Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत

Narendra Singh Negi: Legend Singer Of Uttarakhand - नरेन्द्र सिंह नेगी

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
नेतागिरी

दारू नि प्येंदु मि हे राम राम रम्म रम्म रम्म रम्म
सिकार नि खांदु , सिरी - सिरी ।
नेता समाज सुधारक छौंऊं ,
भज गोबिन्दम भजो हरि ॥

तुमारैं गुठयारो गोर छऊं , भोट डऴयाँ जरा देख चरी
जातिकु थातीकु भित्राकु भैराकु , "ख " अर "ब " कू ख्यालकरी
दारू कछमोळी तुमुनै खाण -
तुमारी जीत चा जीत मेरी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

फिकर नि कर हे दरिद्रनोरण , लोन मंजूर करौलु त्यरु
तेरि ग़रीबि कि गवैई दयोलु , ऐसुभि हौऴ लगैदे म्यरु
गंठखुलै देजा करजा ल्हीजा -
आँखा बूजी अंगोठ धारी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

बाब अर दादा भि नेता छा मेरा , मी भी छौं औलाद भि राली
नेतागिरी को ठेक्का लियुंचा , लाख जोड्यावा लाख दया गाळी
ई जोनिम भी वीं जोनिम भी -
नेता छौं नेता हि रौलु मरी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

खादी पैर - पैरी छाल़ा पड्यांन , धारना हड़तालुन टुटिनि भटयूड
भाषण देकी जीब छणयेगे , गाळी सुणसुणी फुटुनि कन्दुड
कुर्सिका खातिर मर मिट जौलू -
छौड़ी नि सकदू नेता गिरी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

गरीबू कि सेवाकु बर्त लिहयूँ चा , नेता भि छौं ठेकदार भि छौंऊ
ब्योला ब्योल्यूँकू बऴद भैंस्युकु , व्योपारी गलेदार भि छौंऊ
सबि कुछ छौं पर मनखि नि छौं मी -
दयब्ता बणयूँ छौं घड़ेलु धारी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

खेत खल्याण बंटुलू सबुमा , येकि पुंगूडी वेका नौंऊं
बेरोजगारू रोजगार दिलाणु , दारू चुआणू गौंऊं गौंऊं
राजनीति भनाणा छिन लोग -
सुदि मुदि मेरु बदनाम करी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

- नरेंद्र सिंह नेगी
(सुप्रसिद्ध कवि - गायक )

("मुट्ट बोटीकि रख" , पहाड़ पोथी से साभार )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
अकुलों माँ माया करी कैकी भी नि पार तरी
अकुलों माँ माया करी कैकी भी नि पार तरी
============================
जख तक मिसै जान्द
झूठा पीठ सौं खान्दू...... झूठा पीठ सौं खान्दू............. झूठा पीठ सौं खान्दू
देयूँ लेयूँ तन जान्दू
अपजश पायेन्दा हो हो
बेखुनी को रोयेंदा
अकुलों माँ माया करी
कैकी भी नि पार तरी
अकुलों माँ माया तरी .........कैकी भी नि पार तरी

Devbhoomi,Uttarakhand:
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी


प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
 
बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२
करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन
पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
 
बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन
सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी
फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
 
खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा
सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
 
दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली
स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली
युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
 
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नरेन्द्र सिंह नेगी का नया ताजा तरीन राजनितिक व्यंग अब तुमी बथा !
भै बन्दू !
मै खुणि नेता ना , जन सेवक बोला
सेवक छौं मि तुमारी सेवा को ब्रत लियु छ मेरो
मिन सदानी तुमारो दुख दरद सुणी समझी
तुम भले ही मैथे आज चुनो टैम देखणा होला
पर मिल तुमारो दगड़ो कभि नि छोड़ी
खैरि तुमुन खै होली आंसू मिन बगैनी
ठोकर तुम पर लागि होली त पीड़ा मै फर हवे
कांडा तुम पर चुभिनी अर जिकुडु मेरो घुपे
बिना पाणी तीसा तुम रयाँ
पर कंठ मेरा सुखनी
बिना बिजलि अँधेरा मा तुम छा
अर जब्का जब्कि मैकू हवे
राशन पाणी टरकिणि तुमू रै त
भूको कबलाट मैकू हवे
बिना डाक्टर बिना द्वै दारू अस्पतालूमा
मोर्दा तुमरा मोरिनी अर अबाजू मेरो राई
अब तुमी बथा !
तुमारी सेवा मा क्या कमि कसर राखि मिन.............नरेन्द्र सिंह नेगी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Narendra Singh Negi
April 18 ·
माया की खड़ी उकाळी
कट जंदिन दगड़ा मा
ब्याळि त्वी त बथाणी छई
बोल क्या बात च
मोण अच्छणा म धरीं च
तेरी माया मा
होरि मै से क्या चाणी छई
बोल क्या बात च
- श्रद्धेय श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी की कविता का एक अंश
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