Author Topic: वासुकी ताल,गाँधी सरोवर की सुन्दर तस्वीरें,Vasuki tal And Gandhi Sarovar UK  (Read 21646 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तराखंड  के पहाड़ों में हर तरफ फैली प्रकृति की सुंदरता जिस तरह प्रकृतिप्रेमी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है, वैसे ही यहां के पवित्र देवालय बार-बार श्रद्धालुओं को यहां आने का न्यौता देते हैं।

हरे-भरे पहाड़, बर्फ  से ढकी चोटियां, नदियां और झरने तथा कई धर्मस्थलों को समेटे पर्यटन के लिहाज से बेहद संपन्न इस राज्य में प्राकृतिक, धार्मिक और साहसिक पर्यटन का आनंद एक साथ लिया जा सकता है।


 इन्हीं खूबियों के मद्देनजर हमने उत्तरांचल घूमने का मन बनाया और यात्रा के लिए चुने दो पवित्र धाम- बद्रीनाथ और केदारनाथ। सबसे पहले हम पहुंचे ऋषिकेश। यहीं से शुरू होती है कई तीर्थो की यात्रा।ट्रेकिंग के शौकीन लोगों के लिए यहां दो ठिकाने हैं।

वासुकी ताल सात किलोमीटर दूर है तो गांधी सरोवर दो किलोमीटर। वासुकी ताल के मार्ग पर जमी बर्फ अभी पूरी तरह नहीं पिघली थी। इसलिए वहां का मार्ग बंद था, लेकिन गांधी सरोवर देखने की लालसा हम रोक नहीं सके।

 प्रकृति के सौंदर्य में खोए हम कब सरोवर पहंुच गए, पता ही नहीं चला। चारों ओर बर्फ की चादर फैली हुई थी। सरोवर के जल की सतह पर भी बर्फ की चादर फैली हुई थी। दोस्तों यहाँ पर हम वासुकी ताल और गाँधी सरोवर की कुछ तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं,शायद आपको पसंद आयेंगीं और अगर आपके पास कुछ जानकारी हो आप जरूर यहाँ पोस्ट करें
!




M S JAKHI

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प्राकृतिक सौंदर्य के मामले में उत्तरांचल जितना समृद्ध है, यहां के लोगों का जीवन उतना ही मुश्किलों से भरा हुआ है। विकास की जो थोड़ी-बहुत संभावनाएं अभी यहां दिखती हैं, वह भी इसी प्राकृतिक संपदा और पर्यटन के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं।

 यहां के लोगों का खानपान, पहनावा आदि एकदम सादा है और ऐसा ही सरल इनका स्वभाव है। ऊंचाई पर बसे गांवों में तो लोगों का जीवन बेहद कठिन है।  उन्हें मीलों पैदल चलकर बड़े नगरों तक आना पड़ता है। शीतकाल में तो उन्हें नीचे के गांवों में ही रहना पड़ता है। क्योंकि बर्फ गिरने के कारण खेती भी नहीं हो पाती और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।





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प्राकृतिक सौंदर्य के मामले में  उत्तराखंड  जितना समृद्ध है, यहां के लोगों का जीवन उतना ही मुश्किलों से भरा हुआ है। विकास की जो थोड़ी-बहुत संभावनाएं अभी यहां दिखती हैं, वह भी इसी प्राकृतिक संपदा और पर्यटन के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं। यहां के लोगों का खानपान, पहनावा आदि एकदम सादा है और ऐसा ही सरल इनका स्वभाव है।

ऊंचाई पर बसे गांवों में तो लोगों का जीवन बेहद कठिन है।  उन्हें मीलों पैदल चलकर बड़े नगरों तक आना पड़ता है। शीतकाल में तो उन्हें नीचे के गांवों में ही रहना पड़ता है। क्योंकि बर्फ गिरने के कारण खेती भी नहीं हो पाती और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।


Vasuki Tal Trek- Kedarnath is at an altitude of 3584 m. A magnificent temple was built by the Pandavas at the base of Kedarnath Peak's south-eastern face, and millions of pilgrims now come to offer their prayers to Lord Shiva here.


pilgrimage sites dot the foothills and the peaks of the Himalayas. The Ganges, revered as a holy river originates in the glaciers in the unsurmountable heights of the mighty Himalayan ranges. Most noteworthy of the Himalayan pilgrimage sites are Badrinath and Kedarnath.





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उत्तराखंड क्षेत्र में केदानाथ से पांच कि.मी. दूर 2,584 मीटर की ऊंचाई पर वासुकीताल स्थित है। निर्मल जल से युक्त यह बड़ी मनोरम झील है। पर्वत श्रृंखला के प्रतिबिम्ब वासुकीताल में देखकर मन अह्लादित हो उठता है। इसे गांधी सरोवर भी कहा जाता है, क्योंकि गांधी जी की अस्थियां यहीं विसर्जित की गई थीं।

 इसे चौरवाड़ी झील भी कहा जाता है। इससे मन्दाकिनी नदी निकलती है। वासुकीताल से थोड़ा पहले उत्तर की ओर दिखाई देने वाले शिखर हैं- केदारनाथ, केदार डॉम शिवलिंग, भगीरथ, मेकवल सागर और भृगु जन। इस मार्ग पर 15,000 फुट की ऊंचाई तक सात झीलें और मिलती हैं लेकिन वासुकीताल इनमें प्रमुख है। गंगा के उतार पर कई झीलें मिलती हैं।

वासुकी ताल समुद्र तल से 4,135 मीटर ऊंचाई पर है और यह यात्रा बिना मार्गदर्शक के करना उचित नहीं है। झील के बिल्कुल साफ जल में चौखंबा का एवं अन्य शिखर अत्युत्तम दर्शन प्रतिबिंब में कराता है जो और अधिक तैयार एवं साहसिक होते हैं वे और आगे 4 किलोमीटर दूर मानिनी देवी मंदिर तक जा सकते हैं जो स्वय ही ध्वंश के कगार पर है।

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