Author Topic: मेरे गांव भड़कटिया की होली की फोटो : Holi Pics of my village, Bharkatiya  (Read 26849 times)

हेम पन्त

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सभी दोस्तों को प्रणाम,
आशा है आपकी होली भी मेरी तरह ही यादगार रही होगी. सौभाग्य् से इस बार 7-8 साल के बाद मुझे अपने गांव भड़कटिया, जिला पिथौरागढ में होली मनाने का मौका मिला.  कुमाऊँ अंचल के अन्य स्थानों की तरह ही मेरे गांव में भी खड़ी होली का आयोजन एकादशी के दिन शुरु हो जाता है और ’छलड़ी’ के दिन तक चलता है, अर्थात लगभग 5-6 दिन तक.

इस होली में रंगों के साथ ही गीत-संगीत का विशेष महत्व है. आइये आपके साथ कुछ तस्वीरों के माध्यम से इस होली के कुछ क्षण बांटने की कोशिश करता हूँ.


"चीर" बांधने का पेड़

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Bhai pics ka besabri se intezaar hai :)

हेम पन्त

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हेम पन्त

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खड़ी होली की मुख्य विशेषता है, लयबद्ध पदचालन और होली गायन के दौरान विभिन्न पदों पर तदनुसार शरीर के अंगों का प्रयोग..
 

हेम पन्त

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गांव के मन्दिरों में भी होली दल जाकर होली गाता है. यह दृश्य भगवती माता के मन्दिर में होली गायन के दौरान का है.

इस समय यह होली गाई जा रही है-

तुम जै काली कल्याण करो- तुम जै काली
हरे-हरे पीपल द्वार बिराजे, लाल ध्वजा फहराय रहे-तुम जै काली
तुम जै काली कल्याण करो तुम जै काली



हेम पन्त

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’छलड़ी’ यानि होली के आखिरी दिन गांव की सड़क पर होली गाने में मस्त होलियारों की टोली

होली के बोल-

झनकारो-झनकारो-झनकारो
गोरि प्यारो लगो तेरो झनकारो

तुम हो ब्रिज की सुन्दर गोरी, मैं मथुरा को मतवारो
गोरि प्यारो लगो तेरो झनकारो

 


हेम पन्त

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दोपहर के बाद सूर्यास्त होने तक खड़ी होली में भाग लेकर कुछ देर सुस्ता लेने के बाद बैठक होली की महफिल जमाई गई... मुख्यत: बैठक होली में शाश्त्रीय संगीत पर आधारित होलियां गाई जाती है. लेकिन इस फोटो को देखकर आप गलतफहमी ना पालें, यहाँ पहाड़ी गाने ही गाये जा रहे हैं

सालि हो उमर तेरि बालि, तु जालि हो पिया का देस





हेम पन्त

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असली पारम्परिक भाव-भंगिमा के साथ तो अब बुजुर्ग ही होली खेल पाते हैं... यह देखिये क्या सुन्दर तालमेल है


Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Bhai tumhare gaanv main to bade modern makaan bane hue hain :)

हेम पन्त

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ये हमारे राम दा हैं. इनके प्रसिद्ध डायलोग आपको आगे बताये जायेंगे-


 

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