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Dr Lalit Mohan Pant, World's Fastest Surgeon from Khantoli, Uttarakhand डॉ ललित

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Lalit Mohan Pant
June 10 ·
क्या इन नारों को दिमागों तक पहुँचाने के लिये जुबाँ और नज़रों की राह मिल पायेगी …. ???

अबकी बार   ….  एन एस वी  यार   …
 

 

होगा  विकास में हम सबका हाथ पर्यावरण से संतुलन के साथ  … (१)

 

 

दुनिया में अव्वल होगा यह मुल्क अपनाएँ सब साधन हैं निःशुल्क . (२)

 

 

पुरुषों की है जिम्मेदारी माँ ,पत्नी और बिटिया प्यारी  … (३)

 


एन एस वी बिल्कुल आसान कर भरोसा , मन में ठान  …    (४)


क्यों थोड़ा भी दुःख पायें हम कुछ तो फर्ज निभायें हमजब जागे हो तभी सवेरा एन एस वी अपनायें हम। … (5)

 

 

कंडोम कॉपर टी खाने की गोली साथ निभाती हैं हमजोली  … (६)

 

- डॉ. ललित मोहन पन्त

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
एक अर्से के बाद …

एक अर्से के बाद

भीतर का ज्वालामुखी

बह जाना चाहता है /लावे की तरह

अंतर से कलम

और कलम से कागज़ तक

फैला हुआ लावा

कई समझौतों से गुजरता है

छोड़ कर मुहाने पर अपनी आग

तलहटी पर सिमटता है …

अर्से के बाद

हर बार इसी तरह

ज्वालामुखी फूटते हैं

कभी कलम से /तो कभी जुबाँ से

पर पिघला हुआ लावा

एक दिन जम जाता है

बर्फ से पाषाणों में

पिघलना /गरजना /उछलना /बहना

फिर जम जाना पाषाणों में

नियत है नियति से

या फिर विवशता ???

 

-ललित मोहन पन्त

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Lalit Mohan Pant
April 18, 2012 ·

माननीय मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन द्वारा विगत दो वर्षों में प्रदेश में परिवार नियोजन वर्ष घोषित कर अभियान चलाया गया .पिछले वर्ष प्रदेश ने देश भर में प्रथम स्थान पाया .
राज्य शासन द्वारा शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ एवं राज्य प्रशिक्षक डॉक्टर ललित मोहन पन्त - को उनके सर्वाधिक योगदान पर
माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री नरोत्तम मिश्र एवं प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्री मोहंती द्वारा हस्ताक्षरित
अभिनन्दन पत्र प्रेषित किया गया .डॉक्टर ललित मोहन पन्त द्वारा संदर्भित वर्ष में 29183 नसबंदी ऑपरेशन किये गए .

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Lalit Mohan Pant
6 hrs ·

सुन रहे हो ना ?

इस अंधड़ में
न जाने कब
"मैं " और "तुम"
बिछड़ गए है …
मैं सूखे पत्ते सा
डोलता रहा हूँ
हवा के साथ
कभी ऊपर कभी नीचे
और कभी चक्रवात में
फिरकी की तरह
जब थम जाती है हवा
तब तुम याद आते हो बहुत
जानता हूँ तुम्हारे बिना
मेरी कोई अस्मिता नहीं
और तुम्हें भी तो
मेरी जरूरत है
उतनी ही जितनी मुझे
मैं शरीर हूँ तुम प्राण
मैं फल हूँ तुम रस
फिर क्यों छूट जाता है हाथ
चलते- चलते ?
इसके पहले कि निर्मम वक़्त
रौंदे मुझे
और अंधड़ की हवायें
फिर से ले उड़ें मुझे
तुमसे दूर
भीतर कहीं मन की गहराइयों में
तुम्हें ढूँढ लेना चाहता हूँ
जहाँ सुना है तुम
गुम्फित हो
अनहद नाद से
औरआलोकित हो
नयनाभिराम नीले प्रकाश से
सुन रहे हो ना ?
मैं भी सहयात्री होना चाहता हूँ तुम्हारा
अनंत से .... अनंत का ....

-ललित मोहन पंत
१२. ०५ .२०१५
१. ४६ रात्रि

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Lalit Mohan Pant
6 hrs ·

सुन रहे हो ना ?

इस अंधड़ में
न जाने कब
"मैं " और "तुम"
बिछड़ गए है …
मैं सूखे पत्ते सा
डोलता रहा हूँ
हवा के साथ
कभी ऊपर कभी नीचे
और कभी चक्रवात में
फिरकी की तरह
जब थम जाती है हवा
तब तुम याद आते हो बहुत
जानता हूँ तुम्हारे बिना
मेरी कोई अस्मिता नहीं
और तुम्हें भी तो
मेरी जरूरत है
उतनी ही जितनी मुझे
मैं शरीर हूँ तुम प्राण
मैं फल हूँ तुम रस
फिर क्यों छूट जाता है हाथ
चलते- चलते ?
इसके पहले कि निर्मम वक़्त
रौंदे मुझे
और अंधड़ की हवायें
फिर से ले उड़ें मुझे
तुमसे दूर
भीतर कहीं मन की गहराइयों में
तुम्हें ढूँढ लेना चाहता हूँ
जहाँ सुना है तुम
गुम्फित हो
अनहद नाद से
औरआलोकित हो
नयनाभिराम नीले प्रकाश से
सुन रहे हो ना ?
मैं भी सहयात्री होना चाहता हूँ तुम्हारा
अनंत से .... अनंत का ....

-ललित मोहन पंत
१२. ०५ .२०१५
१. ४६ रात्रि

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