Author Topic: Sad Songs of Uttarakhandi Folk Music- दिल को छूने वाले उत्तराखंडी लोक गीत  (Read 11926 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Dosto,

There are hundreds of songs I find in Uttarakhand folk music which are really very meaningful and heart touching We would be posting here lyric of some Sad songs of Uttarakhandi Folk Music. I am sure you would like lyrics and its meaning.

This is the duet Folk Song wherein a Babhi asks her brother in-law about her husband who has not come back to his home since long and is in Delhi. The Song has been composed and sung by veteran Singer Narendra Singh Negi

 
हे दिल्ली वला दयुरा, हे दिल्ली वला ..

हे दिल्ली वला दयुरा, हे दिल्ली वला ...........
हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा..२
चोंठी मा तिल वाली भोजी, चोंठी मा तिल वली.......
चोंठी मा तिल वली भोजी हुन्दू क्वी अता पता भेजी कु त खोजी ल्यान्दा....2
हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा.. 
भंडी बरस व्हेगीन यून्की, चिट्ठी पतरी ना खबर सार ....2
नयु- नयु ब्यो व्हे छो हमरू, छोड़ी चली गीन घरबार 
चोंठी मा तिल वली भोजी हुन्दू क्वी अता पता भेजी कु त खोजी ल्यान्दा
 
 मैं शक-सुभा हूनू भोजी फड़कणी च आँखी मेरी....2
 भेजी मेरु रशिलू मिजाज, क्वी बाँध ना हो तख धेरीं
 
 हट ठठा ना कर भे दयुरा, स्यना त नि छिन तेरा भेजी
 छोवं आश मा कभी त ल्याली, मेरी खुद तों खेन्ची खेन्ची
 हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा..
 
 तू फिकर ना कर बो पंछी, कख जालू घोलू छोड़ी
 बाटू बिरर्युं च भेजी, ए जालू त्वेमा बोड़ी
 चोंठी मा तिल वाली भोजी, काटेनी तिन भी दिन याखुली रून्दा रून्दा..

.M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
यह लोक गीत समर्पित है उत्तराखंड के महिलाओं के कठोर जीवन पर..  गीत के रचियता एव गायक - नरेन्द्र सिह नेगी
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
 पर्वत जन कठोर भी छिन ये
 हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
 बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
 
 बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२
 करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन
 पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी
 बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
 बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२
 सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी
 फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन
 काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी
 बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
 खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2
 सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
 यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी
 बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
 दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली-२
 स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली
 युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी
 बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
 प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
 पर्वत जन कठोर भी छिन ये
 हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
 बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

उत्तराखंड के rafi... उत्तराखंड के सुर सम्राट, लोक संगीत के स्तम्भ स्वर्गीय गोपाल बाबु गोस्वामी भारत वर्ष के पहाड़ी राज्यों के लिए यह गाना! किस प्रकार से पहाड़ के लोग सीधे साधे होते है, उनकी बोली मीठी है! मेहनती और ईमानदार लोग पहाड़ी .. पढिये इस गाने के बोल -

मीठी मीठी पहाड़ों की बोली
 
ओ मीठी मीठी पहाड़ों की बोली
ओ मीठी मीठी पहाड़ों की बोली
हो रंग रंगीला लोग पहाड़ी
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
 
कुमाऊं गढ़वाल हो या नेफ़ा हो लद्दाख हो
कुमाऊं गढ़वाल हो या नेफ़ा हो लद्दाख हो
जम्मु हो कशमीर हो या त्रिपुरा आसाम हो
मीठी मीठी हिमांचली बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
 
तिब्बती किन्नौरी हो या पड़ोसी नेपाली हो
तिब्बती किन्नौरी हो या पड़ोसी नेपाली हो
म्यु ज्यौना का जौनसारी लागी प्यारी प्यारी हो
म्यु ज्यौना का जौनसारी लागी प्यारी प्यारी हो
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रंगीला पहाड़ी
 
सीदा सादा लोग हम मेहनती इन्सान हम
सीदा सादा लोग हम मेहनती इन्सान हम
यारों का हम यार सदा, दुश्मनों का काव हम
यारों का हम यार सदा, दुश्मनों का काव हम
दुश्मणों की आंख दीनू फ़ोड़ी
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
रंगीला छबीला पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
 
शूरबीर योद्धा हम, हम बड़ा विद्वान छौं
शूरबीर योद्धा हम, हम बड़ा विद्वान छौं
सीमा का संतरी हम भारत का लाल छौं
सीमा का संतरी हम भारतीय लाल छौं
फ़ौलादी चट्टान हम पहाड़ी
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
 
देवों की जन्मभूमि यौं सारे पहाड़ छैं
देवों की जन्मभूमि यौं सारे पहाड़ छैं
देवों का लाड़िला लाल पहाड़ी तमाम छैं
देवों का लाड़िला लाल पहाड़ी तमाम छैं
किन्नरों की यौ छू मेरी भूमि
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
 
रंग बिरंगी वेशभूषा रस भरी त्यौहार छैं
रंग बिरंगी वेषभूशा रस भरी त्यौहार छैं
रीत धीत गीत सबै रह्स्य की खान छैं
रीत धीत गीत सबै रह्स्य की खान छैं
नाचनी उमंग में पहाड़ी
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
 
एक देश भारत छू, हम भारती लाल छौं
एक देश भारत छू, हम भारती लाल छौं
देश की एकता लीजी हम सदा तैयार छौं
देश की एकता लीजी हम सदा तैयार छौं
संस्कृति हमरी न्यारी न्यारी
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
मीठी मीठी पहाड़ो की बोली
रंग रंगीला लोग पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी
छबीला रसीला पहाड़ी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

उत्तराखंड राज्य आन्दोलन पर बना यह गाना jise sun kar लोग आन्दोलन में कूद पड़े थे! आज भी यह गाना उत्तराखंड राज्य आन्दोलन kee यादे ताजा करता है ! दुःख है जिस प्रकार का विकास उत्तराखंड का जन मानस चाहता था वो अभी तक नजर नहीं आया है!

नरेन्द्र सिह नेगी जी द्वारा रचित यह गाना!

मथि पहाड़ बटी , निस गंगाडू बटी
मथि पहाड़ बटी , निस गंगाडू बटी
स्कूल ,दफतर , गोऊ , बाज़ार बटी
मन्खियु की डार धारू-धारू बटी 
हिटण लगिया छन , हिटण लगिया
हिटण लगिया छन  बैठण लगा नि
बाटा भरा छन सड़क यु मा जगा नि
हे जी कख जाणा ..................
हे जी कख जाणा छा तुम लोग
.co.......उत्तराखंड आन्दोलन मा
सभी कख जाणा छा तुम लोग
 co ........उत्तराखंड आन्दोलन मा
दीदी कख जाणा छा तुम लोग
co ........उत्तराखंड आन्दोलन मा
                         भूख न तीस न डर न फिकर चा
                         मुठ बोटी छन कसी कमर चा
                         हथ म मुछियला आँखों म अंगार
                         खुटा धरती म आकाश नजर चा
                         हिटण लगिया छन , हिटण लगिया
                         हिटण लगिया छन  बैठण लगा नि
                         बाटा भरा छन सड़क यु मा जगा नि
                         हे जी कख जाणा छा तुम लोग
                         .co.......उत्तराखंड आन्दोलन मा
काका भी दादा भी नाती सड़क मा
एक ह्वेनी सभी जाती सड़क मा
माँ बहिनों कू दुःख सड़कों मा
दुखी लाचार बुढाप सड़कों मा
बेरोजगार जवानी सड़कों मा
हिटण लगिया छन , हिटण लगिया
हिटण लगिया छन  बैठण लगा नि
बाटा भरा छन सड़क यु मा जगा नि
हे जी कख जाणा छा तुम लोग
.co.......उत्तराखंड आन्दोलन मा
सभी कख जाणा छा तुम लोग
 co ........उत्तराखंड आन्दोलन मा 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

उत्तराखंड के लोक गायक प्रहलाद सिंह महरा ने फौजी भाइयो के जीवन पर यह गीत रचा है! एक फौजी भाई जिसकी छुट्टी ख़त्म होने वालो और उसे देश की रक्षा में जाना है और अपने माँ और घरवाली को कैसे समझाता है, पढिये इस गाने के बोल :


आजा का दिन छियो घर माजा
आजा का दिन छियो घर माजा भोल जाण छो मील परदेश माजा.
आजा का दिन............ 
मेरी सुवा तू भली है रिये
इजा बाजियु की सेवा करिए
मेरी भुली जिया, मेरी भुला
मेरी भुला तू ..
मै जाण रियो परदेश, म्यार दिल यही छो . 
आजा का दिन छियो
  ....... 
झन करिया मेरी फिकर
लौटी उना जरुर में घर
ईजा ना मार डाड, बाजियु ना उदास
भारत माता का छियो में च्यल साच
दिन ऊछा जान्छा ..
आजा का दिन छियो 
चार दिन का यो जिन्दगी ये जिन्दगी में
झूटी माया की ये दुनिया में
क्वेके का को ना हून
अमर क्वे नि हूना... 2
प्राणी ले उडी जाण , खाली माट ये रूछा 
आजा का दिन छियो घर माजा
आजा का दिन छियो घर माजा .
भोल जाण छो मील परदेश माजा.
.
आजा का दिन छियो घर माजा ...
दिन ऊछा जान्छा .
दिन ऊछा जान्छा .
दिन ऊछा जान्छा . 
हिंदी में भावार्थ
-------------- 
फौजी आपने पत्नी से कहता है:- 
आज के दिन वह घर में है,
कल के दिन उसे प्रदेश की नौकरी में जाना है! 
पत्नी और अपनी भाई बहिन से कहता है : 
मेरी सुवा (पत्नी) तू अपना ख्याल रखने और
मेरी माता पिता (ईजा बाजियु) की सेवा करना
मेरी भुली (बहिन) मेरा भुला (भाई) जी.
तुम अपना ख़याल रखना
मै तू परदेश जा रहा हूँ, लेकिन मेरा दिल यही है. 
आज के दिन वह घर में है,
कल के दिन उसे प्रदेश की नौकरी में जाना है! 
अब कहता है : 
मेरी फिकर नहीं करना, मै घर लौट के जरुर आवूंगा.
मेरी ईजा (माँ) तू रो मत, मेरे बाज्यू (पिता) आप उदास मत हो
भारत माँ का में सच्चा लाल हूँ, 
दिन आते है और जाते है. ... 
आज के दिन वह घर में है,
कल के दिन उसे प्रदेश की नौकरी में जाना है! 
चार दिन की यह दुनिया है
सब झूठी माया मोह है,
किसका कोई नहीं है..
मिटटी यही रहेगी, प्राणी (आत्मा) को उड़ के जाना है 
आज के दिन वह घर में है,
कल के दिन उसे प्रदेश की नौकरी में जाना है! 
दिन आते जाते है..
दिन आते जाते है..
दिन आते जाते है..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
This is the evergreen song of Uttarakhand which was composed by Late Singer Shri Gopal Babu Goswami. This song narrates the condition of women who is missing her husband who is posted in Border area. She says to Bird (Ghughuti) do not sing..as he is missing her husband.. The bird is singing on a branch of Mango Tree.

Please go through the Lyrics.

घुघुती ना बासा ...., आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा .., आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।
तेर घुरु घुरू सुनी मै लागू उदासा
स्वामी मेरो परदेसा, बर्फीलो लदाखा, घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा ssss, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।
 
रीतू आगी घनी घनी, गर्मी चैते की
याद मुकू भोत ऐगे अपुना पति की, घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा ssss, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।
 
तेर जैस मै ले हुनो, उड़ी बेर ज्यूनो
स्वामी की मुखडी के मैं जी भरी देखुनो, घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा ssss, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।
 
उड‌ी जा ओ घुघुती, नेह जा लदाखा
हल मेर बते दिये, मेरा स्वामी पासा, घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा ssss, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Superhit Song of Narendra Singh Negi JI describing the tough life in Pahad during the rainy reason.
 
सौणा  का मेहना  ~ 
 
सौण  का मेहना , बुवे  कनु  कै  रेणा , कुयेडी  लौन्काली -2
अन्देरी  रात , बरखा  की   झमणाटा,   ख़ुद तेरी  लागली -2
 
चौ  डंडियों  पोर , सरग   गगडानद  -2
हिरिरिरी  पापी  बरखा झुकी  आन्द   -2
बडुली  लागली
सौण का महिना , बुवे  कानु कै  रेणा, कुयेडी लौन्काली
सौण का मेहना, बुवे कानू कै  रेणा
गाड  गद्नियो   स्वी  ,स्यात  घनघोर  -2
तुम परदेश , मी  अकुली  घोर  -2
ज्यूकडी  डौरली
सौण का मेहना, बुवे कानू कै  रेणा , कुयेडी लौन्काली
 
याकुलू  सरेला , उनी  प्राणी क्वासु  -2
सेर  बस्ग्यल , अब दण - मण    आंसू  -2
आंखी  धोलाली
सौण का महिना , बुवे  कानु कै  रेणा, कुयेडी लौन्काली
 
डेरा  नौन्याल , आर  पुंगडियो  धान   -2
बरखा का दिडो  मां  घांस  कु भी जाण  -2
झूली  मेरी रूझाली
सौण का म्हणा, बुवे कानू कै  रेणा , कुयेडी लौन्काली
 
सौण भादों  बर्खिकी  चली  गिनी  -2
ऋतू  गिनी मेरी आँखें नि  ऊबेंई  -2
कानू के उबाली
सौण का महीना  ,बुवे कानू कै  रेणा , कुयेडी लौन्काली
अन्देरी राता, बरखा की झमणाटा, ख़ुद तेरी लागली
सौण का महीना ......................



Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
खुद,बहुत सुन्दर सुरीले गीतों की एल्बम हैं जिसमें नेगी और अनुराधा निराला जी ने अपनी सुरीली आवाज में गाये हुए इस एल्बम के गीतों को बार बार सुनाने को मन करता है !

से गैनी,से गैनी डांडी-कांथी खाल-धार से गैनी
बौन-पंछी गौं-गुठयार,सी गैनी
  से गैनी,से गैनी

मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
तुमारी खुद मा,तुमारी खुद मा हो हो तुमारी खुद मा

पौन्खुर दिखेंन देखि चखुला से गिनी,
देखि तौन सेगी डाली मौन हवेगिनी
सेगी होला तुमु भी गेल्या निंद सुध-बुध मा
मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
तुमारी खुद मा

से गैनी,से गैनी डांडी-कांथी खाल -धार से गैनी
मेरा अँधेरा का द्गडया दिवा  बाती मूंझी गैनी
दिन मा था जू सेंयाँ दुःख राती बीजी गैनी
दुःख देन्दारु विधाता भी सेगी निंद मा,मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
तुमारी खुद मा

सोन भादों बीती बरखा पाणी चौलिगे
ह्यून ह्युंद गौली  पिडा सबुकी बोड़ीगे
मेरी पिडा बारामास दुःख-दुःख मा,मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
,तुमारी खुद मा से गैनी,से गैनी डांडी-कांथी खाल -धार से गैनी

डौर लगदी जब कखी निन्यारु बासदु
सारु मिलदु जब कखी क्वी दानु खासदु
अब ता सी बिचारा भी सगीन नींद मा,मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
,तुमारी खुद मा

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,क्या जाण खेला पार ह्वेगी वा
जकड़ा भितर पट ग्वाड्यीं छई,आखियों बीटी परार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

बिच बाजार मा खातेगी,लुकाई  बेकार ह्वेगी,लुकाई बेकार ह्वेगी वा
एक चुंगति बदनामी छई,एक चुंगति बदनामी छई,हो हो
पाथि दोन खार कैगी वा अंखियों बीटी परार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

सोची घौर-बार बसिगे द्वी गफो कु आधार ह्वेगी वा
राती निचंत ह्वेगी से गयुं,सूबेर धार पार ह्वेगी वा हो हो
राती निचंत ह्वेगी से गयुं,सूबेर धार पार ह्वेगी वा हो हो
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

घर मा आणि- जाणि बढिगे,लोगो चित्रहार ह्वेगी,लोगो चित्रहार ह्वेगी वा
हांजी चित्रहार ह्वेगी वा
घर बसेक नि साकू केकु,घर बसेक नि साकू केकु  हो हो
ब्स्याँ घर खण्डवार कैगी वा,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

कैकी निंद लीगी चैन केकु अस्घार लीगी, केकु अस्घार लीगी वा
कुछ न कुछ लीगी सबू बीटी,कुछ न कुछ लीगी सबू बीटी, हो हो
मैं सनी भगार दिगी वा,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

माया फेर मा अब नि पौडू,दिल दगडी करार ह्वेगी,दिल दगडी करार ह्वेगी वा
खोली भीतर पौंछि भी छू,खोली भीतर पौंछि भी छू,देली बीटी फरार ह्वेगी वा
देली बीटी फरार ह्वेगी वा ,देली बीटी फरार ह्वेगी वा हो,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
पहाड़ी गांवों में बहु बेटियों के अकेलेपन के साथी हैं लोकगीत. वे गीत इस तरह ज़िंदा हैं. उनमें उन स्त्रियों की ख़ुशियां, अवसाद और तक़लीफ़ें हैं. वे करुण गीत पहाड़ी स्त्री की आत्मा की पुकार हैं. ऐसा ही एक लोकगीत ये हैः

रात घनघोर मांजी!


 रात घनघोर मांजी रात घनघोर,

 बेटी नी बेवौण मांजी दीप डांडा पोर !
 आयूं च खायूं च, आयूं च खायूं च,
 जा बेटी सौरयास तेरो जवैं आयूं च !
 पेइ च सराब मांजी , पेइ च सराब ,
 सैसर नी जाण मांजी,जवैं च खराब !
 दली जाली दाल मांजी, दली जाली दाल,
 जवैं क्या बोन्न मांजी ,मेरो आयूं च काल !
 मारीत मलेउ मांजी, मारीत मलेउ,
 सैसर नी जाण मांजी,न बणौ कलेउ
 कोठारी का खाना मांजी , कोठारी का खाना,
 इननी मरी जाण मांजी, नणदू का बाना!
 गुलैरी की गारी मांजी, गुलैरी की गारी,
 सासुजीन पकड़ी मांजी,जिठाणीन मारी!
 घोड़ी की कमर मांजी, घोड़ी की कमर,
 कसीकी बितौलू मांजी,लौंडिया उमर
 पाणी को गिलास मांजी, पाणी को गिलास,
 तुमू दरु ह्वैगे मांजी,मैं लगदी निसास!
 सुखी न संपत्ति नी मांजी, रात घनघोर,
 वियोणू नी आइ मांजी, दीप डांडा पोर!

 (हिंदी भावार्थः रात घनघोर है। हे मां दीप डांडे के पार बेटी को न ब्याहना। ओ बेटी! ससुराल जा, तेरा पति आया हुआ है। मां! मैं ससुराल नहीं जाऊंगी वह खराब है,उसने शराब पी है। क्या कहूं मां मेरा तो काल आया है।मैं ससुराल नहीं जाऊंगी, मां!मेरा कलेवा मत बना। ननदों के कारण मैं किसी दिन मर जाऊंगीं, सास मुझे पकड़े रहती है और जेठानी मारती है। तुम तो दूर हो, मां! मुझे तुम्हारी याद आती है। न सुख है ,न संपत्ति। रात घनघोर है, अभी तक दीप डांडे के पार से सुबह का तारा नहीं निकला।) 


उपरोक्त लोकगीत गोविंद चातक की पुस्तक गढ़वाली लोकगीत से साभार लेकर चंद्रशेखर तिवारी ने हिलवाणी को भेजा है.
 उनका भी आभार.

(Source - http://hillwani.com)

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22