Author Topic: Anusuya Devi Temple, Chamoli Uttarakhand- अनुसूया देवी मंदिर चमोली उत्तराखंड  (Read 24887 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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    photo height=500 Anusuya Devi Temple with Bheem Tree Anusuya Devi Temple is a highly temple dedicated to Anusuya Devi, situated at an altitude of 2000 m above sea level, in Uttarakhand. The temple has great archaeological importance. It is believed that it is the only place where devotees circumambulate around the river as a mark of reverence.
Phto (Neeraj rawat)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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    photo height=425  Shiva parwati idol at Anusuya temple complex

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सती अनसूइया मंदिर कथा
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सती अनसूइया मंदिर एक प्राचीन हिंदु मंदिर है. मंदिर के संबंध कुछ पौराणिक मान्यताओं को देखा जा सकता है यहां पर बसे अनसूइया नामक गांव में स्थित है भव्य मंदिर सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर के संबंध में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार कहा जाता है की इस स्थल को अत्रि मुनि ने अपनी तपस्या का स्थान बनाया था. इसी स्थान पर उनकी पत्नी अनसूया जी ने एक कुटिया का निर्माण किया तथा यहीं पर रहने लगीं. कहते हैं देवी अनसुया बहुत पतव्रता थी जिस कारण उनकी ख्याती तीनों लोकों में फैल गई थी.
उनके इस सती धर्म को देखकर देवी पार्वती, लक्ष्मी जी और देवी सरस्वती जी के मन में द्वेष का भाव जागृत हो गया था. जिस कारण उन्होंने अनसूइया कि सच्चाई एवं पतीव्रता के धर्म की परिक्षा लेने की ठानी तथा अपने पतियों शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी को अनसूया के पास परीक्षा लेने के लिए भेजना चाहा. परंतु भगवानों ने देवीयों को समझाने का पूर्ण प्रयास किया किंतु जब देवियां नहीं मानी तो विवश होकर तीनो देवता ऋषि के आश्रम पहुँचे. वहां जाकर देवों ने सधुओं का वेश धारण कर लिया और आश्रम के द्वार पर भोजन की मांग करने लगे.

जब देवी अनसूया उन्हें भोजन देने लगी तो उन्होंने देवी के सामने एक शर्त रखी की वह तीनों तभी यह भोजन स्वीकार करेंगे जब देवी निर्वस्त्र होकर उन्हें भोजन परोसेंगी. इस पर देवी चिंता में डूब गई वह ऎसा कैसे कर सकती हैं.
अत: देवी ने आंखे मूंद कर पति को याद किया इस पर उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई तथा साधुओं के वेश में उपस्थित देवों को उन्होंने पहचान लिया. तब देवी अनसूया ने कहा की जो वह साधु चाहते हैं वह ज़रूर पूरा होगा किंतु इसके लिए साधुओं को शिशु रूप लेकर उनके पुत्र बनना होगा.
इस बात को सुनकर त्रिदेव शिशु रूप में बदल गए जिसके फलस्वरूप माता अनसूइया ने देवों को भोजन करवाया. इस तरह तीनों देव माता के पुत्र बन कर रहने लगे.
इस पर अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी त्रिदेव देवलोक नहीं पहुँचे तो पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी चिंतित एवं दुखी हो गई इस पर तीनों देवियों ने सती अनसूइया के समक्ष क्षमा मांगी एवं अपने पतियों को बाल रूप से मूल रूप में लाने की प्रार्थना की ऐस पर माता अनसूया ने त्रिदेवों को उनका रूप प्रदान किया और तभी से वह मां सती अनसूइया के नाम से प्रसिद्ध हुई.


http://astrobix.com/hindudharm/post/ansuya-sati-templ

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सती अनसूइया मंदिर महत्व |
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मंदिर में प्रवेश से पहले भगवान गणेश जी की भव्य प्रतिमा के दर्शन प्राप्त होते हैं. यहां पर भगवान गणेश जी एक शिला पर विराजमान हैं मान्यता है कि यह शिला प्राकृतिक रूप से निर्मित है. मंदिर का निर्माण नागर शैली में हो रखा है. मंदिर के गर्भ गृह में सती अनसूइया की भव्य मूर्ति स्थापित है. मूर्ति पर चाँदी का छत्र रखा हुआ है.

मंदिर के प्रांगण में भगवान शिव, माता पार्वती एवं गणेश जी की प्रतिमा देखी जा सकती है. इसके साथ ही सती अनसूइया के पुत्र दत्तात्रेय जी की त्रिमुखी प्रतिमा भी विराजमान है. इस पवित्र मंदिर के दर्शन पाकर सभी लोग धन्य हो जाते हैं इसकी पवित्रता सभी के मन में समा जाती हैं सभी स्त्रियां मां सती अनसूया से पतिव्रता होने का आशिर्वाद पाने की कामना करती हैं.

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प्रति वर्ष दिसंबर माह के दौरन यहां पर सती अनसूइया जी के पुत्र दत्तात्रेय जयंती का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के समय मेले का भी आयोजन होता है. जिसे दूर दूर से लोग देखने आते हैं और इसी पवित्र स्थान से पंच केदारों में से एक केदार रुद्रनाथ जाने का मार्ग भी बनता है.

मंदिर के आस पास अनेक महत्वपूर्ण एवं मनोरम स्थल भी देखे जा सकते हैं. यह विहंगम दृश्य श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए खड़ी चढाई पर चलना होता है जो पैदल ही पार की जाती है मंदिर के रास्ते में आने वाला मंडल नामक गांव पेडों से भरा है तथा गाँव के पास एक नदी भी बहती है इसके साथ ही मार्ग में विश्राम स्थल की भी व्यवस्था कि गई है.

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  अत्रि धारा एवं उसके मध्य में महर्षि अत्रि की गुफा।

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कैसे पहुँचें (How to reach)

यहां पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले देश के किसी भी कोने से ऋषिकेश पहुँचना होगा। ऋषिकेश तक आप बस या ट्रेन से पहुँच सकते हैं। निकट ही जौलीग्रांट हवाई अड्डा भी है जहां पर आप हवाई मार्ग से पहुँच सकते है। ऋषिकेश से लगभग २१७ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गोपेश्वर पहुँचा जाता है। गोपेश्वर में रहने-खाने के लिए सस्ते और साफ-सुथरे होटल बहुतायत में उपलब्ध हो जाते हैं।

गोपेश्वर से १३ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मण्डल नामक स्थान आता है। बस या टैक्सी से आप सुगमता से मण्डल पहुँच सकते हैं और मण्डल से लगभग ५-६ किलोमीटर की खडी चढाई चढने के बाद आप अनसूइया देवी मन्दिर मे पहुँच सकते हैं। पहाड़ का मौसम है इसलिए सदैव गर्म कपड़े साथ होने चाहिएं। साथ ही हल्की-फुल्की दवाइयाँ भी अपने साथ होनी आवश्यक है।

 

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