Author Topic: Photo Gallery of My Village- Pothing-Kapkote कैमरे की नजर से मेरा गाँव-पोथिंग  (Read 10216 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]मित्रो, यहाँ मैं अपने गाँव पोथिंग-कपकोट, जनपद-बागेश्वर की कुछ ताजा तस्वीरों को प्रस्तुत कर रहा हूँ जिन्हें मैंने कुछ दिन पूर्व अपने उत्तराखण्ड यात्रा के दौरान ली थी। इन तस्वीरों में मैंने उत्तराखण्ड की सुन्दरता और उत्तराखण्ड के ग्रामीण जीवन को दिखाने की कोशिश की है, आशा है ये तस्वीरें आपको पसन्द आयेंगी।

धन्यवाद

विनोद सिंह गढ़िया
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विनोद सिंह गढ़िया

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खेतों से जौ को टीपती (काटती) उत्तराखण्ड की महिलायें।

विनोद सिंह गढ़िया

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मेरे घर के सामने।

विनोद सिंह गढ़िया

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रिंगाल के सरकंडों से जौ टीपती महिलायें।


विनोद सिंह गढ़िया

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विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]दोस्तों, ये है ठेकी, जिसमें हमारे उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रो में दही जमाया जाता था। एक दौर था जब पर्वतीय क्षेत्रों में ठेकी, डोकले, पाई, फरूवे, नाली, माणा आदि काष्ठ निर्मित पारंपरिक बर्तन यहां की काष्ठ कला के नमूनों में शामिल थे। लोग घरों में इन्हीं पारंपरिक बर्तनों का प्रयोग करते थे। स्टील और नॉन स्टिक बर्तनों के दौर में पर्वतीय क्षेत्रों की काष्ठ कला आज विलुप्तप्राय हो चुकी है ।बर्तनों का निर्माण चुनेरों का पुश्तैनी काम था। विडंबना है कि सरकारी स्तर पर इस कला को संरक्षित रखने का कोई प्रयास अभी तक नहीं हुआ है। लकड़ी की ठेकियों में जमायी गई दही और डोकले का छांछ पर्वतीय समाज के खान पान में विशिष्ट स्थान रखते हैं। ठेकियों का दही हो अथवा डोकले का छांछ , दोनों का स्वाद स्टील के बर्तनों में जमाए दही और मोटर घुमा कर बनी छांछ के स्वाद में जमीन आसमान का अंतर होता है। सांनण और गेठी की लकड़ी से बनी ठेकियों में जमाया हुआ दही स्वादिष्ट और स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी गुणकारी माना जाता है। भले ही आधुनिक शैली के बर्तन रसोई घरों में विशेष चमक दमक के साथ शान बढ़ाते हो, लेकिन स्वाद के मामले में पारंपरिक बर्तनों की तुलना में काफी पीछे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि वक्त के बदलाव के साथ साथ पहाड़ के लोगों का रहन-सहन और खान- पान में काफी बदलाव आया है।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Beautiful photos Gariya Ji..

Now the cultivation has started in Uttarakhand. The life of women is really very tough these days...

Hills are looking more beautiful now..

विनोद सिंह गढ़िया

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