Author Topic: Niyoli-Hunkiya Baul, Bhagnual-न्योली, हुनकिया बौल, भगनौल,लोक संगीत के हिस्से  (Read 28144 times)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
न्यौली

काटन्या काटन्या पोली आयो चौमासु को वना |
बगंयाँ पाणी थमी जांछो नी थामीनो मना ||
.............................
हात को रुमाल छुट्यो पाणी का खाल में |
कै पापी लै खिति छू मैं दुणा जंजाल में ||
.............................
बरमा जांछ रेलगाड़ी , मथुरा जान्याँ कार |
बची रौंला चिठ्ठी दुला , मरी जूंला तार ||
....................
धोती मैली टोपी मैली ध्वे दिन्यो क्वे छै ना |
परदेसा मां मरी जूंला रवे दिन्यो क्वे छै ना ||
..........................
कथै कुनुं को सुणाछ , बड दुःख भारी |
घर जानूं सैणि रिसें , भैर करजदारी ||

By  Prayag Pandey

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
हुड़की बौल

यो सेरि का मोत्यूं तुम भोग लगाला हो, यो गौं का भूमिया दैण हया हो। पहाड़ों में आषाढ़ और सावन के महीने में हुड़की बौल के यह स्वर अब धीरे धीरे इतिहास की वस्तु बनते जा रहे हैं। हुड़की का अर्थ हुड़का (खास पर्वतीय वाद्ययंत्र) और बौल का अर्थ श्रम है। पहाड़ के गांवों से पलायन बढ़ने के कारण खेतीबाड़ी के काम भी प्रभावित हुए हैं। रोपाई अब बहुत कम गांवों में लगाई जाती है। रोपाई के लिए लोगों को जुटाना कठिन हो जाता है। गांवों में सामूहिक श्रम की भावना कम होती जा रही है। लोग रोपाई के लिए मजदूरों की मदद लेते हैं। हुड़की बौल रोपाई के समय प्रचलित परंपरा रही है। गांव के लोग रोपाई लगाने के लिए जुटते। एक लोकगायक हुड़के की थाप में गीत गाता और रोपाई के काम में लगे लोग उसके स्वरों को दोहराते थे। इससे लोगों का मनोरंजन भी होता और काम भी जल्दी पूरा हो जाता। संगीत और श्रम का यह अदभुत मेल अन्यत्र नहीं मिलता था।
1970 के दशक तक हुड़की बौल का प्रचलन बहुत ज्यादा था। धीरे धीरे पहाड़ के गांवों से पलायन बढ़ा, लोग रोजगार के लिए देश के शहरों में बसते चले गए। यहीं से हुड़की बौल जैसी परंपरा लुप्त होने लगी। अध्येताओं ने हुड़की बौल को पहाड़ की लुप्त हो रही परंपरा में शामिल कर दिया है। हुड़की बौल के समय गाए जाने वाले गीतों में आस्था का पुट मिलता है। भूमिया देवता से प्रार्थना की जाती है कि हुड़की बौल में शामिल सभी लोगों का भला हो-
रोपारो, तोपारो बरोबरी दिया हो,
हलिया, बल्द बरोबरी दिया हो,
हाथ दिया छाओ, बियो दियो फारो हो,
पंचनामा देवा हो। (हे पंचनाम देवताओ, रोपाई के काम में लगे सभी को बराबर का हिस्सा देना, हल जोतने वाले और बैलों को बराबर हिस्सा देना, काम में हाथ तेजी से चले और बीज पर्याप्त हो जाए।)
हुड़की बौल के समय गाए जाने वाले एक प्रमुख गीत में बैल से भी बड़ी अपेक्षा की जाती है। (ए, बैल तू सीधे सीधे चल, सींग से लेकर खुरों तक इस खलिहाल को भर दे, ऐसा प्रयत्न कर कि चारों चौकोट, तल्ला मल्ला कत्यूर, कोसी वार पार सभी घाटियां की उर्वरता इस खलिहान में आकर समा जाए।)
सैल्यो बल्दा सैल्यो, सैल्यो,
सींग के ल्याले, खुर के ल्याले,
फिरि फिरि जालै खई भरि जालै,
गाई गिवाड़ की चारों चौकोट की,
तल्ला कत्यूर की, मल्ला कत्यूर की
कोसी वार की, कोसी पार की,
सैल्यो बल्दा, सैल्यो, सैल्यो।
हुड़की बौल के समय लोकगायक बड़ा मार्मिक आशीष देता है-
(जितनी धान की बालियां हैं उतनी ही डालियां हो जाएं, जितने गट्ठर हैं, उतने ही अनाज से भरे गोदाम हो जाएं।)
जतुक बाली, ततुक डाली,
जतुक खारा, ततुक भकारा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
जै बाडि मैं लै बबज्यू गुड़िया खेलैछी ,
वी बाडि कुसुम्भी बोई देला।
जै छाजो मैं लै भय्या खेलाछी ,
तै छाजो नतिया खेलाला ए॥

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Mahendra Thakurathi
April 6 at 5:47pm
<3 कुमाउनी न्यौली :)
फल टिपी बानर ल्हैग्या, सौला रुखै छन।
नाख-मुख हँसि ओंछी, हिया दुखै छन॥१॥
हरिया खेतै का उमा, काचा खों कि पोली।
बाटा में की भेंट भैछ, हँसि जों कि बोली॥२॥
उन चलि कालि गङा, उब चलि हवा।
त्यारा देश कति रौंलो, डालि में क कवा॥३॥ :)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बरखा लागी अर्खा-गर्खा, पाख दन्वारी च्वीं छ...
जैक सुवा परदेश, जागा जागा र्वीं छ....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 ‎Mahendra Thakurathi‎

कुमाउँनी न्यौली :)

उच्चा धुरा सुको डाणो, पानि की तुड़ुक।
अगास बादल रिट्या, र्वै ऊँछी धुड़ुक॥१॥
घास काटना हात काटियो, निङाली का बन।
कित लाये गैली माया, कित चाये जन॥२॥
भात खायो भदेली धोयी, परालि कोया ले।
ताँ माया पुजन्या छनैं, याँ म्यरा रोया ले॥३॥
थाली भरि खीर खायी, घिय कि बासि लै।
डाणो काटि पार आयूँ, मैं तेरि आसि लै॥४॥
सन-सन बरखा लागी, धुरि पाखो चूँछ।
देश-देश घुमन्या सुवा, जाग जागा में रूँछ॥५॥ :(

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Mahendra Thakurathi

<3 एक प्रसिद्ध कुमाउँनी छपेली-

हे S S S S S हे S S S S S
साँटि में को सौं छ,
झगुली को बौं छ,
धारै में को गौं छ,
मदनुवा नौं छ,
देलि में बैरौंछ,
नानि भवा खेलौंछ।
खानि पिनि भाङ फुलौ,
देखना को धौं छ,
जै घड़ी समझ भायौ,
हियो भरि औंछ,
जैक जिया पिर्दा नैंछ,
मरिया को नौं छ॥
ओ मरिया को नौं छ पिपल कि छाया छ।
ऐल साल मेरी मधुलि में माया छ॥ :)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कुछ भूली बिसरी 'न्यौली'

खल्दी है आरसि गाड़ि, औरे परकार की
हिटै देखूं सुवा जसि, बोलि सरकारे की।
..
नानो हांगो दाड़िम को, ठुल हांगो दाख को
हिटनै बाटा बोली जांछि, बचन लाख को।
..
ग्युं का खेत झन हिटिये, ग्युं बालि टुटलि
मुख मटकै झन देखिए, फिर माया फरकैलि
..
लुआ को भदयालो ल्यायु, घुँघर्यालो डाड़ु
टकटक मुख देखछि, छाति जै के फाड़ु।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22