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NSG Commando Gajendra Singh /अमर शहीद गजेन्द्र सिंह बिष्ट

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पंकज सिंह महर:

देहरादून, जागरण संवाददाता: नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) की नजरें सिर्फ टारगेट पर होती हैं। वह नहीं जानता कि दुश्मन कौन है और कहां से आया है। उसके लिए दुश्मन खत्म और मिशन पूरा। एनएसजी के डायरेक्टर जनरल ज्योति कृष्ण दत्ता ने प्रेसवार्ता में एनएसजी की भूमिका स्पष्ट की। मुंबई आतंकी हमले में हुए शहीद कमांडो गजेंद्र सिंह बिष्ट के परिजनों से मिलने आए श्री दत्ता ने कहा कि गजेंद्र का नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजा गया है। शुक्रवार दोपहर को एनएसजी के डीजी जेके दत्ता गणेशपुर गांव में शहीद गजेंद्र सिंह के घर पहुंचे। उन्होंने गजेंद्र को श्रद्धांजलि अर्पित कर गजेंद्र की पत्नी विनीता, मां और भाई को सांत्वना दी और हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। श्री दत्ता ने कहा कि गजेंद्र का बलिदान देश याद रखेगा। इस मौके पर संवाददाताओं से बातचीत में डीजी जेके दत्ता ने कहा कि एनएसजी को सिर्फ टारगेट से मतलब होता है। दुश्मन कौन है और कहां से आया, यह देखना अन्य सुरक्षा एजेंसियों का काम है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही मुंबई, चेन्नई व कोलकाता में एनएसजी के रीजनल सेंटर खोले जाएंगे। हैदराबाद या भोपाल में से एक नाम पर सहमति बनने के बाद वहां भी रीजनल सेंटर खुलेगा। श्री दत्ता ने कहा कि एनएसजी का ढांचा पर्याप्त है। थोड़ी बहुत कमी तो चलती रहती है, इसे डेपुटेशन के जरिए आर्मी व पैरामिलिट्री फोर्स से दूर कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले में कार्रवाई के वक्त आतंकी बार-बार तरीका बदल रहे थे। वे प्री-प्लांड थे और आधुनिक हथियारों से लैस थे। पहले उन्हें जिंदा पकड़ने की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने बताया कि जब उन्हें सरेंडर करने को कहा जाता तो वे गाली-गलौज और फायरिंग करने लगते। गोली का जवाब तो गोली से ही दिया जा सकता है। ताज, ओबराय होटल और नरीमन हाउस खाली कराने में एनएसजी के 470 अफसर व कमांडो शामिल थे। इसके अलावा 150 कमांडो रिजर्व में रखे गए थे। श्री दत्ता ने कहा कि एनएसजी की ओर से गजेंद्र का नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजा गया है।   [/b]

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