negi: Legend Singer Of Uttarakhand - नरेन्द्र सिंह नेगी  (Read 83411 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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लोक गायक नेगी के गीतों ने किया मंत्रमुग्ध
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प्रसिद्ध लोक कलाकार नरेन्द्र सिंह नेगी के लोक गीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि भविष्य में गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
दून कम्बाइन्ड क्लब के मोथरोवाला चौक पर आयोजित कला एवं सांस्कृतिक उत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि व्यक्ति को अपनी संस्कृति और संस्कारों को नही भूलना चाहिए। अपने संस्कारों को भुला देने वाला व्यक्ति कटी पतंग के समान है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों एवं कलाकारों को पेंशन और प्रदेश में लोक संस्कृति कला संस्थान की स्थापना की योजना है। सरकार उत्तराखंड को शिक्षा का हब बनाए जाने के लिए प्रयासरत है।
इससे पूर्व लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने मां भगवती के भजन जय मां जगदंबा की प्रस्तुति के साथ सांस्कृतिक उत्सव कार्यक्रम की शुरूआत की। हास्य कलाकार घनानंद ने विधवा पेंशन, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस आदि विभागों से जुड़े चुटकुले सुनाकर लोगों को हंसाकर लोटपोट कर दिया। लोक गायक नेगी के सलियाणा साली गंगाणी भीना, हम भी देखला तेरी जवानी को राज पाठ, सूर-सुरिया आदि गीतों की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सर्द मौसम में लोग देर रात तक कार्यक्रम का लुत्फ उठाते रहे। मुख्य अतिथि ने क्लब की ओर से राजकीय बालिका इंटर कालेज अजबपुर कला, कारगी, प्राथमिक विद्यालय किमाणी, प्राथमिक विद्यालय रिखोली को स्वेटर एवं ट्रक सूट प्रदान किए। क्लब की ओर से वयोवृद्ध लोक गायक जीत सिंह नेगी, अर्जुन पुरस्कार विजेता पदम बहादुर मल्ल, निशानेबाज मुकेश जोशी, अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मंजू वालिया, समाज सेवी सुभाष शर्मा, जिला खेल संघ के अध्यक्ष पीसी शर्मा, सचिव बार एसोसिएशन राजीव शर्मा, जिला खेल संघ के अध्यक्ष पीसी वर्मा, जेपी बहुगुणा आदि को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन दिनेश शर्मा और गणेश खुगशाल गणि ने संयुक्त रूप से किया।

Amer ujjala

Devbhoomi,Uttarakhand

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धार मा कु गेणु पार देख ऐ गे.
गौरु चली गेनी तू याखुली रे गे.
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ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे-ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे..
धार मा कु गेणु पार देख ऐ गे , गौरु चली गेनी तू याखुली रे गे..
ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे-ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे..
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जागी जा रे ग्येल्या मी ना छोड़ी जै ,जागी जा रे ग्येल्या मी ना छोड़ी जै..
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सेरा बोण हेरी गौरु नि मिली नि , हाथ खुटों म्यारा कांडा बैठी गे नि..
सेरा बोण हेरी गौरु नि मिली नि , हाथ खुटों म्यारा कांडा बैठी गे नि..
कख जू खुज्योलू रात पोड़ी गे , जागी जा रे ग्येल्या मी ना छोड़ी जै..
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ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे-ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे..

दागडियों का छोरो न गोरु चरेनी , तिन डालियों मा भमोरा बुकेनी..
दागडियों का छोरो न गोरु चरेनी , तिन डालियों मा भमोरा बुकेनी..
गोरु नि देखि नि छेलु बैठीं रे , ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे..
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जागी जा रे ग्येल्या मी ना छोड़ी जै-जागी जा रे ग्येल्या मी ना छोड़ी जै..
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गौरु नि मिलला त मिन घोर नी औण , सेसुरियों तई मुख कन के दिखाण..
गौरु नि मिलला त मिन घोर नी औण , सेसुरियों तई मुख कन के दिखाण..
जा तू जा रे ग्येल्या मी तई छोड़ी दे , लछि मोरी गय्याई डेरा बोली दे..
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ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे-ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे..
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ना रो लछि त्यारा गौरु चली गे नी , गेवरू छोरों न डेरा हके ऐ नी..
ना रो लछि त्यारा गौरु चली गे नी , गेवरू छोरों न डेरा हके ऐ नी..
तू त खेलूँ मा मौर्न बैठी गे ,ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे..
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जागी जा रे ग्येल्या मी ना छोड़ी
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ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे..
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जागी जा रे ग्येल्या मी ना छोड़ी
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ओए लछि घोर रुमुक पड़ी गे.

Devbhoomi,Uttarakhand

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बैशाख सुरमा मेरा मुलूक मैला
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:टिहरी महोत्सव की तीसरी व अंतिम सांस्कृतिक संध्या पर प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी के गीतों की धूम रही। नेगी के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी और देर रात तक लोग उन्हें सुनने के लिए पांडाल में जमे रहे।
नरेन्द्र सिंह नेगी की सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ देवी वंदना तेरा मंदिर मां द्यिू बल्यू.. से हुआ। इसके बाद उनकी प्रस्तुति अपने पूरे शबाब पर रही। नेगी ने जहां अपने गीतों से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया, वहीं उनके साथ आई नृत्य टीम ने कार्यक्रम में समा बांध दिया। स्वर सम्राट नेगी ने बसंत एगी ओ पार डांडी काठ्यों मां, हरशू मामा, द्वि गति बैशाख सुरमा मेरा मुलूक मैला, एजांदी भग्यानी इं ज्वानी का छौंदा पर श्रोता जहां जूझ उठे, वहीं मेरा डांडी काठ्यों का मुलुक जैल्यू बसंत ऋतु मा जेई जैसे संजीदे गीतों ने लोगों को मंत्रमुग्ध किया। टिहरी डूबण लग्यू चा बेटा डाम का खातिर गीत गाकर उन्होंने पुरानी टिहरी की यादों को ताजा कर लोग भावुक हो उठे। वहीं बीच-बीच में हास्य कलाकार घनानंद के चुटकुलों ने लोगों को खूब गुदगुदाया। इसके अलावा अनिल बिष्ट, मंजू सुंदरियाल, उषा नेगी की प्रस्तुतियों ने भी खूब वाहवाही बटोरी।
इस अवसर पर जिलाधिकारी राधिका झा, अपर सचिव मुख्यमंत्री नितेश झा, भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद सुयाल, दुग्ध संघ अध्यक्ष धन सिंह नेगी, राजेश नौटियाल, अपर जिलाधिकारी जीएस रावत, उप जिलाधिकारी अनिल गब्र्याल आदि उपस्थित थे।
देखते ही बना लोगों का उत्साह
नई टिहरी: सांस्कृतिक शून्य नई टिहरी शहर में दस साल बाद हुए बड़े सांस्कृतिक आयोजन को लेकर लोगों का उत्साह देखते ही बना। मौसम के बदलते मिजाज के बाद भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखने लोगों की भीड़ उमड़ी। इससे यह साबित हो गया कि बदलते परिवेश में भी लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति कितना गहरा लगाव है। वर्ष 2000 में नई टिहरी में बसंतोत्सव का आयोजन हुआ था। इसके बाद शहर में कोई सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं हो पाई थी। दस साल बाद दूसरे टिहरी महोत्सव का आयोजन हुआ। मेले में उमड़ी भीड़ ने जता किया कि पुरानी टिहरी शहर की भांति वह नई टिहरी में भी समय-समय पर इस तरह के आयोजन को देखना चाहते हैं।
   
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7302335.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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N S Negi Poem

ऐड़ा डाम

एक नया डाम का
उद्घाटन समारोह मा
मुख्य अतिथि का साक्षात्कार का बाद
वे पत्रकारन्
कूड़ि पुंगड़ि बचाैंणै लड़ै हारी बैठ्या°
एक बुजुर्ग से पूछी
बोडा जी तुम भि कुछ बोला
ये डाम का बारा मा
वूंन पैलित मुण्ड हिलाई
चसमा उतारि, आ°खि फु°जिनी
फिर कुछ सोची बोली
बोन्न क्या छ बेटा
आगि का ताता डाम त
भौत सैनि जिन्दगि मा
पर पाणि का ये ऐड़ा डाम
निछन भै

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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औˇणा

तुमुन मैं हिटणु सिखाई
पर दनकण नि दे
तुमुन मैं बच्याणु सिखाई
पर बोल्ण नि दे
तुमुन मैं लारा लाण-पैरणा सिखैनी
पर मनमर्ज्यू पैर्ण नि दे
खाणु खाण सिखाई
पर कमौण नि दे
तुमुन मैं लिखै-पढ़ै जरूर छ
पर खुदमुखत्यारि को अखत्यार नि दे
तुमुन मैं फर पुछड़ि पंखुड़ि लगैनी
पर उड़ण नि दे
किलैकि
तुमथैं अपड़ा घर मा
बेटि कि जगा
कठपोथˇी चयेणी छै।

हेम पन्त

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पिछले दिनों संपन्न हुए नरेंद्र नेगी जी की पुत्री रितु के विवाह के मौके पर नेगी जी और श्रीमती नेगी जी, मेहमानों के साथ..

Photo by - Mr. Sanjay Naudiyal

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरा औण से हर्ष हवे कै -2 व्हेल्यो त, मेरा औण से हर्ष हवे कै -2 व्हेल्यो त,
ना हो मेरा जाणा कु दुःख कै न हो, दुःख कै न हो
मेरा सुख मा हैंसणा कु न्यूतू सभु कू
मेरा दुःख मा रोणा कू हक कै न हो, हक कै न हो
.  मुलूक हो पराया, खुद हो तुम्हारी, मुलूक हो पराया खुद हो तुम्हारी
पीड़ा हो कि ज्वा आज तक सै न हो, आज तक सै न हो
.
बडूल्यूं मा रैबार भेजी नि ऐनी, बडूल्यूं मा रैबार भेजी नि ऐनी
क्या सुपिन्यम भी आणा कु बकत रै न हो, बकत रै न हो
.
कख रिबड़ीनि खुटी वो, किले नि बौडी होली,
कख रिबड़ीनि खुटी वो, किले नि बौडी होली
कखी सौतेला बाठों न भक्लै न हो, भक्लै न हो
.
ज्वनि ह्वेगी माटू, ढून्गू व्हे पराण,
ज्वनि ह्वेगी माटू, ढून्गू व्हे पराण,
कभी सुख ऐ जालू त रगरै न हो रगरै न हो
.
मेरा औण से हर्ष हवे व्हेल्यो त कै,
ना हो मेरा जाणा कु दुःख कै न हो, दुःख कै न हो
मेरा सुख मा हैंसणा कु न्यूतू सभु कू
मेरा दुःख मा रोणा कू हक कै न हो, हक कै न हो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देर होली अबेर -2 होली  होली जरुर सबेर होली

देर होली अबेर -2 होली
होली जरुर सबेर होली
.
हिटदी जा हिटदी जा (च..)
.  देर होली अबेर -2 होली
.
होली जरुर सबेर -2 होली
हिटदी जा हिटदी जा हिटदी जा ........ हो ओ ओ
बटवे रे) हिटदी जा -2 (च..
.
मुख फेर फेरी फेरी अंधेरु नि छटेणू
बाठु हेरी हेरी बाठु नि कटेणू
.
हिटदी जा हिटदी जा
.
मुख फेर फेरी फेरी अंधेरु नि छटेणू
बाठु हेरी हेरी बाठु नि कटेणू
कैमा क्या पुछदी बैठी क्या -2 सोचदी
पैली भी व्हे फेर होली
.
होली जरुर सबेर -2 होली
हिटदी जा हिटदी जा हिटदी जा ...... हो ओ ओ
बटवे रे हिटदी जा (च..)
.
खैरी बिपदा का बिष कांडा काटी,
अंधेरु बिरै कि सुबठा छांटी
.
हिटदी जा हिटदी जा (च..)
.
खैरी बिपदा का बिष कांडा काटी,
अंधेरु बिरै कि सुबठा छांटी
मारी लपाक लन्गै कि -2 बुरैइ
सोच भलु भलु कैर होली
.
होली जरुर सबेर -2 होली
हिटदी जा हिटदी जा हिटदी जा ...... हो ओ ओ
बटवे रे) हिटदी जा -2 (च..
.
रात भी आली रत्ब्याणु हैसलू, अँधेरा मन उज्येलु पौन्छालू
.
हिटदी जा हिटदी जा (च..)
.
रात भी आली रत्ब्याणु हैसलू, अँधेरा मन उज्येलु पौन्छालू
कांडों मा फूल डान्डों मा -2 हैर्याली
दुनिया देखली जैबेर होली
.
होली जरुर सबेर -2 होली
हिटदी जा हिटदी जा हिटदी जा ...... हो ओ ओ
बटवे रे) हिटदी जा -2 (च..
.
होलू उदंकार जब धार पोर, खुलला सुख का द्वार मोर
.
हिटदी जा हिटदी जा (च..)
.
होलू उदंकार जब धार पोर, खुलला सुख का द्वार मोर
भैराली दीजी व भाग कि -2 बांद
देली मा पौन्छ्दी भेंट होली
.
होली जरुर च सबेर होली -2
हिटदी जा हिटदी जा हिटदी जा ...... हो ओ ओ
बटवे रे) हिटदी जा -2 (च..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Narendra Singh Negi Ji's Song
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सच माना न माना विंकी -2 पछ्याँण कुछ छैइ हौरी सच माना न माना विंकी -2 पछ्याँण कुछ छैइ हौरी
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी -2 छैइ
.
इनी भी नि छै व उनी भी नि छै जन तुम सोचणा तनी -2 छै नि भी
सच पूछा ता कनी भी नि छै क्या बताण कुछ हौरी छैइ  बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ
 
लाखू कि भीड़ मा देखि छै, भीड़ मा छै पर एकी -2 छै
बणिगे त बणिगे बिधातन अब नि बणाण कुछ हौरी छैइ
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ
.
चाल ढाल अन्वार कु नि, जिकर रूप श्रींगार कु -2 नि
झणि क्या बात उं आंख्युं मा पाण कुछ हौरी छैइ
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ
.
देख्ल्या ता देख्दै रैजैल्या सोच्ल्या ता सोच्दै -2 रैजैल्या
कलम कंठ रुक गेनी गुण क्या गांण कुछ हौरी छैइ
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ
.
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जून सी मुखडी जुन्ख्याली आँखी मायादार रत्न्याली  जिकुड़ी का काख बाली माया कैखुणी धरीं च समाली

जून सी मुखडी जुन्ख्याली आँखी मायादार रत्न्याली
जिकुड़ी का काख बाली माया कैखुणी धरीं च समाली
 
हो ओ ओ जून सी
    हो ओ ओ ओ आ आ आ आ आ
घुन्ग्र्याली लटुली क्या शान कनी -2 चा
घुन्द्क्याली खुटयूँ मा पैजाबी क्या बोनी चा
   
हो ओ ओ
पैजाबी बोनी च झूटी, छुयुं मा ना -2 ऐई
माया कि चिफ्ली धुन्ग्युं मा रैडी न जैइ
माया लाणी जरा कि माया लाणी जरा देखि भाली
तू भी तेरी छ्विं भी आली जाली
   
जिकुड़ी का काख बाली माया कैखुणी धरीं च समाली
जिकुड़ी कु भेद बैरी मुखडी खोनी -2 चा
छन छन चूड़ी तेरी बोल क्या बोनी चा
   
हो ओ ओ ओ ओ
चूड़ी बोनी छि मेरी चल हिट घौर
निर्मोही होंदीन ये परदेशी भौंर
बंडी बत न, बंडी बत न बनौ दयोलू गाली
तू भी तेरी छ्विं भी आली जाली
   
लस्स लस्स कमरी बथों मा हलणी -2 चा
बोझ तेरी ज्वनि कु णी सिक सकणी चा
   
मुंड कपाल फोड़ चा तू हाथ खुटा -2 तोड़
नि आन्दु छुँयुं मा तेरी हट बाठु छोड़
बंडी बत न, बंडी बत न बणों दयोलू गाली
तू भी तेरी छ्विं भी आली जाली
   
जून सी मुखडी जुन्ख्याली आँखी मायादार रत्न्याली
हो ओ ओ
जिकुड़ी का काख बाली माया कैखुणी धरीं च समाली

 

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