Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
Songs On Bird Ghughuti - घुघुती पक्षी पर रचित उत्तराखंड के सबसे ज्यादे गाने
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
प्रयाग पाण्डेJanuary 14घुघुतिक त्यार और " घुघूती चडी " !
ए नि बासा घुघूती रुन झुन ,
म्यार मैता का देसा रुन झुन ,
मेरी ईजु सुणौली रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन।
कै चांणछी पगली तु ऊडी ?
तेरि दासा देखी लागि जाँछी ,
मैं निसासा घुघूती रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन ।
काटी खांछ गाड को सुसाट ,
मैं चानै रै गयुं वीको बाट ,
रवे उठी छ परानी सुवै की ,
मैं उदासा घुघूती रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन।
मेरी ईजु सुणौली रुन झुन ,
म्यार मैता का देसा रुन झुन ,
खेडी खांछी भागी तेरी वाणी ,
रवेइ मरी इकली परानी ,
को बतालो मेरी हइ गेछ ,
कसि दासा घुघूती रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन ,
म्यार मैता का देसा रुन झुन ,
मेरी ईजु सुणौली रुन झुना ।
(कुमाऊँ का लोक साहित्य )
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
From - प्रयाग पाण्डे सबहूँ पैलि आपूं सब दगडियों कें घुघूती त्यरैकी बधाई ! हमार पहाडाक लोक जीवन में " घुघूती " भौत महत्व छू । उ घुघूती त्यार हो या "घुघूती चडि "। पैलि जमान में जब संचाराक आज जास साधन नि छी । उ जमान में पहाड़ाक चेली - बौडी " घुघूती चडि " द्वारा आपण सुख - दुःख मैत पुजूछी । " घुघूती चडि " कुहुकैल चेली - बौडी उदास लै है जान्छी । " घुघूती चडिक " कूक उनार मन कें व्याकुल ली कर दी छी और सुख लै । आज घुघूती त्याराक मौक में एक भौते पुराण कुमाऊँनी लोक गीतक आनन्द लीजियो :-
ए नि बासा घुघूती रुन झुन ,
म्यार मैता का देसा रुन झुन ,
मेरी ईजु सुणौली रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन।
कै चांणछी पगली तु ऊडी ?
तेरि दासा देखी लागि जाँछी ,
मैं निसासा घुघूती रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन ।
काटी खांछ गाड को सुसात ,
मैं चानै रै गयुं वीको बाट ,
रवे उठी छ परानी सुवै की ,
मैं उदासा घुघूती रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन।
मेरी ईजु सुणौली रुन झुन ,
म्यार मैता का देसा रुन झुन ,
खेडी खांछी भागी तेरी वाणी ,
रवेइ मरी इकली परानी ,
को बतालो मेरी हइ गेछ ,
कसि दासा घुघूती रुन झुन ,
ए नि बासा घुघूती रुन झुन ,
म्यार मैता का देसा रुन झुन ,
मेरी ईजु सुणौली रुन झुना ।
(कुमाऊँ का लोक साहित्य )
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
घुगतीन बियाती मोण ला घुगल (एक हंसौड़ा लोकनृत्य गीत )
स्रोत्र - शिवा नन्द नौटियाल , गढ़वाल के लोकनृत्य
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
फुर घुगती फुर
सड़कूँ का खोल
घुगतीन बियाण ला घुगती मोल। फुर घुगती फुर-
आंखी लाइ ऐना
घुगती न बियाण तै चैत का मैना। फुर घुगती फुर-
नाऊँ धारो गूजा
घुगती बिये गय , कौरा बधाण बालण की पूजा। फुर घुगती फुर-
लागी जाली खूद
कन घुगती तौंकी छई , माणा दूद। फुर घुगती फुर-
काटी जाली खाईं , काटी जाली खाईं
तुमड़ी को पर्या अर भंगल्यट की राई। फुर घुगती फुर-
बल्द धारे जुऊ ,
घुगती छांछ छोळे , छोळण सेर घीऊ। फुर घुगती फुर-
काटी जाली लौकी ,
छोळण सेर घिऊ बोदन , कन घुगती तौंकी। फुर घुगती फुर-
एखी मारी भेखी ,
घुगती घुगती बोदन , आंख्युंन नी देखी।फुर घुगती फुर-
तिमलो को पात ,
छोळण सेर घिऊ बोदन , क्या च बक्की बात। फुर घुगती फुर-
कफू बासो जेठ ,
घुगती बचीं रैली , हम ह्वे जौंला सेठ। फुर घुगती फुर-
ढंडी धोळे जाळा,
गौड़ी -भैंसी बेचीं द्यावा , तैं घुगती पाळा। फुर घुगती फुर-
झंगोरा की धाण ,
घुगती बचीं रैली हमारी , घी दूद खाण। फुर घुगती फुर-
बुति जाली राई ,
घुगतीन दूद दे , कन जमानो आई। फुर घुगती फुर-
कुयेड़ि सी लौंकी ,
चल दीद्यो देखी औंला , कन घुगती तौंकी। फुर घुगती फुर-
खाई जाली बेरा ,
फुर घुगती उड़े , पदानो सेरा। फुर घुगती फुर-
गाड़ी जाला गैणा ,
कैकि घुगती होली , हमन मारी दीणा। फुर घुगती फुर-
गाड़े जालो सैरा।
त्वै तैं मारी देला , औउ घुगती घैरा। फुर घुगती फुर-
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