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Bhadrakali Temple in Uttarakhand- माँ भद्रकाली के मंदिर उत्तराखंड में

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Dosto,

Bhadrakali Temples exist in different places at Uttarakhand. We will provide information about these temple here.


 भद्रकाली मंदिर (पौटी) उत्तरकाशी


 श्री भद्रकाली का पावन मंदिर स्थान बडकोट से ३ किलोमीटर दूर पौटी नामक स्थान में स्थित है ! यह स्थान बडकोट,विकास खंड नौगाव और जिला उत्तरकाशी के अंतरगर्त आता है इस क्षेत्र में भद्रकाली के दो मंदिर है! जिनमे से एक पौटी में दूसरा से लगभग ४ किलोमीटर की दूरी पर मोल्डा में स्थित है ! जन्मा अष्टमी के दौरान मान भद्रकाली बारह गावो में भ्रमण करती है !

 अपनी मनोकामना पूर्ती के लिए भी दूर दराज गाव के लोग डोली लेकर जाते है ! इस स्ताहन पर बारह गाव की मुख्य देवी के रूप में पूजी जाती है ! यह बारह गाव है !

 १)  पौटी
 २)  मौल्डी
 ३)  पाणी
 ४) हुन्डली
 ५) नैलाड़ी
 ६)  वीणाई
 ७)  कंताडी
 ८)  कांसी
 ९)  सुनरा
 १०)  सोदाड़ी
 ११) डनडाल गाव


M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
इस मंदिर में पूजा का अधिकार बहुगुणा जाती के लोगो का है ! टिहरी रियासत के दौरान से मंदिर से धूप दीप का खर्चा मिलता था! इनके पूर्वज बुधाणी (जनपद टिहरी) से आये उसके उपरांत साबुली और फिर पौटी गाव में उनका पदार्पण हुवा !   बहुगुणा जाति के चार परिवार परम्परागत प्रथा के अनुरूप इस मंदिर से जुड़े हुए है ! पौटी के इस मंदिर को देवदार के लकडियो से कलात्मक तरीके से निर्मित किया गया है ! यमुना नदी के किनारे स्थित यह मंदिर पूर्वाभिमुख पट्टियों के जोड़ में पत्थर का भी प्रयोग कुशलता से किया गया है!  मंदिर गर्भ गृह तीसर कक्ष में स्थित है ! मुख्य प्रतिमा भद्रकाली की है! इस प्रतिमा के दोनों और नाग देवता के दातु स्वरुप में प्रतिष्टित है ! भैरव देव, पताका, एव मूर्ती दोनों रूपों में प्रतिष्ठित है ! माँ भद्रकाली प्रम्तिमा हर वर्ष पौटी में स्थित मंदिर में रहने के उपरांत जब मोल्दा में स्थित भ्रद्रकाली में चली जाती है तो पौटी में स्थित मंदिर में १२ संक्रांत (प्रत्येक माह एक) को ही पूजा सम्पन्न होती है ! (साभार- केदारखंड - लेखिका लेखिका हेमा उनियाल)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
पूजा पद्दित इस मंदिर की पूजा पद्धित के अंतर्गत प्रातः ४ बजे बाजगी द्वारा नौबत लगाई जाती है ! सांयकाल पूजा के समय भी बाजगी द्वारा ढोल दमाऊ का वादन किया जाता है ! प्रातःकाल पूजा का समय सुबह १० बजे, साय पूजा का समय ७ से ८ बजे के बीच निर्धारित है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Molda Gaav-मोल्डा गाँव लगभग 1,800 मीटर की ऊँचाई पर बसा है। किम्वदन्ती के अनुसार बड़कोट से राजा सहस्त्रबाहु की गायें मोल्डा में चरने आती थीं। इस जल धारा के पास उनकी एक गाय अपने थन से दूध छोड़ती थी। राजा को जब मालूम हुआ तो उक्त स्थान को नष्ट करने के आदेश दे दिये, किन्तु उक्त स्थान पर दो बड़े साँप निकले जो धरती पर आकर मूर्ति के रूप में प्रकट हुए और एक जल धारा भी फूट पड़ी। धारा पत्थर के नक्काशीदार नाग मुख से निकलने लगी। तब से इस धारा को भूमनेश्वर धारा कहते हैं।इस प्रकार देवताओं से जुड़े गागझाला धारा, कन्ताड़ी और पौंटी गाँव का पवनेश्वर धारा, डख्याटगाँव का पन्यारा, सर गाँव के सात नावा, कमलेश्वर धारा, कफनौल का रिंगदूपाणी आदि जल धाराओं का संबंध है

Devbhoomi,Uttarakhand:
मेहता जी इस महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद


जय हो माँ भद्रकाली

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