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Tribute To Gopal Babu Goswami - गोपाल बाबू गोस्वामी(महान गायक) की यादे

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
टक -टक
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुलक मै घर बुलाये ..२

जब आली दगडा परदेश घुमोलो २
माया की डाल मा घर -बार भानोलो -२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुलक मै घर बुलाये ..२

अकेली ना सोचे दगडो भानोलो २
कमला परदेश मा साथ घुमोलो -२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुलक मै घर बुलाये ..२

चिठ्ठी दिए जडूड मै आश लै रो लो -२
तेरी फोटो देखी की मै रात कटूलो -२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुलक मै घर बुलाये ..२

महण दिन हेगे न चिठ्ठी पतरा-२
कैसी माया दी ये मेरी डियूटी बोडरा -२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुलक मै घर बुलाये ..

Pawan Pathak:
6मधुर कंठ के महान गायक की रही विशिष्ट पहचान
 

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कैले बाजे मुरूली..’, ‘बेड़ू पाको बारो मासा..’, ‘हाय तेरी रुमाला, गुलाब मुखड़ी..’, उत्तराखंड के ये सदाबहार लोकगीत अक्सर आपके कानों में गूंजते होंगे। कभी उत्सवों में, कभी समारोहों में तो कभी लोकल टीवी चैनल या सीडी पर। इन गीतों को आप भले ही पहाड़ से दूर बैठे ही क्यों न सुन रहे हों लेकिन ये गीत मन में माटी की सुगंध को महका देते हैं। उस माटी में घुले-मिले लोगों के जीवन को जीवंत कर देती हैं। इन सुप्रसिद्ध गीतों को मधुर आवाज देने वालेमहान लोक गायक थे गोपाल बाबू गोस्वामी। 26 नवंबर को उनकी 19वीं पुण्यतिथि थी। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि राज्य के इस महान गायक के नाम को सरकार से लेकर आम जन तक भूल चुकी है। 1गोपाल गिरी गोस्वामी चौखुटिया (अल्मोड़ा) के छोटे से गांव चांदीखेत में दो फरवरी, 1941 को जन्मे थे। देश की तरह यह क्षेत्र भी ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। गांव में गरीबी थी। उन्होंने कक्षा पांच तक पढ़ाई की। क्षेत्र की परंपरा के अनुसार नौकरी के लिए दिल्ली भटकने लगे। छोटे-मोटे सभी काम किए। ट्रक भी चलाना पड़ा, लेकिन मन गीत-संगीत के अलावा कहीं नहीं रमता। मदारी का काम शुरू किया तब कुमाऊं में जगह-जगह उत्सव, मेले आयोजित होते थे। इन मेलों में गोपाल गिरी गोस्वामी गीत गाते थे और मदारी का खेल दिखाया करते थे। अल्मोड़ा के नंदा देवी मेले में कुमाऊं संगीत के पारखी ब्रजेंद्रलाल साह की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने गोपाल बाबू को अपने शिष्य प्रसिद्ध गीतकार गिरीश तिवारी गिर्दा के पास भेज दिया। गिर्दा ने बालक की प्रतिभा देख सांग एंड ड्रामा डिविजन की नैनीताल शाखा में बतौर कलाकार नियुक्ति कर दिया। गोपाल गोस्वामी का भाग्य खुल गया। यहां पर उनका पहला गीत ‘कैले बाजे मुरली, बैंणा, ऊंची-ऊंची ड्यान्यू मां..’ रिकॉर्ड हुआ। प्रेमिका के विरह का यह सुंदर गीत को आज भी लोग चाव से सुनते हैं। धीरे-धीरे वह वह गोपाल बाबू नाम से प्रसिद्ध हो गए। उन्होंने लगातार 55 साल तक 550 से अधिक गीतों को स्वर दिए, जिसमें अधिकांश गीत आज भी हंिदूी फिल्म जगत के महान गायक किशोर कुमार के गीतों की तरह सदाबहार हैं। 26 नवंबर, 1996 में ब्रेन ट्यूमर की बीमारी ने उनका शरीर छीन लिया, लेकिन उत्तराखंड की लोकगीत-संगीत की फिजाओं में उनके स्वर आज भी वैसे ही गूंज रहे हैं।

Source- http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/26-nov-2015-edition-Pithoragarh-page_7-25521-5109-140.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
हिमाला को.........
हिमाला को....
हिमाला को उंचा डांडा,प्यारो मेरो गांव,
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं ।
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
हिमाला को.....हिमाला को..
यो भुमि जनम मेरा, माधोसिंह मलेखा
यो भुमि जनम मेरा, माधोसिंह मलेखा,
गबर सिंह,चन्दर सिंह,आजादि का पैदा.
मिटायो जुलम तैको, दिखायो उजायो
मिटायो जुलम तैको, दिखायो उजायो..
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
हिमाला को.....हिमाला को..
गोरिया अवतारि देवा, द्वि भाइ रमौला
हिट्ज्यु भुमिया देवा, भोलू गंगनाथा
जनमि अवतारि नंदादेबि रे कल्याणू
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
हिमाला को.....हिमाला को ।

One of the Best song

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
काली गंगा को कालो पाणी, काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो
यो जुन्याली रात मे, हाय जुन्याली रात में, यो जुन्याली रात मे, हाय जुन्याली रात में
काली गंगा को कालो पाणी, काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो
नाख में कि फूलि सुआ, नाख में कि फूली, नाख में कि फूलि सुआ, नाख में कि फूली
पंछी बनूं उड़योनो रात यो जुन्याली,पंछे बनूं उड़योनो रात यो जुन्याली
काली गंगा को कालो पाणी,यो काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो
यो जुन्याली रात मे, यो जुन्याली रात में , हाय जुन्याली रात मे, यो जुन्याली रात में
काली गंगा को कालो पाणी, ओ काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो
माछी ले फटक मारी बलुवा माटी मा, माछी ले फटक मारी बलुवा माटी मा !
तुम बिना निश्वासी गयूं हौसिया घाटयूं (घांटी) मा, तुम बिना निश्वासी गयूं हौसिया घाटयूं (घांटी) मा !!
काली गंगा को कालो पाणी,यो काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो
यो जुन्याली रात मे, हाय जुन्याली रात में , यो जुन्याली रात मे, यो जुन्याली रात में
काली गंगा को कालो पाणी,यो काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो
मुलमुल हसी रे सुवा आगासै (आकासै) की जून,मुलमुल हसी रे सुवा आगासै (आकासै) की जून ।
आस में निश्वासी गो छो यो विरही मना, आस में निश्वासी गो छो यो विरही मना
काली गंगा को कालो पाणी,यो काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो
हाय जुन्याली रात मे, यो जुन्याली रात में , हाय जुन्याली रात मे, यो जुन्याली रात में
काली गंगा को कालो पाणी,यो काली गंगा को कालो पाणी
कैलो कैलो, छैलो छैलो, कैलो कैलो, छैलो छैलो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Jivan Pathak
Yesterday at 6:39am
ओह मेरी कमला तो रोये ना
ओह सुवा घर उना में चम्
ओह सुवा जाण छो जरुर
ओह सुवा आंस खेडू तू झन
तख - तख न कर सुवा
ना घुरायो आँख
तेरी मुखडी सुवा मेरी कलेजी काख
यो सार डानो मा
ओह सुवा झन रो तू झनओह मेरी कमला तो रोये ना
ओह सुवा घर उना में चम्
ओह सुवा जाण छो जरुर
ओह सुवा आंस खेडू तू झनतेरी हाथो घर की लाज, मेरी हाथ देश कि
दिना रिये राजी खुशी, अपुन घर की
बाटा घाटा मे, ओह सुवा झन रोये तो झन ओह मेरी कमला तो रोये ना
ओह सुवा घर उना में चम्
ओह सुवा जाण छो जरुर ओह सुवा आंस खेडू तू झनद्वी महीना छुट्टी सुवा, जब उना घर
देवी का मन्दिर हम चदूना छतर
तू लागी रे ये काम मा
ओह सुवा घर उना चामओह मेरी कमला तो रोये ना
ओह सुवा घर उना में चम्
ओह सुवा जाण छो जरुर
ओह सुवा आंस खेडू तू झनओह मेरी कमला तो रोये ना
ओह सुवा घर उना में चम्
ओह सुवा जाण छो जरुर
ओह सुवा आंस खेडू तू झन
-श्री गोपाल बाबू गोस्वामी

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