नेगी जी की कलम का कमाल इन शब्दों में देखिये... हर एक शब्द दिल की गहराइयों को छूता है...
कख लगाणी छुई, कैमा लगाणी छुई,
ये पहाङ की कुमौं गढ्वाल की.....
रीता कूङों की, तीसा भाङों की,
बगदा मनख्यों की, रङदा डांडो की
कख लगाणी छुई, कैमा लगाणी छुई....
सर्ग तेरी आसा, कब आलू चौमासा
गंगा-जमुना जी का मुल्क मनखि गोरु प्यासा
क्या रूङ क्या ह्युंद, पाणी नि छ बून्द
फिर बणि छ योजना देखि तब क्या हुन्द
कख लगाणी छुई, कैमा लगाणी छुई,
बैख डुब्या दारुमां, नौना टुन्न यारुमां
कज्याणि आन्दोलन चलौणि, दफ़्तर बजारुमा
कच्चि गदिन्या-छान्युमा, पक्कि खुलि दुकान्यु मा
दारु का उद्योग खुल्या, ऊकि मैरबान्यु मा
कख लगाणी छुई, कैमा लगाणी छुई,
जंगल घैरबाङ मा, खैति-बाङि त्याङ मा
सार खार बान्दरून, सगौङी गै उज्याङ मा
कर्ज गाङि पैछु, डैरा नि पौंछि भैंसू
पोर डुब्या बाङ मा, सुखु पोङी ऐसू
कख लगाणी छुई, कैमा लगाणी छुई,