Author Topic: Exclusive Photos of Tehri Dam, Uttarakhand-टिहरी गढ़वाल और डाम की कुछ तस्वीरें  (Read 210508 times)

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नई टिहरी गढ़वाल। कभी राजशाही, स्वतंत्रता आंदोलन और देश के सबसे बड़े बांध के निर्माण के कारण चर्चा में रहा टिहरी जनपद एक बार फिर बहस के केंद्र में है। अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। दरअसल, गत चार माह में विस्फोटकों के साथ माओवादियों के पकड़े जाने की घटनाओं ने शासन समेत टिहरी प्रशासन की भी पेशानी पर बल डाल दिया है। दरअसल, इन दोनों घटनाओं में उक्त माओवादियों के तार टिहरी जनपद से जुड़ने की बात सामने आई है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि कहीं उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों में सक्रिय माओवादियों को खाद-पानी टिहरी से ही तो नहीं मिल रहा है।

देश का सबसे बड़ा टिहरी बांध की वजह से जिला बेहद संवेदनशील है। टिहरी बांध के साथ ही जनपद में छोटी-बड़ी दर्जनों जल विद्युत परियोजनाएं चल रही है। इसमें अधिकतर भिलंगना घाटी में है। इन परियोजनाओं में बाहरी मजदूर, जिसमें बड़ी संख्या में नेपाली मूल के लोग, हैं। ऐसे में बार-बार संदिग्ध माओवादियों के तार टिहरी से जुड़ने से मामला गंभीर हो जाता है। खुफिया विभाग भी जनपद में माओवादी गतिविधियों से इंकार नहीं करता है। वर्ष 2006 के अंत में बहुउद्देशीय टिहरी बांध के समीप विस्फोटकों के साथ नेपाल मूल के एक व्यक्ति को सीआईएसएफ के जवानों ने गिरफ्तार किया था। वह विस्फोटक लेकर टिहरी बांध के आस-पास किस उदद्ेश्य से घूम रहा था, इस सवाल का जवाब अब तक नहीं मिल सका है। इसके बाद वर्ष 2009 में मई माह के शुरुआती सप्ताह में भारत-नेपाल सीमा पर बहराइच में एक संदिग्ध माओवादी विस्फोटकों के साथ पकड़ा गया था। पुलिस पूछताछ में उसने टिहरी जनपद से विस्फोटक लाने की बात कबूली थी। इन दो घटनाओं के बाद भी न तो स्थानीय पुलिस प्रशासन ने संदिग्धों की जांच पड़ताल की और ना ही परियोजनाओं की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई। चार माह के अंदर गत मंगलवार को भारत-नेपाल सीमा पर पकड़े गए दो माओवादियों ने स्वीकारा कि वे टिहरी से विस्फोटकर लेकर आए थे। इसके बाद से स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।

यहां सवाल यह भी है कि आखिर संदिग्ध माओवादियों को विस्फोटक कहां से मिले और उससे भी बड़ा सवाल यह कि आखिर वे विस्फोटक लेकर जनपद से कैसे निकल गए। यह सवाल भी उठने लगा है कि कहीं टिहरी माओवादी गतिविधियों के निशाने पर तो नहीं और कौन लोग यहां मजदूरों के बीच सक्रिय हैं। बड़ी बात यह है कि अब तक पुलिस किसी भी सवाल का जवाब ढूंढ नहीं पाई है। इन सब घटनाओं ने यह भी साफ कर दिया है कि सुरक्षा में कहीं न कहीं छेद जरूर है। इस बारे में प्रभारी पुलिस अधीक्षक हरीश कुमार का कहना है कि संदिग्धों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

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