Author Topic: Rudranath temple and Trek Uttarakhand- रुद्रनाथ मंदिर की पहाड़ियां की फोटो  (Read 21557 times)

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RUDRANATH KE DARSHAN KE LIYE PAAR KARNI HOTI HAIN YE CHOTIYAN


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रुद्रनाथ,RUDRANATH

इस स्थान पर भगवान शिव के मुख का पूजन किया जाता है. रुद्रनाथ मंदिर 2286 मीटर की ऊंचाई पर एक मैदान में स्थित है. जहां पहुंचने के लिए काफी ऊंची-ऊंची चोटियों को पार करना पड़ता है. श्रद्धालुजन अपने पूर्वजों के धार्मिक संस्कार पूरे करने के लिए रुद्रनाथ आते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि शरीर त्यागने के पश्चात आत्मा यहां स्थित वैतरणी नदी को पार करके आगे बढ़ती है.

 यह गोपेश्वर से 23 किमी दूरी पर स्थित है. जिससे 5 किमी तक ही गाड़ियों का आवागमन है. शेष 18 किमी की यात्रा पैदल ही तय करनी होती है. इस पैदल के रास्ते में कई मनोहारी दृश्य सामने आते हैं तथा ऊंची पहाड़ियों पर से गुजरना पड़ता है.

 मंदिर चारों ओर से कई छोटे-छोटे तालावों से घिरा हुआ है. जैसे सूर्यकुण्ड, चन्द्रकुण्ड, तारा कुण्ड, मानस कुण्ड इत्यादि, जबकि पीछे की ओर, ऊपर, नंदा देवी, नंदा घंटी, त्रिशूल आदि ऊंची चोटियां हैं. रुद्रनाथ जाने वाले रास्ते पर ही 3 किमी आगे चलने पर अनुसुइया देवी का मंदिर है.


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देवभूमि में अगर प्रति का साक्षात्कार करना हो,तो रुद्रनाथ सबसे उचित कहा जा सकता है। यहां के मखमली पनार बुग्याल इतनेखूबसूरत हैं कि रुद्रनाथ आने वाले श्र(ालु व पर्यटक इन्हें देखकर यहीं बस जाने की ख्वाहिश करने लगते हैं। इसके बावजूदसरकार की ओर से इन बुग्यालों के संरक्षण के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। इसके चलते अपार संभावनाओं के बावजूद ये बुग्याल पर्यटको की नजरों से ओझल हैं।

 रुद्रनाथ के पनार बुग्याल को ध्रती का स्वर्ग कहा जाए,तो अतिश्योत्तिफ नहीं होगी। चारों ओर से बांज,बुरांश, मोरू,खरसू के जंगलों से घिरा पनार बुग्याल अपने आप में विलक्षण व अद्भुत है। जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर सड़क की दूरी पर सगर पहुंचने के बाद वहां से 10 किलोमीटर का पैदल सपफर तय कर चमोली जिले के इस अद्भुतपनार बुग्याल में पहुंचा जाता है।

 पर्यटक इसलिए भी यहां पहुंकर यही का हो जाता है क्योंकि प्रति ने अपनी खूबसूरती यहांइस कदर बिछा रखी है कि पगपग पर प्रति के अनेक रूपों के दर्शन होते हैं, लेकिन सरकार की ओर से इस खूबसूरत मखमली बुग्याल केसंरक्षण के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता सत्येंद्र रावत का कहना है कि इतना खूबसूरत पर्यटक स्थल शायद ही कहीं और हो।

लेकिन पनार तक पहुंचने के लिए जो पैदल मार्ग है उसकी हालत कापफी दयनीय बनी हुई है। विकट व दुरूहहोने के कारण पर्यटक इस पैदल मार्ग पर जान हथेली पर रखकर सपफर कर रहे हैं। पानी की समस्या भी यहां लगातार विकराल होती जारही है। उन्होने कहा कि कई बार वह इस संबंध् में शासन प्रशासन को अवगत करा चुके हैं लेकिन पिफलहाल किसी भी स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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The Rudranath temple is believed to be established by the Pandavas, the heroes of the Hindu epic Mahabharata. Legend has it that the Pandavas came to the Himalayan mountains in search of god Shiva,

 to redeem them of the sins of killing in the epic Kurukshetra war. God Shiva did not want to meet them and escaped in form of a bull in the ground and reentered in parts in the Panch Kedar places:

 the hump raising in Kedarnath, the arms appearing in Tunganath, the navel and stomach surfacing in Madhyamaheswar, the face showing up at Rudranath and the hair and the head appearing in Kalpeshwar.

 In winter, a symbolic image of Shiva is brought to Gopeshwar for worship. The temple celebrates an annual fair on the full moon day in the Hindu month of Sravan (July–August). The fair is attended mainly by locals. The priests at the Rudranath temple are Bhatts and tiwaris of Gopeshwar village

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