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PRASOON JOSHI - AD GURU, LYRICIST IN BOLLYHOOD FROM UTTARAKHAND

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
उत्तराखंड मूल के प्रसिद्ध गीतकार, ऐड गुरु प्रसून जोशी जी ने लिखा है भारतीय जनता पार्टी के लिए एक देशभक्ति से ओत प्रोत कविता। जिसका ऑडियो के रूप में आज बीजेपी ने लांच कर दिया है जिसे चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जायेगा। गायक सुखविंदर और संगीत आदेश श्रीवास्तव। गीत लाइन देखिये

सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा
मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।

मेरी धरती मुझसे पूछ रही, कब मेरा कर्ज चुकाओगे?
मेरा अंबर पूछ रहा कब अपना फर्ज निभाओगे?

वे लूट रहे सपनो को मैं चैन से कैसे सो जाऊं
वे बेच रहे भारत को खामोश मै कैसे हो जाऊं
मैंने कसम उठाई है मै देश नहीं बिकने दूंगा

वो जितने अंधेरे लाएंगे मै उतने उजाले लाऊंगा
वो जितनी रात बढ़ाएंगे मै उतने सूरज उगाऊंगा।
इस छल-फरेब की आंधी में मैं दीप नहीं बुझने दूंगा!

वे चाहते हैं जागे न कोई, बस रात का कारोबार चले
वे नशा बांटते जाएं, और देश यूंही बीमार चल....
पर जाग रहा है देश मेरा, हर भारतवासी जीतेगा!

मांओं बहनों की अस्मत पर, गिद्ध नजर लगाए बैठे हैं
मैं अपने देश की धरती पर अब दर्द नहीं उगने दूंगा

अब घड़ी फैसले की आई,हमने है कसम खाई
हमें फिर से दोहराना है,खुद को याद दिलाना है
न भटकेगे न अटकेगे, कुछ भी हो
इस बार हम देश नहीं मिटने देगे!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
एड गुरु बनने से पहले कुछ ऐसे रहते ‌थे सेंसर बोर्ड ने नए चेयरमैन प्रसून जोशी

जाने माने कवि कवि, गीतकार और एड गुरु प्रसून जोशी को फिल्म सेंसर बोर्ड का चेयरमैन बनाए जाने से उत्तराखंड के लोग बेहद खुश हैं। आइए जानते हैं प्रसून के जीवन की कुछ अनकही बातें.. मूल रूप से अल्मोड़ा के जाखनदेवी मोहल्ले में रहने वाले प्रसून का अल्मोड़ा से गहरा लगाव रहा है। तारे जमी पर, रंग दे बसंती, फना जैसी हिट फिल्मों के गीतकार और विज्ञापन के क्षेत्र में अनूठे प्रयोगों के लिए अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कर चुके प्रसून जोशी का जन्म अल्मोड़ा के जाखनदेवी मोहल्ले में हुआ। उनके पिता डीके जोशी शिक्षा विभाग में अधिकारी थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गोपेश्वर और नरेंद्रनगर गढ़वाल में हुई। गाजियाबाद से एमबीए करने के बाद वह 1992 में विज्ञापन की दुनियां से जुड़ गए। मूलत: वह कवि हैं। 1996 में उनका पहला एलबम अब के सावन आया निकला। वह तारे जमी पर, रंग दे बसंती, फना जैसी हिट फिल्मों के साथ ही एक दर्जन से अधिक चर्चित फिल्मों के लिए गीत लिख चुके हैं। उन्हें दो बार फिल्म फेयर और दो बार आइफा समेत कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।

प्रसून जोशी के गीतों और विज्ञापनों में पहाड़ और प्रकृति का विशेष स्थान रहता है। उन्होंने अपने कई गीतों और विज्ञापनों में पहाड़ का चित्रण करने के साथ ही यहां के परिवेश को संजोया है। कुछ साल पहले अल्मोड़ा में अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा था कि किसी क्षण जब वह अटक जाते हैं तब प्रकृति का सहारा लेकर ही आगे बढ़ते हैं। उनका कहना था कि पहाड़ सबको अपना लेता है और इस अंचल ने उन्हें खुली सोच दी है।

प्रसून जोशी का जन्म उत्तराखंड में 1971 में हुआ। उन्हें विज्ञापन और फिल्म जगत के सम्मानित लोगों में गिना जाता है। उन्होंने कई फिल्मों के गाने, डायलॉग और स्क्र्तीनप्ले लिखे हैं। प्रसून ने 17 साल की उम्र में लिखना शुरू कर दिया था। एमबीए करने के बाद प्रसून ने दस साल एक कंपनी में काम किया। फिर मैकैन एरिक्सन से जुड़े। आखिरकार राजकुमार संतोषी की फिल्म लज्जा से उन्हें फिल्मों में एंट्री मिली।

लेखक, गीतकार, एड गुरु और मार्केटिंग इंडस्ट्री की मशहूर शख्सियत हैं। जोशी को दो बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। ये अवार्ड उन्हें तारे जमीं पर और चिटगॉन्ग फिल्मों के गीतों के लिए दिया गया है। 2015 में कला, साहित्य और एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया।

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