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खुबानी (जह्रीखाल , पौड़ी गढवाल )  में भवन संख्या ३  के पहले तल में काष्ठ कला

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    Tibari, Traditional  House Wood  Art  and Carving Art in House of, Khubani, Jahrikhal  Pauri Garhwal     

पौड़ी गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन--648   


 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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आज  खुबानी के    दूसरे  भवन में जंगले  की  काष्ठ  कला पर  चर्चा होगी।  प्रस्तुत चित्र में दो जंगलेदार  भवन हैं आज पहले तल पर स्थापित जंगले  की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन दुपुर  व दुखंड है।  आधार तल पर कोई काष्ठ संरचना के दर्शन नहीं हो रहे हैं।  पहले तल में आकर्षक जंगला बंधा है जो भवन को प्रसिद्धि दिलाने में सफल हुआ है। 
भवन में काष्ठ छज्जा स्थापित है जिस पर दस स्तम्भों से अधिक का जंगल बंधा है।  जंगल की विशेषता यह है कि  जंगले   के बड़े स्तम्भों के ऊपरी भागों में तोरणम निर्मित हुए हैं।  तोरणम के स्कंध में संभवतया बेल बूटों की कला अंकित हुयी है।
मुख्य जंगले   के आधार पर एक अन्य जंगला स्थापित हुआ है। काष्ठ छज्जे के ऊपर  एक दो फिट के ऊपर एक कड़ी (रेलिंग ) है व जिस पर लघु स्तम्भ स्थापित हुए हैं।  यह आधार का जंगल व मुख्य जंगले पर तोरणम इस भवन को विशेष बना देते हैं। 
भवन में ज्यामितीय कटान की ही कला है किन्तु आकर्षक शैली है।  संभवतया तोरणम में प्राकृतिक अलंकरण हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार: रघुबीर सिंह बिष्ट

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022

Tibari, Traditional  House Wood  Art  and Carving Art in House of, Pauri Garhwal      to be continued

पौड़ी गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन निरंतर चलता रहेगा

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खड़कोला (पौड़ी गढ़वाल ) में सुनारों के  भवनों  में  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

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    Tibari, Traditional  House Wood  Art  and Carving Art in House of, Kharkola, Kapholsyun Pauri Garhwal       

पौड़ी गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन--647   


 संकलन - भीष्म कुकरेती   

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 कफोलस्यूं से कई  काष्ठ कला उत्कीर्णन युक्त भवनों की सूचना मिलीं हैं।  आज खड़कोला  में सुनार परिवार के दो भवनों में काष्ठ कला , काष्ठ उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। 
खड़कोला के प्रस्तुत दोनों भवन  तिपुर  व दुखंड है।  खिड़कियों , द्वारों में सपाट ज्यामितीय  काष्ठ  कटान मिलता है।  पहले तल में दोनों भवनों में सामान्य गढ़वाली तिबारी  काष्ठ कला  विद्यमान है।  तिबारियों में चार चार कलयुक्त उत्कीर्णित स्तम्भ हैं।
तिबारियों के प्रत्येक स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से निर्मित संरचना है जिसके ऊपर ड्यूल है।  ड्यूल के ऊपर उत्घ्वगामी पद्म दल की संरचना विद्यमान है।  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प से स्तम्भ लौकी आकार लेकर ऊपर बढ़ती है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां पुनः अधोगामी पद्म दल , ड्यूल व  उर्घ्वगामी पद्म दल के दर्शन होते हैं।  उर्घ्वगामी पद्म दल  संरचना से एक और तोरणम निर्मित होती है व ऊपर स्तम्भ में थांत आकृति उभरती है।  तोरणम के स्कंध में लता , पत्तियों की संरचना स्थापित हैं व किनारे पर सूरजमुखी नुमा संरचना अंकित हुयी है।  तोरणम के ऊपर शगुन चिन्ह हैं किन्तु मानवीय नहीं हैं। 
 तोरणम व स्तम्भ के ऊपर शीर्ष की कड़ियों में प्राकृतिक कला अंकन मिलता है।  शीर्ष की कड़ियों में ज्यामितीय कटान से निर्मित संरचना भी विद्यमान हैं।  शीर्ष के ऊपर तीसरे तल के  छज्जे आधार में काष्ठ दास (bracket )  हैं।  दास कलयुक्त हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि खड़कोला के सुनार भवनों में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण कला अंकन विद्यमान है। 

सूचना व फोटो आभार: जगमोहन डांगी

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
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बमणखोळा (रिखणीखाळ, पौड़ी गढ़वाल  ) में ध्यानी भवन की तल मंजिल में तिबारियों की काष्ठ कला व अंकन 
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    Tibari, Traditional  House Wood  Art  and Carving Art in House of, Bamnakhola, Rikhanikhal Pauri Garhwal       

पौड़ी गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन--646   

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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रिखणीखाळ  से ऐसे  विशेष भवन  की सूचना पहले भी  ज्याठा  गाँव  (पैनों  पट्टी ) से भी मिली है जिसमे तिबारी पहले मंजिल के स्थान पर तल मंजिल में स्थापित हैं देखिये भाग १५७ )। आज बमणखोळा में ध्यानी भवन में भी  दो तिबारियां  तल मंजिल में हैं।  यह भवन सं १९४० में स्व अम्बा दत्त ध्यानी ने निर्माण करवाया था व शिल्पकार थे स्व बालू मिस्त्री। 
दोनों तिबारियां शक्तिशाली काष्ठ की हैं व आकर्षक हैं।  दोनों तिबारियां एक जैसे व चार चार स्तम्भ वाली हैं।  प्रत्येक स्तम्भ के आधार पर अधोगामी पद्म दल अंकित हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है , फिर ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकित हुए हैं।  ऊपरी कमल दल से स्तम्भ लौकीनुमा शक्ल ले लेते हैं व जहां कम मोटाई है वहीं से कमल दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी कमल दल की पुनराब्रिटी होती है।  ऊपरी कमल दल से स्तम्भ थांत शक्ल ले लेता है. यहीं पर  दो स्तम्भ  मध्य तोरणम स्थापित हुए हैं।  तोरणम के स्कन्धों में कलाकारी हुयी है  तोरणम  स्कंध में लता पत्तियों का अंकन हुआ है व किनारे पर सूरजमुखी पुष्प नुमा आकृति अंकन हुआ है ।  थांत पर ज्यामितीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।
  निष्कर्ष निकलता है कि ध्यानी भवन  के काष्ठ में  ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकृत कला अंकन हुआ है। 


सूचना व फोटो आभार: रमेश ध्यानी

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
Tibari, Traditional  House Wood  Art  and Carving Art in House of, Pauri Garhwal      to be continued

पौड़ी गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन निरंतर चलता रहेगा

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 चुरैड़ गांव (चौंदकोट ) में सुन्दरियाल भवन की काष्ठ कटान कला 

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    Tibari, Traditional  House Wood  Art  and Carving Art in House of, Churaid  Ganv, Pauri Garhwal       
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पौड़ी गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन-- 645 
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 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 चौंदकोट से अच्छी संख्या में भवनों में काष्ठ  कला सूचना मिली हैं।  आज इसी क्रम में  चुरैड़ गांव (चौंदकोट ) के एक भवन में काष्ठ कटान कला पर चर्चा करेंगे।   चुरैड़ गांव (चौंदकोट ) का प्रस्तुत सुन्दरियाल
भवन दूपुर  व दुखंड है।  भवन के आधार तल /ग्राउंड फ्लोर में दरवाजों व (मोरी )  खिड़कियों में सपाट ज्यामितीय कटान दृष्टिगोचर होता है।  भवन की मुख्य विशेषता है जिस्सके कारण भवन क्षेत्र में प्रसिद्ध है वः है लम्बे भवन में लम्बा जंगला।  इतना लम्बा जंगल पौड़ी गढ़वाल में  अति हीन संख्या में मिले हैं। 
 पहले तल में जंगल बंधा है।  जंगल में  पंद्रह  से अधिक खड़े सपाट स्तम्भ हैं। 
भवन के  आकर्षण में इस जंगल का बड़ा महत्व है।
निष्कर्ष निकलता है कि  चुरैड़ गांव (चौंदकोट ) के प्रस्तुत सुन्दरियाल भवन में ज्यामितीय कटान की सपाट कला ही है।  कलयुक्त उत्कीर्णन भवन में नहीं दृष्टिगोचर हुआ है।  भवन निर्माण शैली व लम्बाई के लिए सदा यद् किया जायेगा।
सूचना व फोटो आभार: गिरीश सुन्दरियाल

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022   

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टाईगर हिल (चकराता ) में  भवन संख्या १  में काष्ठ कला
गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में   पारम्परिक गढ़वाली शैली   की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -644 
Traditional House wood Carving art of ,Tiger  Hill , Chakrata  Jaunsar , Dehradun
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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चकराता भवन काष्ठ कला ही नहीं  भवन काष्ठ उत्कीर्णन हेतु भी सदियों से प्रसिद्ध है।  प्रस्तुत भवन लगता है किसी स्टे होम का अंग है किन्तु शैली में  आदिम या प्रिमिटिव है अर्थात जौनसार बाबर  का प्रतिनिधित्व परता है। 
प्रस्तुत टाइगर हिल का यह भवन काष्ठ उत्कीर्णन हेतु महत्वपूर्ण नहीं है अपितु लकड़ी के भवन शैली हेतु महत्वपूर्ण है।  भवन की चरों दीवारें सपाट ज्यामितीय कटान से निर्मित पटले  (तख्ते ) से निर्मित हैं।  छत का आधार काष्ठ कड़ियों से निर्मित है जिसके ऊपर घास है। 
पटतलाऊं  को बाँधने की कड़ियाँ भी सपाट ही हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि टाईगर हिल (चकराता ) में  भवन संख्या १  में काष्ठ कला आदिम प्रकार की है व केवल सपाट ज्यामितीय कटान से ही लकड़ी का कटान कर भवन बना है। 
सूचना व फोटो आभार : पंकज रावत (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022

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गुप्तकाशी  के भवन संख्या १ में काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of  Guptkashi , Rudraprayag         : 
गढ़वाल, के भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-641   

 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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गुप्तकाशी से अच्छी संख्या में  काष्ठ कला  युक्त भवनों की सूचना मिली हैं।  आज  गुप्तकाशी के भवन संख्या १ की काष्ठ कला पर चर्चा होगी। 
गुप्तकाशी का प्रस्तुत भवन तिपुर  व दुपुर  या बहुखंडी है।  भवन के तीसरा  तल  ही काष्ठ कला दृष्टि से महत्वपूर्ण है।  तीसरे तल में  एक कक्ष  की सारी  दीवारें काष्ठ की हैं  सपाट पटिलों /तख्तों से दीवार निर्मित हुयी हैं।  भवन के  इस तल के बाहर की और दो  बालकोनी में  हैं। ऊँची व कम ऊँची बालकोनी।  प्रत्येक बालकोनी से बाहर जंगले  हैं।  जंगलों में स्तम्भ लगे हैं।  स्तम्भों के आधार व ऊपर आयताकार मोटाई लिए  काष्ठ संरचनायें  हैं।  स्तम्भ सपाट व ज्यामितीय कटान से निर्मित हुयी हैं।  टिन की छत वाले कक्ष में काष्ठ कला में  ज्यामितीय कटान के अतिरिक्त कोई उत्कीर्णन नहीं है. प्रस्तुत भवन का महत्व काष्ठ कला में निर्माण शैली कला हेतु महत्व है नाकि  काष्ठ अंकन या उत्कीर्णन हेतु। 
प्रस्तुत गुप्तकाशी का भवन संख्या १ ज्यामितीय काष्ठ कटान का अच्छा उदाहरण है। 
सूचना व फोटो आभार: चरण सिंह केदारखण्डी 
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022

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बाण  गाँव  ( चमोली ) में भवन में काष्ठ कला शैली

Traditional House Wood Carving Art from  Ban    , Chamoli   
 गढ़वाल, के  भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 640
( काष्ठ कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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तिब्बत सीमा में चमोली में  अच्छी संख्या में  काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिली हैं।  आज बाण  गाँव में एक भवन की काष्ठ कला पर चर्चा होगी। 
यह भवन काष्ठ उत्कीर्णन (Carving ) हेतु नहीं यद् किआ जायेगा अपितु काष्ठ निर्माण शैली हेतु यद् किया जायेगा ,
दोनों भवनों के छाया चित्र से पता चलता है दोनों भवन आधारिक   primitively  लकड़ी भवन शैली के हैं।  भवन में सब जगह लकड़ी से ही निर्माण हुआ है।  भवन की दीवारें , छत व छत आधार सब कुछ लकड़ी के पटिलों (तख्ते )
एक भवन में दृष्टिगोचर हो रहा है कि मोटे -शक्तशाली डंडों की कड़ियों से छत व दीवारों के आधार निर्मित हुए हैं व तब लकड़ी के तख्ते लगाए गए हैं।  डंडो को लगाने की शैली वैसे ही है जैसे बांस के खपचों से पल्ल  निर्माण किये जाते हैं।  भवन में लकड़ी की साड़ी संरचना आधारभूत है व ज्यामितीय कटान  की ही हैं।  ऐसे  आधारभूत  भवन चमोली , टिहरी , उत्तरकाशी में तिब्बत सीमा में बर्फीले क्षेत्र में पाए जाते हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  बाण  गाँव में ज्यामितीय कटान के दो भवन काष्ठ कला युक्त है जहाँ उत्कीर्णन महत्वपूर्ण नहीं अपितु ज्यामितीय कटान से निर्मित संरच्मा महवतपूर्ण हैं। 
सूचना व फोटो आभार: सुधीर कुमार (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022 

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कोलिंडा  (बीरोंखाल , पौड़ी ) में ऋषभ जुयाल के भवन खोली  में   काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन
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    Tibari, Traditional  House Wood Art in House of, Kolinda , Beeronkhal  Pauri Garhwal       
पौड़ी गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -639
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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बीरोंखाळ  क्षेत्र  से कई भवनों की सूची मिली हैं।  आज इसी  क्रम में कोलिंडा गाँव के स्व ऋषि देव जुयाल द्वारा निर्मित  है।  कोलिंडा गांव में यह दुसरे भवन की काष्ठ  कला का अध्याय है।  भवन दुपुर  व दुखंड है व हमें केवल खोली का ही छायाचित्र मिल सका है।  खोली आम गढ़वाली , कुमाउँनी खोली जैसे है।  खोली के डॉन ओर स्तम्भ हैं।  स्तम्भ तीन भागों के हैं दो सपाट  व सबसे अंदर के स्तम्भ भाग के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल आकर का उत्कीर्णन हुआ है।  स्तम्भ भाग ऊपर जाकर शीर्ष (मुरिन्ड या मथिण्ड ) का निर्माण करते हैं।  मथिण्ड /मुरिन्ड में देव आकृति स्थापित है।  मुरिन्ड  या मथिण्ड के ऊपर भी एक कलयुक्त कड़ी है जो आकर्षक है।  ऐसा लगता है शीर्ष कड़ी में ज्यामितीय कटान  की कला दृष्टिगोचर हो रही है। 
  निष्कर्ष निकलता है कि कोलिंडा  (बीरोंखाल , पौड़ी ) में ऋषभ जुयाल के भवन खोली  में  प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकृत काष्ठ कला मिली है। 


सूचना व फोटो आभार: भगत सेमवाल

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

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मिलाम (मुन्सियारी पिथौरागढ़ ) के एक भवन छाज में काष्ठ  अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन
   Traditional House Wood Carving Art  of  Milam ,Munsiyari    , Pithoragarh
कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन , अंकन -638

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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पिथौरागढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों से काश्त युक्त भवनों की अच्छी संख्या में सूचना मिली हैं।  आज इसी क्रम में मिलाम के एक भवन के छाज (झरोखा ) में काष्ठ    कला पर चर्चा होगी। छाज के नीचे एक द्वार या छाज निर्मित हुआ लगता है।  एक तल व दुसरे तल के मध्य शक्तिशाली मोटी दो बौळी /मेहराब  हैं ।  आम तौर पर मेहराब या बौळियों में काष्ठ कला अंकित होती हैं किन्तु इस भवन की बौळी (मेहराब ) पर  कोई अंकन उत्कीर्णन नहीं हुआ है। 
छाज (छेड़ या ढुड्यार ) के दोनों ओर काष्ठ स्तम्भ स्थापित हुए हैं।  स्तम्भ के आधार में मुंगर जैसी कोई आकृति उलटी है व उसमे जैसे उलटे हाथ अंकित हुए हैं।  इस आकृति के ऊपर दो ड्यूल हैं व ड्यूल के ऊपर अधोगामी व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से सजी  दबल  जैसी आकृति है।  इस आकृति के ऊपर फिर ड्युल हैं व उसके ऊपर दो हुक्के (लौकी जैसे )  की आकृति में फर्न पत्तियों का अंकन युक्त आकृति हैं।  इस आकृति के ऊपर ड्यूल हैं।  ड्यूल के ऊपर ड्यूल का  बिसौण  अंकन हुआ है व उसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल की आकृति युक्त आकृति स्थापित है।  इस आकृति के ऊपर स्तम्भ पर  S  आकृति अंकित है व इसके ऊपर स्तम्भ सीधा हो ऊपर जाकर शीर्ष में मुरिन्ड /शीर्ष की कड़ी बन जाती हैं।  ऊर्घ्वाकार पद्म आकृति के ऊपर से स्तम्भ पर शीर्ष से नीचे तोरणम स्थापित है। आस्चर्य है कि तोरणम के स्कन्धों में कोई उत्कीर्णन नहीं हुआ है।  संभवतया उत्कीर्णन मिट गया होगा। 
छाज की संरचना व कला बताती है कि  भवन में उच्च प्रकार की काष्ठ कला   संरचना रही होंगी जैसे कि सीमावर्ती  पिथौरागढ़ के  मुन्सियारी , कुटी या गाब्रियल , जौहर घाटी में मिलती हैं।   
निष्कर्ष निकलता है कि  भवन की छाज में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकृत कला उत्कीर्णित हुआ है।
सूचना व फोटो आभार:शुभम मानसिंह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022

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  रीठा (चम्पावत )   के   एक भवन  संख्या १ में काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
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कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -637
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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रीठा  (चम्पावत )  सिक्खों हेतु एक धार्मिक स्थल है।  रीठा   से   काष्ठ कलयुक्त दो भवनों की  सुचना मिली है। 
प्रस्तुत भवन संख्या १  भवन दुपुर या हो सकता है तिपुर  हो  व दुखंड है।  भवन के तल तल ground floor  में गौशाला व कुठार (भंडार ) के द्वारों के दरवाजों पर सपाट ज्यामितीय अलंकृत  कला दृष्टिगोचर हो रही है।  भवन में छाज के स्थान पर गढ़वाली तिबारी जैसे लम्बा  बरामदा नुमा आकृति  है। पहले तल व तल तल के मध्य बड़ी कड़ी(  पसूण ) या मेहराब है जिस पर काश्त उत्कीर्णित आकृति अदर्शनीय है।   तिबारी नुमा दलान  के बाहर सपाट सतंभ स्थापित हैं।  ये स्तम्भ आधार पर कुछ मोटे हैं।   
  रीठा (बेतालघाट, चम्पावत  ) के पस्तुत भवन संख्या १ में कष्ट उत्कीर्णन सपाट ज्यामितीय कटान कला ही दिखती है। 
सूचना व फोटो आभार :  नरेंद्र महरा 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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