Author Topic: Nanda Bhagwati Temple Pothing (Bageshwar) माँ नन्दा भगवती मन्दिर पोथिंग-बागेश्वर  (Read 49342 times)

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0

   
 [justify]    देव भूमि उत्तराखंड में समय-समय पर यहाँ विराजित देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।इन्ही देवी-देवताओं में माँ नंदा भगवती की पूजा समस्त उत्तराखंड में की जाती है। उत्तराखंड में हर नवरात्रिओं में माँ नंदा भगवती की पूजा का आयोजन होता है। इसी प्रकार माँ नंदा भगवती की पूजा उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में कपकोट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला गाँव पोथिंग (गड़कोट) में भी की जाती है।  पोथिंग गाँव में माँ नन्दा माई  भगवती का भव्य मंदिर है। यहाँ हर वर्ष भाद्र मास के नवरात्रियों में प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक माँ भगवती की पूजा का आयोजन होता है। माँ की यह पूजा काफी पहले से होती चली आ रही है।  इस पूजा समारोह ने एक बड़े मेले का रूप धारण कर लिया है जिसे लोग पोथिंग का मेला से नाम से जानते हैं। यहाँ हर वर्ष हजारों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं और इस मेले में शामिल होते हैं।   



#Bhagwati Mandir Pothing




Photo : Vinod Gariya
 

बागेश्वर से पोथिंग स्थित माँ नन्दा भगवती मन्दिर की दूरी 30 कि०मी० की है। माता का यह धाम अब सड़क मार्ग द्वारा जुड़ चुका है।   


कैसे पहुंचें :-

Bageshwar > Kapkote> Pothing>Maa Nanda Bhagwati Temple   

Pothing (Bageshwar) Bhagwati Mata Puja

https://www.youtube.com/watch?v=I8Nsu6JZwpI&feature=youtu.be

पोथिंग में माँ भगवती के मंदिर की स्थापना का इतिहास : पोथिंग गाँव में माँ भगवती की मंदिर की स्थापना भीम बलाव सिंह गढ़िया द्वारा किया गया, जो गढ़िया परिवार के पूर्वज हैं। आज भी उनके  द्वारा स्थापित पिठार (पत्थरों का बना वह स्थान जिसमें माँ भगवती विराजमान होती हैं) मौजूद है। भीम बलाव गडिया जी ने यहाँ मंदिर की स्थापना क्यों की ? इसके सम्बन्ध में गाँव के बुजुर्गों के अनुसार "किसी कारणवश बलाव सिंह गडिया जी ( बलाव बू-बू ) अल्मोड़ा जेल में बंद थे, यहाँ माँ भगवती की पूजा का समय आ रहा था। माँ भगवती बलाव जी को जेल के अन्दर रात को सपने आयी। माँ ने अपनी पूजा के बारे में कहा कि पोथिंग गाँव में मेरी  पूजा होनी है। माँ ने उन्हें सपने में ही वह स्थान बताया जहाँ पर उनका मंदिर बनाना है। अगले ही दिन बलाव गडिया जी के हाथों से बेड़ियाँ खुल गयीं और अल्मोड़ा जेल से वे रिहा हो गए। घर आ कर वे माँ भगवती का आदेश का पालन करते हुए उनके पूजा की तैयारी में जुट गए। जिस स्थान में माँ ने उन्हें मंदिर बनाने को कहा था उसी स्थान में उन्होंने मंदिर का निर्माण किया जो आ भी उसी स्थान में विद्यमान है। स्थानीय क्षेत्रवासी (गाँववासी) इसे डुबारा की नाम से जानते हैं। उन्होंने भाद्र मास के अष्टमी को माँ भगवती की पूजा की जो आज भी चली आ रही है।  
Photo : Navin Jishi Ji   

माँ भगवती की पूजा का शुभारम्भ : माँ भगवती की पूजा की तैयारियां श्रावण मास  के ०१ गत्ते से जिस दिन समस्त उत्तराखंड हरेले का त्यौहार मनाता है से प्रारंभ हो जाती है। इस दिन पोथिंगवासी कपकोट क्षेत्र के उत्तरोड़ गाँव से कदली वृक्ष (दूध केला) पारम्परिक रीति-रिवाजों की साथ लाते हैं, इस कदली वृक्ष  को गाँव में ही लगाया जाता है। कदली वृक्ष को ०१ माह तक गाय के दूध से सींचा जाता है, जिसे माँ की पूजा से समय सप्तमी के दिन माँ भगवती के साथी लाटू देवता के द्वारा काटकर माँ नंदा सुनंदा भगवती के मूर्ति निर्माण में प्रयोग किया जाता है।     
     

भाद्र मास की नवरात्रि के प्रथम दिन माँ की पूजा का सुभारम्भ हो जाता है। इस दिन देवताओं के राजा गोलू देवता के द्वारा गांववासियों द्वारा लाया गया अनाज भरा जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में "सिंग ढावण" बोलते हैं। इसमें गोलू देवता सिंग (कुंमाऊँ में अनाज मापने का बर्तन, जो लकड़ी का बना होता है) द्वारा अनाज भरता है और यहीं से माँ भगवती की पूजा का सुभारम्भ हो जाता है। इन नवरात्रियों में रातभर माँ का जागरण होता है। विभिन्न प्रहरों में माँ भगवती की आरती होती है। आरती के दौरान माँ अपने डंगरियों के माध्यम से अपना दर्शन देती है। गाँव में विराजित समस्त देवी देवता इस पूजा में आमंत्रित रहते हैं। माँ के नवरात्रिओं में माँ भगवती के जागर भी गाये जाते हैं, इस जागर को गाने के लिए गढ़वाल के चमोली जिले (तोरती गढ़वाल)  से जगरिया आमंत्रित किया जाता है। अंतिम दिन अष्टमी के दिन पूजा अर्चना के साथ माँ भगवती की पूजा का समापन हो जाता है। इस दिन माँ भगवती की पूजा करने के लिए समस्त लोगों का सैलाब पोथिंग गाँव में उमड़ पड़ता है, जो एक बड़े मेले का रूप धारण कर लेता है।     






माँ भगवती की पूजा का मुख्य आकर्षण : माँ भगवती की पूजा का प्रसाद ही यहाँ का मुख्य आकर्षण है। यह प्रसाद हैं  "सवा तीन सौ ग्राम की पूड़ी".  इस पूड़ी को पूड़ियों का राजा कहा जाय तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। नंदा अष्टमी के दिन लगभग इसी वजन की हजारों पूड़ियाँ बनाई जातीं हैं। एक पूड़ी 02 इंच मोटी होती है और उसकी गोलाई एक प्लेट के बराबर होती है। यही पूड़ी माँ भगवती की पूजा के समापन के बाद श्रद्दालुओं में वितरित की जाती है यही यहाँ के मंदिर का प्रसाद होता है। इस पूड़ी की जो मिठास होती है सायद ऐसी मिठास कहीं न मिले। लोग कहते हैं कि जैसे-जैसे यह पूड़ी बासी होती जाती है वैसे-वैसे इसका स्वाद बढते जाता है. सात समंदर पार  भी यह पूड़ी जा चुकी है वहां भी इसका स्वाद ज्यों  का त्यों रहा। इस पूड़ी का स्वाद और इस पूड़ी का  एक लम्बे समय तक सुरक्षित  रहना आज भी एक रहस्य से कम नहीं है।     

धन्यवाद     

विनोद सिंह गडिया






हरेला पर्व पर भगवती में पोथिंग में केले का पेड़ रोपने जाते देव-डंगरिये और श्रद्धालु
[/justify]



https://www.youtube.com/watch?v=I8Nsu6JZwpI

Video

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
यह है पोथिंग गाँव में माँ भगवती का मंदिर | यहाँ नवरात्रियों में प्रतिपदा से सप्तमी तक रात को माँ की पूजा होती है | यह स्थानीय भाषा में तिपारी कहलाता है |


विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
इस मंदिर में नंदा अष्टमी को विधिवत माँ नंदा भगवती की पूजा की जाती है, यह स्थल डुबारा कहलाता है |


विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
नवरात्रियों में माँ का दरबार


विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0

माँ की पूजा में आये श्रद्धालु झोडे-चाचरी का मज़ा लेते हुए


विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0


बागेश्वर जिले के पोथिंग गाँव में स्थित माँ भगवती का यह मंदिर 'तिबारी' कहलाता है। यहाँ हर वर्ष भाद्रपद की नवरात्रियों में माँ भगवती की पूजा होती है। यहाँ तिबारी में प्रतिपदा से सप्तमी तक रात को विभिन्न प्रहरों में माँ की आरती होती हैं, जिसमें माँ भगवती, उनके धर्म भाई लाटू, गोलू देवता सहित अन्य कई देवता अपने डंगरियों में अवतरित होकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। यहाँ विभिन्न क्षेत्रों से लोग आकर देवी के दर्शन करते हैं साथ ही अपने मनोरंजन हेतु झोड़े-चांचरी गाते हैं।

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0


at Nanda Bhagwati Temple Pothing-Kapkote (Bageshwar)


विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
पंचमी पर्व के दिन माँ के दरबार में गौदान (गाय दान) इत्यादि के लिए एकत्रित भक्तगण


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
गाड़िया जी धन्यवाद,

मैंने भी माँ भगवती इस मंदिर के बारे बहुत सुना है, मेरे गाव से लोग हर बार इस मेले आयोजन में जाते है!  मंदिर परागण के शायद एक शिला है जिसे लोग मेले के दिन उठाते है!

केले के पेड़ को निमंत्रण (केव न्योतना)
--------------------------------------------
एक और आकर्षण शायद मेले किसी गाव से मंदिर में लाया जाता है, जिसको देखने बहुत से लोग वहां आते है!



#Bhagwati_Mandir #Pothing #Bageshwar

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22