Author Topic: Anusuya Devi Temple, Chamoli Uttarakhand- अनुसूया देवी मंदिर चमोली उत्तराखंड  (Read 24886 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अनुसूया मेले में लगी श्रद्धालुओं की भीड़
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गोपेश्वर, जागरण कार्यालय: सती मां अुनसूया मेले का उद्घाटन शुक्रवार को बदरीनाथ के विधायक केदार सिंह फोनिया ने किया। मेले में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

सती मां अनुसूया गेट पर खल्ला की अनुसूया देवी, बणद्वारा की ज्वाला देवी, देवलधार की ज्वाला, सगर की ज्वाला, कठूड़ की ज्वाला की डोलियों के मिलन के बाद यह धार्मिक यात्रा सती मां अनुसूया आश्रम के लिए शुरू हुई। देवियों के मिलन कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की आंखे छलछला उठी। परंपरा अनुसार शुक्रवार रात्रि को सती मां अनुसूया आश्रम में संतान की इच्छा रखने वाली महिलाएं तप करेंगी। इसके लिए दो सौ से अधिक महिलाओं ने मंदिर समिति में पंजीकरण किया है। मेले का शुभारंभ करते हुये मुख्य अतिथि केदार सिंह फोनिया ने कहा कि मेले यहां का गौरवमयी परंपरा के द्योतक है। उन्होंने कहा कि सती मां अनुसूया का प्रताप इस कलयुग में भी जारी है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से ही सती मां अनुसूया मेले के विकास के लिए कार्ययोजना को क्रियान्वित किया जा रहा है।

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उत्तराखंड का प्रसिद्ध अनसूया मंदिरसती अनुसूया के यहां त्रिदेव के रूप में जन्में दत्तात्रेय

उत्तराखंड के चमोली जिले में मंडल से करीब छह किलोमीटर ऊपर ऊंचे पहाड़ों पर प्रसिद्ध अनसूया मंदिर स्थित है। जहां प्रतिवर्ष दत्तात्रेय जयंती समारोह मनाया जाता है। इस जयंती में पूरे राज्य से हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। इस अवसर पर नौदी मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसमें भारी संख्या में लोग अपने-अपने गांवों से देव डोलियों को लेकर पहुंचते हैं।[/color]सूत्रों के अनुसार देव डोलियां माता अनसूया और अत्रि मुनि के आश्रम का भ्रमण करती हैं और माता अनसूया के प्राचीन मंदिर में संतान प्राप्ति के लिए एक बड़ा यज्ञ भी कराया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में जप और यज्ञ करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है।[/color]इसी मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर माता अनसूया ने अपने तप के बल पर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शंकर) को शिशु रूप में परिवर्तित कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपस्या के बाद त्रिदेवों को पुन: उनका रूप प्रदान किया और फिर यहीं तीन मुखवाले दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते रहे हैं। यहां दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना भी की गई है।

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पुत्रदायनी माता अनुसूया का मेला शुरू

गोपेश्वर। दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर होने वाला दो दिवसीय अनुसूया माता मेले का सोमवार को पूजा-अर्चना के साथ शुभारंभ हो गया है। अनुसूया माता को पुत्रदायिनी के रूप में पूजा जाता है। जिसको लेकर करीब तीन सौ बरोही (निसंतान दंपति) अनुसूया माता मंदिर में पहुंच गए हैं। साथ ही मंडल घाटी की देव डोलियां भी अनुसूया माता मंदिर पहुंच गई हैं। 
सोमवार को खल्ला, बणद्वारा, देवलधार, कठूड़ और सगर गांवों से मंडल में पहुंची देव डोलियों के मिलन को करीब से देखने के लिए यहां सैकड़ों देवी भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। मेले का शुभारंभ हंस फाउंडेशन के गढ़वाल प्रभारी पदमेंद्र बिष्ट ने किया। उन्होंने अनुसूया माता ट्रस्ट को 51 हजार रुपये भी दान दिए। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष ट्रस्ट अनुसूया माता मेले को नया स्वरूप दिया जाएगा। अपराह्न 3 बजे अनुसूया गेट पर पांचों देव डोलियों के मिलन के पश्चात डोलियों ने ढोल-दमाऊ व वैदिक मंत्रोचारण के साथ मुख्य मंदिर के लिए प्रस्थान किया। देव-डोलियों के साथ सैकड़ों की संख्या में देवी भक्त भी अनुसूया मंदिर के लिए निकले। अनुसूया मंदिर समिति के अध्यक्ष कुंवर सिंह नेगी ने कहा कि मंदिर में रातभर सांस्कृतिक कार्यक्रम और देवी भक्त रात्रि जागरण करेंगे।

यह है मान्यता--------
श्रीनगर गढ़वाल में स्थित प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर में जहां दंपति पुत्र कामना के लिए रातभर खडे़ दिए लेकर जागरण करते हैं, वहीं माता अनुसूया मंदिर में बरोहियों  को मंदिर प्रांगण में बने एक कक्ष में बैठाया जाता है। मान्यता है कि उन्हें यहां सपने में माता अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं। जिस बरोही को माता दर्शन दे देती है, वह चुपके से उठकर मुख्य मंदिर में पूजा के लिए पहुंच जाती है। मान्यता है कि जिस भी बरोही के स्वप्न में कन्या आएगी। वह अतिशुभ होता है।


यहां है माता अनुसूया का मंदिर----
माता अनुसूया का मंदिर समुद्र तल से 8000 फुट की ऊंचाई पर है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर से गोपेश्वर-मंडल मोटर मार्ग पर 13 किमी की दूरी पर मंडल बाजार स्थित है। यहां से 5 किमी की पैदल दूरी तय कर अमृत गंगा के दक्षिण भाग में ऋष्यकुल पर्वत की तलहटी में सुंदर एवं सुरम्य प्राकृतिक छटाओं के बीच माता अनुसूया मंदिर है। यहां से करीब 2 किमी की दूरी पर ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अत्रि ऋषि का आश्रम स्थित है।

 

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