माना गांव, चमोली।
उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन की सीमा से लगे देश के अंतिम गांव माना में चाय की एक छोटी सी दुकान बद्रीनाथ की यात्रा पर जाने वाले हर सैलानी और श्रद्धालु को बरबस अपनी ओर खींच लेती है। वह भारत की आखिरी चाय की दुकान के नाम से लोकप्रिय है।
पर्यटक इस दुकान पर चाय की चुस्कियों का लुत्फ उठाने और फोटो खिंचवाने के दुर्निवार आकर्षण से खुद को रोक नहीं पाता है।
शायद ही कोई ऐसा पर्यटक या श्रद्धालु होगा, जिसके कदम बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर आगे माना में इस दुकान पर लगे, भारत की आखिरी चाय की दुकान के बोर्ड को देखकर ठिठक नहीं जाता होगा। और वह वहां रुककर फोटो नहीं खिंचवाता या चाय नहीं पीता हो।
एक अनुमान के अनुसार इस दुकान पर प्रतिदिन लगभग 4 हजार पर्यटकों के कदम ठिठकते हैं और सैलानी इस बोर्ड के साथ फोटो खिंचवाये बिना नहीं रहते। यही वजह है कि दुकान पर कुछ फोटोग्राफर भी मौजूद रहते हैं जो सैलानियों के यादगार क्षणों को कैमरे में कैद करके अपनी रोजी-रोटी की जुगाड़ कर लेते हैं।
सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र चाय की यह दुकान है चंद्र सिंह बडवाल की है जो लगभग 25 साल से कड़ाके की ठंड में सैलानियों को गर्मागर्म चाय पिला रहे हैं। वह बताते हैं कि जब वह 10 साल के थे तब उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए धनार्जन के वास्ते यह दुकान खोली थी और वह स्कूल में पढ़ने के लिए जाने से पहले और वहां से लौटने के बाद दुकान चलाया करते थे।