नमस्कार,
अब ऐसे ऐरसे सुरीले गीतों की झडी लगी हुई है तों मेरा मन भी मचल मचल कर अपने बचपन में सुने हुए गीत याद करने लगा है. शायद आज कल के बच्चों ने कभी इनके मुखडे भी नहीं सुने होंगे.
"नानि नानि घिन्गारु डाई, छुम्म कैले तोडी छ"
"पारा का भीदा को छै घस्यारी मालू ऐ तू मालू ना काटा"
"गोदी को पउवा न्हाई गो छ बदेता"
"बाना ऐ रंगीली बाना धुर ऐ जा बांज कटना"
"बांजा नि काटा लाछीमा बांजा नि काटा"
"ज़रा ठंदु चला दी, ज़रा मातु (MAATHU) चला दी, मेरी चदरी छुटी गे पछिने, ज़रा मातु (MAATHU) चला दी"
"सौली घुरा घुर दघदिया"
"ब्याव हैगे, पंछी ऐ गई, मेरी बाना कथ्हाँ हरै"
बहुत से ऐसे गीत हैं, जो दिल और दिमाग पर दशकों से छाये हुए हैं, अभी ज़ल्दी में हूँ, फिर कभी और चर्चा होगी. नमस्कार