Author Topic: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )  (Read 7831 times)

Hemant Kapkoti

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 133
  • Karma: +6/-0
Re: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #10 on: April 19, 2012, 04:04:17 AM »

Hemant Kapkoti

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 133
  • Karma: +6/-0
Re: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #11 on: April 19, 2012, 04:05:52 AM »

Hemant Kapkoti

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 133
  • Karma: +6/-0
Re: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #12 on: April 19, 2012, 04:06:45 AM »

Hemant Kapkoti

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 133
  • Karma: +6/-0
Re: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #13 on: April 19, 2012, 04:09:06 AM »

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #14 on: April 19, 2012, 04:13:27 AM »
जय काशिल देवता की!

धन्यवाद कपकोटी जी फोटो के liye !

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
Re: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #15 on: April 24, 2012, 02:40:20 AM »
जय हो काशिल बू-बू की।

5 साल तक मैं आपकी छत्रछाया में रहा, यह मेरा अहोभाग्य है। जो सुख की अनुभूति आपकी छाया में रहकर प्राप्त हुई शायद ही वो कहीं और मिले।

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
Re: श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #16 on: October 09, 2012, 06:57:50 AM »


Shri 1008 Kashil Dev Temple at Kapkot - Bagehswar

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
श्री 1008 काशिल देव ( KAPKOTE )
« Reply #17 on: April 16, 2014, 04:21:40 PM »
[justify]आस्था का प्रतीक काशिल देव



कपकोट तहसील मुख्यालय से करीब एक किमी की दूरी पर स्थित श्री 1008 काशिल देव का मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि पहले काशिल देव लोगों को त्योहारों और गांव में किसी भी प्रकार की संभावित अप्रिय घटना की सूचना देते थे। लोग उन्हें बूूृबू और विवाहिताएं उन्हें ससुर देव के नाम से पुकारती हैं। लोगों का विश्वास है कि जो भी व्यक्ति काशिल देव को सच्चे मन से याद करता है। वह उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। मंदिर में हर साल 16 अप्रैल को क्षेत्र का सुप्रसिद्ध स्याल्दे बिखौती का मेला लगता है।
मान्यता है कि करीब पांच सौ साल पहले कपकोट में राजा रत कपकोटी का राज था। काशिल देव उनके आराध्य थे। राजा क्षेत्र के हित में कोई भी निर्णय लेने से पहले काशिल देव की आज्ञा लेते थे। तब लोगाें के पास आज की तरह पंचाग नहीं होते थे। काशिल देव ही लोगों को तिथि, बार और पर्वों की आवाज देकर सूचना देते थे। गांव में किसी भी प्रकार की अनहोनी की वह पूर्व सूचना दिया करते थे।
राजा द्वारा स्थापित काशिल देव की पूजा के लिए उपाध्याय परिवार को पुजारी जबकि जोशी परिवार पूजा पाठ के लिए नियुक्त हैं। मंदिर परिसर में भगवती माता,बाण देवता के साथ राजा की बेटी बाली कुसुमा के मंदिर हैं।
मंदिर में बैशाख महीने के हर तीन गते को स्याल्दे बिखौती का मेला लगता है। ग्रामीण मंदिर में क्षेत्र की सुख शांति की कामना के लिए पूजा अर्चना के बाद गोदान कर नए अनाज का प्रसाद अर्पित करते हैं। लोग मनौती पूरी होने पर मंदिर में घंटियां, शंख, पूजा के काम आने वाले बर्तन, फल, बताशे आदि अर्पित करते हैं। साल में लोग मंदिर में कथा, हवन भी कराते हैं।
Source- #Amar Ujala

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22