Author Topic: PHOTS OF RELIGIOUS PLACES OF GOPESWER,गोपेश्वर, के धार्मिक स्थलों की फोटो  (Read 22396 times)

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मदिंर में शिव और पार्वती की मूर्तियाँ एक के पास एक रखी गई है। कहते है कि यह पास के खेत में मिली थी और एक दिन स्वंम जंहा मदिंर है वहाँ उदित हुई । मंदिर बाद में बनाया गया।
 

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गोपीनाथ मंदिर

लोहे का विशाल त्रिशूल भी परिसर में गड़ा है, जिस पर खुदे अक्षर वर्तमान 6ठी से 7वीं सदी के हैं। 16 फीट ऊंचा त्रिशूल 4 फीट ऊंचे एक सिलिंडरनुमा पिंड पर आधारित है, जिसकी छड़ें 4 फीट लंबी हैं। इस पर चार लेख संस्कृत की नागरी लिपि में हैं जो स्कंदनाग, विष्णुनाग, गणपतनाग जैसे शासकों का वर्णन करते हैं।

 वर्ष 1191 का एक अन्य संस्कृत लेख में नेपाल के माल्ला वंश के शासक अशोक चाल्ला का वर्णन है। कहा जाता है कि आप जितना भी जोर लगा लें त्रिशूल को हिला नहीं सकते, पर एक भक्त अपनी छोटी ऊंगली से छूकर इसे हिला सकता है।



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गज्जेशवर मंदिर

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चोपटा/तुंगनाथ

चोपटा से तुंगनाथ 4,000 फीट ऊंचाई पर 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई है। इसलिये दूरी की बहादुरी भ्रामक हो सकती है। परंतु 80 वर्षीय तुंगनाथ के पंडा महेशानंद मैथानी चोपटा से तुंगनाथ प्रतिदिन पैदल जाते और वापस आते हैं। चढ़ाई निश्चय ही सहज नहीं है (यद्यपि खच्चर उपलब्ध होते हैं)।



 समुद्र तल से 12,000 फीट ऊपर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ का मंदिर देश में भगवान शिव का सर्वोच्च स्थल पर मंदिर है। इस तीसरे पंच केदार में भगवान शिव की छाती तथा ऊपरी बांहों की पूजा होती है। यहां के पुजारी मकूमठ गांव के होते हैं।

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तुंगनाथ क्षेत्र की भूमि का साज-सज्जा मनमोहक है। यहां एक ओर ढलान है जो घनी झाड़ियों में विलीन हो जाता है, सदाबहार जंगल हैं तथा थोड़ी दूरी पर उठती-गिरती घाटियां हैं तथा दूसरी तरफ वास्तव में 90 डिग्री का कगार है। गर्मी के उत्तरार्द्ध बरसात में तुंगनाथ में फूलों के गलीचे बिछ जाते हैं।

जाड़ों में ये ढलान स्कीईंग का आमंत्रण देते हैं, यद्यपि अब तक यह नहीं हुआ है। ढलान पर तीन झरने हैं जो अंत में अक्षकामिनी नदी का निर्माण करते हैं।



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एक हरित घास का मैदान या बुग्याल, चोपटा तुंगनाथ के लिये पड़ाव है। यहां से आप केदारनाथ पथ के ऊपर स्थित पहाड़ियों तथा केदारनाथ एवं चौखंबा शिखर एवं बद्रीनाथ चोटी का पूर्ण दर्शन कर सकते हैं। इन वर्षों में चोपटा के सौंदर्य तथा शांति अनियोजित भोजनालयों की स्थापना से प्रभावित हुआ है।



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