Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
Tribute To Gopal Babu Goswami - गोपाल बाबू गोस्वामी(महान गायक) की यादे
पंकज सिंह महर:
हाय-हाय सुपारी खाय-खाय, सुण माया- क्या रामरो घाम लाग्यूं छ-2
धार मैं देवी को थान दूध लै नवायो-2
तेरि माया एसि लागि मैं पगली गयो-2
हाय-हाय सुपारी खाय-खाय, सुण माया- क्या रामरो घाम लाग्यूं छ-2
चमकनि गिलास माजा रमकनि चाहा छ-2
तेरि मेरि माया देखि दुनियां कें दाहा छ-2
हाय-हाय सुपारी खाय-खाय, सुण माया- क्या रामरो घाम लाग्यूं छ-2
मखमलि आंगडि तेरि चमकनि घाघरि-2
टिक बिंदुलि नथ फौजियां, चमकि रै पिछौडी-2
हाय-हाय सुपारी खाय-खाय, सुण माया- क्या रामरो घाम लाग्यूं छ-2
देवि जसो रूप तेरो माया को मूरत-2
सौ जनम तक तेरो है गयूं भगत-2
हाय-हाय सुपारी खाय-खाय, सुण माया- क्या रामरो घाम लाग्यूं छ-2
पंकज सिंह महर:
न रो चेलि न रो मेरि लाल, जा चेलि जा सौरास-2
दुनिया की रीत पौथा, तसि छ चलिया-2
पर घर धन हुनि चेलिया बेटिया.
चुपै जा नि मार बबा डाड-2
जा चेलि जा सौरास
न रो पौथा न रो मेरि लाल, जा चेलि जा सौरास
बार त्यौहार चेलि ऊनि जानु रयै-2
अपना बाबा के चेलि भेटन रेजये
तेरो है जो सारो संसार-2
जा चेलि जा सौरास
न रो चेलि न रो मेरि लाल, जा चेलि जा सौरास
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
एक फौजी घर से जाते वक्त अपनी पत्नी को किस तरह समझाता है गोस्वामी जी के एक गाने के कुछ लाइन "
ओह मेरी कमला तो रोये ना
ओह सुवा घर उना मा चम
ओह कमो जानो छो जरुर
ओह कमो डाड मारो तो जहाँ
द्वि महिना छुट्टी सुवा जब उना घर
देवी का मन्दिर हम चदूना छत्तर
ओह मेरी कमला तो रोये ना
ओह सुवा घर उना मा चम
पंकज सिंह महर:
जै मैय्याऽऽऽऽऽऽऽ
जै मैय्या दुर्गा भवानी, जै मैय्याऽऽऽऽऽ
तेरी सिंह की माता सवारी, हाथ चक्र सुदर्शन धारी,
डाणा-काना में है रौछ वास, पुन्यागिरी में जलि रे जोतऽऽऽऽऽ
जै मैय्या दुर्गा भवानी, जै मैय्याऽऽऽऽऽ
तेरी जैकार माता उपटा, तेरी जै-जै हो देवी का धुरा,
तेरी जैकार माता गंगोली, तेरी जैकार मायधार काली,
जै मैय्या दुर्गा भवानी, जै मैय्याऽऽऽऽऽ
पुन्यागिरी की सिंह वाहिनी, तेरी जैकार शंख वादिनी,
तेरी जैकार हे माता नन्दा, तेरी जैकार देवी मानिला,
तेरो गोपाल जोडछू हाथ, धरी दिये मां सबु की तू लाज,
जै मैय्या दुर्गा भवानी, जै मैय्याऽऽऽऽऽ
पंकज सिंह महर:
भुरु-भुरु उज्यावा है गो........
भुरु-भुरु उज्यावा है गो, डाणा-काना में सुर्र-सुर्र,
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र, हवा चली रे फुर्र-फुर्र,
भुरु-भुरु उज्यावा है गो........
जागण बैगे शिव कैलाशा, देवी-देवता हिवांली-कांठा, होऽऽऽऽऽऽऽ
शिव को डमरु बाजो, मेरी हिमाला डम-डम, ढांडी बाजी के टन्न-टन्न,
भुरु-भुरु उज्यावा है गो........
हाथु-हाथु में तामा गागरी, पाणी हूं न्है गै सुघड़ नारी....
खुट्यू का झंवर बजनी, बाटा-घाटा में छम्म-छम्म, बाजी गागरी टुन-टुन,
भुरु-भुरु उज्यावा है गो........
गैला पातला न्योली कफुवा, रंग बिरंगा चड़-पुतिला...होऽऽऽऽऽ
घुघुती बासन भैगे, उड़ घिनोली फुर्र-फुर्र, डाय-बाटु मा सुर्र-सुर्र,
भुरु-भुरु उज्यावा है गो........
भुरु-भुरु उज्यावा है गो........
भुरु-भुरु उज्यावा है गो, डाणा-काना में सुर्र-सुर्र,
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र, हवा चली रे फुर्र-फुर्र,
भुरु-भुरु उज्यावा है गो........
Navigation
[0] Message Index
[#] Next page
[*] Previous page
Go to full version