Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत

Some Exclusive Kumaoni Folk Songs- कुछ प्रसिद्ध कुमाऊंनी लोकगीतों का संग्रह

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Prayag Pande यो बाटो कां जान्या  होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा |
 चमकनी गिलास सुवा रमकनी   चाहा छ |
 तेरी - मेरी पिरीत को दुनिये ड़ाहा छ |
 यो बाटो कां जान्या  होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा  |
 जाई फ़ुली , चमेली फुली, देणा फुली खेत |
 तेरो बाटो चानै  -  चानै उमर काटी मेता |
 यो बाटो कां जान्या  होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा  |
 गाडा का गडयार  मारा दैत्या पिसचे ले |
 मैं यो देख दुबली भ्यूं तेरा निसासे लै |
 यो बाटो कां जान्या  होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा  |
 तेरा गावा मूंगे की माला मेरा गावा जंजीरा |
 तेरी - मेरी भेंट होली देबी का मंदीरा |
 यो बाटो कां जान्या  होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा  |
 अस्यारी को रेट सुवा अस्यारी को रेट |
 यो दिन यो मास आब कब होली भेंट |
 यो बाटो कां जान्या  होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा  |

 भावार्थ :  
 इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
 चमकते गिलास में तेज रंग की चाय रही हुई है |
 तुम्हारे , मेरे प्रेम से सभी लोग ईर्ष्या करने लगे हैं |
 इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
 जाई और चमेली के फूल खिले हैं , खेतों में सरसों फूली है |
 तुम्हारी राह देखते - देखते मैंने अपनी सारी उम्र मायके में ही बिता दी है |
 इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
 दैत्य- पिचास ने छोटी नदी की मछलियाँ मार डाली हैं |
 देखा , तुम्हारे विरह में कितनी दुर्बल हो गई हूँ |
 इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
 तुम्हारे गले में मूंगे की माला है और मेरे गले में जंजीर |
 तुम्हारे और मेरी भेंट होगी देवी के मन्दिर में |
 इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
 असेरी (स्थानीय माप का बर्तन )का घेरा |
 आज के दिन , इस माह ,हम मिले , अब कब भेंट होगी ?
 इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Prayag Pande हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
 ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज बंजानी धुरा ठंडा पानी |
 नैपाल की धनपुतली , कमर खुकुरी |
 बरमा जानी धनपतली ,कमर खुकुरी |
 ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज बंजानी धुरा ठंडो पानी |
 हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
 म्हैना आयो चैत को हो कोई न कोई आलो |
 जैको भाई , चाई रौली , गत भिटौली ल्यालो |
 ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी|
 हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
 यो दिन यो बार मेरी ऊमर की बात |
 भुलुलो , भुलुलो कुंछी , बांकी उन्छी याद |
 ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज बंजानी , धुरा ठंडो पानी |
 हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
 (कुमाऊ का लोक साहित्य से साभार )
 
 भावार्थ :
 मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |
 शीतल , बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल होता है |
 नेपाल का धनपुतली नामक व्यक्ति कमर में खुकुरी बांधे है |
 धनपुतली वर्मा जा रहा है , कमर में खुकरी बंधी है |
 शीतल बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल है |
 मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |
 चैत का महीना आ रहा है , कोई न कोई अवश्य आवेगा |
 जिन बहिनों के भाई हैं वे भाई की राह देखती होंगी कि कब भिटौली लेकर भाई आ जावे |
 शीतल , बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल है |
 मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |
 वह दिन , वह वार जीवन भर मेरी स्मृति में रहा |
 जितना इसे भुलाने की चेष्टा की , उतना ही अधिक याद आया यह |
 शीतल , बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल है |
 मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Prayer

ए संज्या झुकि गेछ भगवान , नीलकंठ हिवाला |
 ए संज्या झुकि गेछ हो रामा, अगास रे पताला|
 ए संज्या झुकि गेछ भगवाना ,नौ खंडा धरति मांझा|
 नौ खंडा धरति हो रामा , तीन हो रे लोका |
 के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,के संज्या झुकि गेछ |
 के संज्या झुकि गेछ रामा ,कृष्ण ज्यु की द्वारिका |
 हो के संज्या झुकि गेछ हो रामा , यो रंगीली वेराटा|
 के संज्या झुकि गेछ भगवाना , यो पंचवटी मांझा |
 के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,रामाज्यु की अजुध्या |
 के संज्या झुकि गेछ भगवाना , कौरवुं को बंगला |
 के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,यो गेली समुन्दरा|
 के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,पंचचुली का धुरा |
 के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,हारीहरा हरिद्वारा|
 के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,सप्ता रे सिन्धु ,पंचा रे नंदा |
 ए संज्या झुकि गेछ हो रामा ,सुनै की लंका धामा ||

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
बेटी की विदाई के समय गिदारों द्वारा गए जाने वाला कुमांऊनी संस्कार गीत -------
 
 हरियाली खड़ो मेरे द्वार , इजा मेरी पैलागी ,इजा मेरी पैलागी |
 छोडो -छोडो ईजा मेरी अंचली,छोडो -छोडो काखी मेरी अंचली ,
 मेरी बबज्यु लै दियो कन्यादान , मेरा ककज्यु लै दियो सत्यबोल ,
 इजा मेरी पैलागी |
 इजा मेरी पैलागी |
 छोडो -छोडो बोजी मेरी अंचली , छोडो -छोडो बहिना ,मेरी अंचली ,
 मेरे भाई लै दियो कन्यादान , मेरे भिना लै दियो सत्यबोल,
 इजा मेरी पैलागी |
 इजा मेरी पैलागी |
 छोडो -छोडो मामी मेरी अंचली , मेरे मामा लै दियो कन्यादान ,
 इजा मेरी पैलागी ,इजा मेरी पैलागी

Courtesy  - Prayag Pande

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
लीजिये आज पेश है-   उत्तराखंड में पलायन के चलते वीरान होती बाखलियों की तस्वीरों के साथ उत्तराखंड और यहाँ के निवासियों की नियति को व्यक्त करता बहुत पुराना कुमांऊनी बाल - गीत -----------
 
 छक - छक छुपरी मोत्यूं का दाणा |
 पार बटी अइन  कुमइया राणा |
 कुमइये ल मैं कै धान दिं |
 धान मैं लै ऊखव दिं |
 ऊखलै ल मैं कै चावल दिं |
 तौलिल मैं कै भात दिं |
 भात मैं लै ल्वारी दी |
 ल्वारी लै  मैं कै दात्ती दी |
 दात्ती मैं कै घस्यारी दी |
 घस्यारिल मैं कै घास दी |
 घास मैं लै गोरु दी |
 गोरुल मैं कै दूद दी |
 दूद मैं लै राजा दी |
 राजा लै मैं कै घोड़ी दी |
 मैं ग्यूँ माव |
 घोड़ी लागि डाव |
 मैं बैठयूँ स्योव |
 घोड़ी पड़ी भ्योव ||
 
 भावार्थ -
 टोकरी भरी है मोतियों से |
 सामने से आया दुष्ट कुमइया |
 कुमइया ने मुझे धान दिए |
 धान मैंने ओखली में डाले |
 ओखली ने मुझे चावल दिए |
 चावल मैंने पतीली में डाले |
 पतीली ने मुझे भात दिया |
 भात मैंने लोहारिन को दिया |
 लोहारिन ने मुझे दराती ला दी |
 दराती दी मैंने घसियारी को |
  घसियारी ने मुझे घास दी |
 घास दी मैंने गाय को |
 गाय ने मुझे दूध दिया |
 दूध मैं राजा को दे आई |
 राजा ने मुझे घोड़ी दी |
 घोड़ी लेकर मैं चली मैदानों को |
 घोड़ी मुड़ी पहाड़ों  को |
 मैं बैठी थी छाया में|
 घोड़ी गिरी पहाड़ से ||
 (कुमाऊं का लोक साहित्य से )

Courtesy - Prayag Pande

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