Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
Niyoli-Hunkiya Baul, Bhagnual-न्योली, हुनकिया बौल, भगनौल,लोक संगीत के हिस्से
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Another Niyoli
http://ishare.rediff.com/music/kumaoni-folk/nyoli/10060783
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
यह नियोली सुनिए :
ओ जाड़ में काफल हरिया छन
वो तुक में काफल काला .
ओ कैले मेरा स्वामी देखि
ओ कान में रायफल वाल
हे हाट की कालिका
तू दैना है जाय
हे कुशल मंगल माता
स्वामी घर लाये!
ओ घर बाटी निखुख गेई
ओ वो सौराश खाई खीर
ओ जानी -२ पुज्गेयी स्वामी
ओ जम्मू कश्मीर
http://ishare.rediff.com/music/kumaoni-devotional-folk/nyoli/10060897
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
न्योली
भिना घटि पिसो माणू, भिना घटि पिसो माणू
दुसार-तिसार दिन बोछिमा ऐ जाणू
बाड़ बोयो मेती भिना बाड़ बोयो मेती
सिकारी रैपफल छोड़ ध्रै कर खेती
माछि नै भगनू साई माछि नै भगनू
साई चुतिया अमल हैगो रई न सगनू......
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नामकरणः- ‘‘न्यौली’’ कुमाऊँनी गीतों की एक गायन प(ति है। ‘‘न्यौली’’ की
व्युत्पति ‘‘नवल’’ या ‘‘नवेली’’ शब्द से मानी जा सकती है। अर्थात ‘‘न्यौली’’ का तात्पर्य
हुआ- नवेली ;कामिनीद्ध को आलम्बन मानकर या सम्बोध्ति करके गाये जाने वाले प्रेम परक
गीत। 35 ‘‘न्यौली’’ शब्द की अन्य व्युत्पत्तियाँ निम्न प्रकार की जा सकती हैंः-
;1द्ध न्यौली-नवेली- नव अवली। अर्थात ‘‘नये गीतों की अवली’’।
;2द्ध न्यौली-नवेली;नवलद्ध। अर्थात नये छंदां की आशुकविता,जो नितान्त मौलिक हो।
;3द्ध न्यौली-कोयल की एक पहाड़ी प्रजाति, जिसे कुमाऊँ में विरह का प्रतीक माना
जाता है। प्रियतम के वियोग में गहरे घने वन में वह निरन्तर ‘‘झूरती’’ ;रोतीद्ध रहती है।36 ऊपर
वर्णित सभी अर्थो में ‘‘न्यौली’’ की व्युत्पत्ति पूर्णतः सार्थक और संगत है। अन्तिम व्याख्या
लोकभावना और लोक परम्परा के अनुकूल है।
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कामनापरक गीतों में ‘‘औछन’’ गीत गाये जाते हैं। गर्भिणी की स्थिति का मनोवैज्ञानिक
चित्राण इन गीतों में मिलता है -
खै लियो बोज्यू, मनै की इछिया जो,
खै लियो बोज्यू, बासमती को भात।
उरद की दाल, घिरत भुटारो, दाख दाड़ीमा।
छोलिघ बिजौरा, कैली कचौरी, लाखी को सीकारा।।
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