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वियतनाम हिन्दू संस्कृति का चिन्ह ( पराक्रम से संकटो से पार पए जांद)
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सरोज शर्मा-जनप्रिय लेखन श्रंखला
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वियतनाम एशिया क इन देश च जैल संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा का पांच स्थाई देशों म से तीन फ्रांस, अमेरिका व चीन क आक्रमण थैं नेस्तनाबूद करण मा सफलता हासिल कैर।
बगैर आधुनिक अस्त्र-शस्त्र क केवल अपण संकल्प का बल पर यूं महाशक्तियो क मानमर्दन करणवल राष्ट्र वियतनाम से क्या भारत थैं प्रेरणा लींण चैंद?ई प्रश्न इलै उठणु च कि चीन कि विस्तार वादी नीति से मुकाबला करण मा भारत हिचकिचाहट क अनुभव करद दिखेंणु च, वियतनाम क महान नेता हो ची मिन्ह क कथन स्वतंत्रता एवं स्वावलंबन से मूल्यवान कुछ नी, वियतनाम से भारत का रिश्ता हमेशा मधुर रैं,
वियतनाम थैं दृढ़ संकल्प कि प्रेरणा कख बटिक मिलद?ऐकु उत्तर जांणिक आपथैं आश्चर्य ह्वाल, वियतनाम म दुसरी शताब्दि का शिलालेख मिलीं जु संस्कृत और ब्रह्मी लिपी मा छन। ई सरया दक्षिण पूर्व एशिया मा प्राचीन समय मा हिन्दुओ की मौजूदगी क प्रमाण च। वियतनाम कि शक्ति क मूल हिन्दू दर्शन और संस्कृति छै।
वियतनाम कि लोक आस्था क अनुसार तिन्या लोको म वास करणवली देवी मां कि पूजा कनकी यूनेस्को द्वारा मान्यता दियै गै छै।
वियतनाम का नामदिन्ह राज्य म मानवीय संस्कृति कि अनमोल धरोहर क रूप म यूनेस्को द्वारा धार्मिक आस्था कु प्रमाण पत्र प्रदान कियै ग्या छा, देवी पूजा प्राचीन समय का ऊं विश्वासो पर आधारित च जै म विभिन्न देवी देवताओ क अवतार कि अराधना क माध्यम से लोगों थैं अच्छु स्वास्थ्य संपत्ति प्राप्त हूंद छै, नामदिन्ह प्रान्त, वियतनाम कि राजधानी हनोई का दक्षिण मा 80 किलोमीटर दूर पव्ड़द, ई देवी मां संबधित पूजा करण वलों खुण सबसे बड़ तीर्थ स्थल क केन्द्र क रूप म जंणै जांद। ऐ राज्य मा 287 मंदिर व अन्य धार्मिक मान्यताओ संबधित अवशेष मौजूद छन,
इतिहास बतांद कि दक्षिण पूर्व एशिया म हिन्दुओ से संपर्क का चलदा शैव धर्म कु प्रसार ह्वाई। वियतनाम कु इतिहास 2700 वर्षो से भि ज्यादा पुरण च। वियतनाम क प्राचीन नौं चम्पा छाई, चम्पा का नागरिक चाम ब्वलेजांद छा,यूंक राजा शैव छा, द्वितीय शताब्दि म स्थापित चम्पा हिन्दू संस्कृति क प्रमुख केन्द्र छा,स्थानीय चाम नागरिको न हिन्दू धर्म भाषा, सभ्यता अपणै, भाषाई दृष्टि से चम्पा का लोग चाम ( मलय पाॅलिनेशियन) छा।
वर्तमान म चाम वियतनाम व कम्बोडिया सबसे बड़ अल्पसंख्यक छन ,प्रारंभ मा चम्पा का नागरिक व राजा शैव छाया। इस्लाम क उदय क बाद कुछ शताब्दि पैल इस्लाम यख जड़ जमाण बैठ ग्या, ज्यादातर चाम मुस्लिम छन पर हिन्दू और बौद्ध भि छन, जु मुस्लिम छन वू भि हिन्दू संस्कृति से पूरी तरह अलग नि ह्वै न।
हिन्दुओ का आण से यखका पूर्व निवासी हिन्दुओ क संपर्क से सभ्य ह्वै गिन। जु चम नौ से प्रसिद्ध ह्वै गिन। जु बर्बर और हिंसक छा वु चमलेच्छ और किरात नौ से जंणै गैन।
संपूर्ण वियतनाम म चीनी राजवंशो क शासन ज्यादा रै।
हिन्दू धर्म थैं राजधर्म क रूप मा स्थापित करणक बाद चम्पा म संस्कृत शिलालेख बणयै गैं व हिन्दू मंदिरो क निर्माण कियै ग्या। शिलालेखो क अनुसार चम्पा मा पैल महाराज भद्र वर्धन राजा छाई, जौंन 380 ईस्वी से 413 ईस्वी तक शासन कैर। मीशाॅन म राजा भद्र वर्मन न भदरेश्वर नौ क शिवलिंग की स्थापना कैर, भदरेश्वर महादेव कि पूजा सदियों तक जारी छै।
महाराजा रूद्र वर्मन न 529 ईस्वी म नै राजवंश कि स्थापना कैर, ऊंका पुत्र महाराज शंभु वर्मन उत्तराधिकारि बणीं, ऊं न भद्र वर्मन मंदिर क पुनःनिर्माण करै, मंदिर क नौ परिवर्तित कैरिक शम्भू भदरेश्वर राख, 629 म भद्र वर्मन कि मृत्यु ह्वै गै, ऊंका पुत्र कंदर्पधर्म राजा बणी जौंकि मृत्यू पश्चात प्रभाष धर्म उत्तराधिकारि हुंई 645 ईस्वी म मृत्यु ह्वै यूंकि भि ,सातवीं व दशवीं शताब्दि क बीच म राजवंश नौसेना शक्ति क प्रमुख केन्द्र बण ग्या।
चम्पा का बन्दरगाह स्थानीय व विदेशी व्यापारियो क आकर्षकण क केन्द्र बणगैन। चीन,इंडोनेशिया व भारत क मध्य दक्षिण चीन सागर मा मसालों व रेशम क व्यापार क केंद्र चम्पा बण ग्या। चाम हिन्दुओ क स्वर्णिम अतीत रै।
चम्पा साम्राज्य दक्षिण वियतनाम व लाओस का कुछ हिस्सों तक फैलयूं छाई। चम्पा कु राजा शैव धर्मावलम्बी छा और अनेक मंदिरो कु निर्माता छाई, हिन्दू संसकृति का चिन्ह आज भि हिन्दू मूर्तियो व लाल ईंट का मंदिरो मा आज भि देख सकदौ।1471 मा उत्तरी दिशा बटिक वियतनामी सम्राट न आक्रमण कैर जैमा चम्पा कि हार ह्वै। युद्ध म 1,20,000 लोग युद्ध बन्दी हुंई या मरे गैं। इन अनुमान लगयै जांद चम्पा क राजा महाजन थैं युद्ध बंधी बणयै ग्या। चाम हिन्दुओ न ऐ भाग म अपण नियंत्रण ख्वै द्या ।पुनः ऐ पर काबिज नि ह्वै सका। आठवीं शताब्दि से हि अरब का व्यापारी चम्पा पौंछण लगीं, मुसलमानो न चाम मा अपण धर्म प्रचार शुरू कैर, सतरहवी शताब्दि तक चाम क शाही परिवार न इस्लाम स्वीकार कैर, धीरे धीरे शैव ब्राह्मणो और नागवंशीय क्षत्रियों थैं छोड़िक अधिकांश चम इस्लाम का अनुयाई बणि गैं।वस्तुस्थिति या च कि वियतनामी चम मा मुस्लिम बहुसंख्यक छन। आज भि वियतनाम क मध्य क्षेत्रीय प्रान्तो म चाम का स्मारको और मंदिरो का भग्नावशेष मौजूद छन। वियतनाम मा चाम का सैकड़ो हजारों वंशज मौजूद छन, जु सदियों से आपस मा विवाह और सामाजिक एकीकरण कि प्रक्रिया मा वियतनामियो क दगड़ एकाकार ह्वै गिन। ई निम्न आर्थिक स्थिति वला क्षेत्रो मा रैंदिन ।
वियतनाम सरकार अपण नागरिकों कि जातीय व सांस्कृतिक पछयाण थैं मान्यता दीण म ऊंकि सहायता करण कि नीति क पालन करद।
चाम संस्कृति कि नृत्य कला व परंपरा अच्छी तरह से संरक्षित छन। पोलिश व भारतीय पुरातत्विदो कि सहायता से चाम स्मारको कि देखरेख व संरक्षण कियै जांद। चाम क पुरातत्विक स्थल मीशान या मायसन थैं यूनेस्को द्वारा धरोहर घोषित किए ग्या।
व्यापार समुद्री आवागमन संबंधी सरोकारों और फ्रांसिसी औपनिवेशिक शाशन क अन्तर्गत रोजगार हेतू भारतीय यख पौंछिन। ई भारतीय अपणि मातृभाषा व वियतनामी भाषा, और फ्रेंच भि ब्वलदा छा, ई मुख्यतः उत्तरी शहर हनोई और दक्षिण म साइगाॅन मा बसयां छा,द्वी विश्वयुद्ध क काल म भारतीय भी यख पौंछिन, नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर भि साइगाॅन पौंछिन। कुछ दिन तक एक परिवार म ठैरिन। आजाद हिन्द फौज कि शौर्य गाथा से वियतनाम भि अछूतू नि रै। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ताईवान यात्रा से पैल साइगाॅन क होटल मा ठैरा छा ।
1975 मा साइगाॅन क पतन व साम्यवाद क उदय क समय दक्षिण वियतनाम म 25,000 लोग भारतीय समुदाय का छा।यूंका खुदरा व्यापार जनकि कपड़ा, हस्तशिल्प, आभूषण, किराना मा वर्चस्व छाई। 1976 म साइगाॅन नाम क नौ हो ची मिन्ह सिटी रखै ग्या। यखका प्राचीन मंदिरो कि देखरेख चेट्टियार समुदाय का वियतनामी वंशज करदिन।
समुद्र क्षेत्र म चीन कि बढ़ती धमक व हिमालय क्षेत्र म बार बार अतिक्रमण कि प्रवृति से भारत म संकट कि स्थिती बणीं रैंद। इनमा वियतनाम, ताईवान, इत्यादि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों व जापान क माध्यम से भारत चीन थैं सोचणा खुण मजबूर कैर सकद। जतगा ध्यान सरकार पश्चिमी एशिया मा केन्द्रित करद उतगा दक्षिण पूर्व एशियाई देशों म नि करद। वियतनाम क इतिहास हमथैं सबक दींद कि समझौता न पराक्रम से ही संकटो से पार पयै जांद।