रुकदी छे ना सुखदि छे .....
रुकदी छे ना सुखदि छे, नयारजनि बगदी छे,
वो माया हरी भरी सी , आज किले सुखी होली ,
रूडीयू की मंगरी सी ...2
छेल सी नि छूटी कभी, नातुसी नि टूटी कभी
दगडू चकोर चकोरी सी, आज किले टूटी होलू
माटा की कशेरी सी …2
रात नि खुलंदी छे, सिराना बैठि जान्दी छे ...
सिराना बैठि जान्दी छे
छुयुं की रामेण व जो ठेली ठेली नि जांदी छे .
जो ठेली ठेली नि जांदी छे..
जो बियाली तक अपणी सी...
आज किले बणी होली, अजाण बिराणी सी ...
अजाण बिराणी सी
आंखियुं ला बच्यान्दु छो , जो सनियुला नाचंदु छो
जो सनियुला नाचंदु छो
रुन्दाऊ हसान्दु छो, जो रूसायू मनादु छो
रूसायू मनादु छो
जो ब्याली तक मयलु सी,
क्याल रूसे होलू आज, बाला जन जिदेरू सी
बाला जन जिदेरू सी
रूप की गुणों की भोरी , प्रेम की परोठी छे ..
प्रेम की परोठी छे
गिची उन्द 24 घड़ी शहद की जलोठी छे
शहद की जलोठी छे
जो गिची मीठी -मीठी सी.......
आज किले सुणाणी होली वो जली कटी सी ...
बथ व् जली कटी सी
हौंसिया मिज़ज़ा छयुं , रंगमतु रसिया छो
रंगमतु रसिया छो
चांदी की गात वो जो, सुना कु सी हिया छो ,
सुना कु सी हिया छो
जो ब्याली तक उज़लू सी........
आज किले हुयुन होलू उदास दुखेरू सी ...
.उदास दुखेरू सी
रुकदी छे ना सुखदि छे .....