गोठ भरी गोरु छान,
भैंसी गोठ काली |
तेरी नामै की चिठ्ठी द्युन्लो
आंसू ढाली ढाली ||
आसमानी जहाज उड़ो ,
रंगून डा कै को ।
पंछी हनी उडी ऊनी ,
मै बिना पांखै को ॥
सौ जुंगा को लाल घोड़ो ,
दुबो चर नग्यो छ ।
तू पूरबा , मै पच्चिमा,
धो मिलना भ्योछ ॥
बाटा गडा धाना बोयो,
मुठ्ठी को ब्यू जाछ ।
साली को जोभाना देखि ,
भि ना को ह्यू जाछ ॥
भात पकौन्या तामा तौली ,
पसक न्या चमचा।
तौ तेरी उम्र न्हैगाई ,
नै आई समझा ॥
आजा भैसी कां जा रैछ:गाज्यो कुमरी मैं ।तसा दुखा किलै पड्या,बाली उमरी मै॥