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आस्ट्रेलिया में खड़कूभल्या का झंडा[/t][/t][/t] |
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खड़कूभल्या (पिथौरागढ़)। पिथौरागढ़ के लाल अंडर 19 टीम के कप्तान उन्मुक्त चंद के गांव खड़कूभल्या में क्रिकेट का जूनियर विश्वकप जीतने की खुशी का आलम यह था कि गांव के लोगों ने अगस्त के महीने में होली मना डाली। जिला पंचायत अध्यक्ष सुनीता देवी और मूनाकोट के ज्येष्ठ प्रमुख अकेले ऐसे जनप्रतिनिधि थे, जिन्होंने उन्मुक्त के गांव पहुंचकर गांववासियों को बधाई दी।
रविवार की दोपहर साढ़े तीन बजे अमर उजाला की टीम जिला मुख्यालय से 37 किमी की दूरी पर स्थित भारतीय क्रिकेट के उबरते सितारे उन्मुक्त चंद के गांव खड़कूभल्या पहुंची तो गांव के लोग जश्न में डूबे हुए थे। क्या बूढ़े, क्या बच्चे, क्या जवान एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई दे रहे थे। ढोल नगाड़ों के साथ ही अन्य बाध्ययंत्रों के साथ झूम रहे थे। अबीर, गुलाल उड़ा रहे थे। गांव के लोगों ने ढोल, नगाड़ों के साथ पूरे गांव में घूमकर जूनियर भारतीय टीम की जीत और कप्तान उन्मुक्त की सफलता का जश्न मनाया। गांव के लोगों का बस एक ही ख्वाब है कि वह जल्द से जल्द भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने और गांव आकर अपने सगे संबंधियों से मुलाकात करे।
उन्मुक्त के रिश्ते के ताऊ जोगा चंद, ताई सरस्वती चंद के साथ ही गांव के लोग खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। गांव के युवाओं की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। युवा मनोज चंद, मोहन चंद, खड़क बहादुर चंद, महिमन चंद, भूपाल चंद, जनक चंद, अशोक चंद, पूरन चंद, दीपक चंद, महेश चंद, नवीन चंद के साथ ही उन्मुक्त के रिश्ते के चाचा अर्जुन चंद, बुजुर्ग बची चंद, रामी चंद, मदन चंद, मोदन चंद, होशियार चंद, रूपा देवी, रूपसी देवी, लछिमा देवी, पार्वती देवी को पूरी उम्मीद है कि उन्मुक्त जल्द ही अपने परिवार के साथ गांव आएगा। गांव के लोगों ने 2007 में भरत चंद के लाड़ले पुत्र उन्मुक्त को अपने गांव में अंतिम बार देखा है। तब नन्हा सा उन्मुक्त अपने चाचा की अंगुली पकड़कर गांव में घूमा था। वह अपने चाचा सुंदर चंद ठाकुर के साथ अपने ईष्ट ठाकुर देवता के दर्शनों को आए थे।
(Source - Amar Ujala) [/td][/tr][/table]