Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत

Typical Words of Folk Music of Uttarakhand-क्या है लोक संगीत के ये शब्द

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:




बाजुरा
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यह शब्द मैंने एक झोडा में बागेश्वर जिले के भनार के श्री बजैण देवता के मंदिर में मेले के दौरान यह शब्द को मैंने सुना! झोडा था-

            रौख टाकी तान मेरो बाजुरा
            रौख टाकी तान मेरो बाजुरा
             
            तेरी भलायी लियोना बाजुरा ..

इसका मतलब अभी तक मै पता कर पाया लेकिन यह शब्द अन्य झोडा में भी इस्तेमाल किया गया है !
                 

खीमसिंह रावत:
धौस्ल्य गोल घेरे  में तेज गति से कदम मिलाकर गाया जाता है युवक युवतियों को यह विधा ज्यादा पसंद होती है
अकसर देखने में आता है की झोडा गीत समाप्त करने के बाद धौसल्य गाते हैं शरीर  में एक स्पूर्ति आ जाती है धौस्ल्य का एक गीत :-

"ओ रे बुडा  धौसल्या, बुड छे बुडा धौसल्या |"

राजा हरु हीत की किताब में भी धौस्ल्य का वर्णन आया है| जब हरु हीत की भाभियों को पता लगा की हरु हीत अपनी शादी के लिए लड़की खोज रहा है तो भाभिया गुस्सा होकर घर से भाग गई | रास्ते में सात भाभियों ने धौस्ल्य गीत गा कर हरु हीत की अनिष्ट की कामना की |
 

खीमसिंह रावत:
एक शब्द अकसर सुना है "झन्का"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


धिंग तालो
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मैंने यह शब्द मेरु सुहाग फिल्म के एक गाने में सुना था जो की अनिल बिष्ट जी ने गाया हुवा था,फिल्म में यह गाना शादी के अवसर पर गाया जाता है! बोल है "
 

     मेरु दगडी ब्यो छो, दीदा  धिंग तालो
    धिंग तालो he  , धिंग तालो  धिंग तालो ,

धनेश कोठारी:
‘धिंगतालो’ शब्द अधिकांशतः विवाह गीतों में प्रयुक्त हुआ है। ‘धिंगतालो’ की उत्पति भी ढोल के तालस्वर से हुई है। यह भी माना जा सकता है कि ‘धिंगतालो’ मांगलिक या हर्षोल्लास के मौकों पर उत्साह, उमंग, खुशी व ‘रौंस’ प्रदर्शित करने के लिए मध्यस्थ शब्द है।

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