Author Topic: Bukhal Mela, a famous fair Pauri Garwal- बूंखाल मेला पौड़ी गढ़वाल  (Read 14002 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

पैठाणी (गढ़वाल)। गढ़वाल भर में आयोजित होने वाले अधिकांश मेले विभिन्न ऐतिहासिक आख्यानों-परंपराओं पर आधारित होते हैं। परंपरा के मुताबिक इन मेला आयोजनों के दौरान पशुओं की बलि देने का भी रिवाज रहा है। ऐसा ही एक मेला है बूंखाल मेला। प्रतिवर्ष इस मेले में सैकड़ों बकरों समेत नर भैंसों की जान शक्ति उपासना के नाम पर ले ली जाती है। गढ़वाल में मेलों को अठवाड़े के नाम से भी जाना जाता है।

   तकरीबन चार सौ साल पुराना एतिहासिक बूंखाल मेला प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। लंबे समय से बलि रोकने के प्रयास अभी तक रंग लाते नहीं दिख रहे। सैकड़ों साल से चली आ रही परम्परा को लेकर ग्रामीण समझौते के मूड में नजर नहीं आ रहे। शनिवार को होने वाले मेले में बलि को लेकर प्रशासन में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। हालांकि प्रशासन ने बलि प्रथा रोकने के लिए पुलिस, पीएसी व होमगार्ड के करीब डेढ़ हजार जवान तैनात किए गए हैं


मेले का इतिहास
जनश्रुतियों के अनुसार चार सौ साल पहले चोपड़ा गांव में कन्या का जन्म हुआ और कन्या को गांव के ही बच्चों ने खेल-खेल में एक गड्ढे में दबा दिया और गड्ढे में बकरों व भेंड़ों के कान काट कर डाल दिए। तब कन्या ने सपने में गांव के लोगों को दर्शन देकर बताया कि मैं वहां जमीन के नीचे दबी हूं और अब यहां हर साल बलि दी जाए। यूं तो बूंखाल में हर शनिवार को बकरों की बलि चढ़ाई जाती है किंतु विशेष उत्सव पर सैकड़ों की संख्या में नर भैंसो व बकरों की बलि होती है।


Regards,


M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bunkhal village in Pauri district.
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DEHRADUN: Law takes a backseat when it comes to religious sentimentality in India. In a grave violation of law, more than 31 male buffaloes and 135 goats were sacrificed in a temple premises to appease Goddess Aradhya Devi allegedly by her devotees during a day-long annual fair at Bunkhal village in Pauri district.

Police sources said although the practice of mass animal sacrifice was a cognizable offence under Prevention of Cruelty Act, it had been going on for several years right under the nose of senior  Uttarakhand administrative and police authorities including Pauri District Magistrate (DM) Dilip Jawalkar and SP Pushpak Jyoti in Dehradun and Pauri.

Police sources said senior administrative and police authorities decided to put a check on mass animal sacrifice at the Bunkhal temple after members from different animal lovers' organizations and groups who find the practice "inhuman, brutal and cruel" raised their voices.

The people of Uttarakhand said they were shocked to see that despite their crusade against this age-old practice of mass animal sacrifice, the Ramesh Pokhriyal Nishank government had not bothered to impose a blanket ban on this inhuman practice. Instead the government offered an excuse that "the practice of mass animal sacrifice had been handed down from centuries ago and was a part of religious rituals and so it was not possible to check it to by force."

Residents of nearby villages including Chorikhal in Pauri district, told TOI that as per this practice, the animals are first taken to nearby Chorikhal village where vermilion is applied on their foreheads. Then they are taken to Bunkhal temple for "sacrifice." They are slaughtered one by one, with sharp-edged weapons -mini and huge daggers (Khunkhri and Farsa) -by the villagers while offering their special prayers to the goddess.

Pauri DM Jawalkar and SP Jyoti said they had taken more than 12 goats and 23 buffaloes into their custody which were being taken for sacrifice and lodged FIR against all those responsible for mass animal sacrifice.

The officials said they had yet to identify and ascertain the exact number of persons involved in mass animal sacrifice.

"They all will be named in FIR lodged in the police station for breach of peace under section 151 of CRPC and under prevention of cruelty act as soon they are identified", the officers said.

Read more: Mass animal sacrifice in Uttarakhand village - The Times of India http://timesofindia.indiatimes.com/india/Mass-animal-sacrifice-in-Uttarakhand-village/articleshow/7092225.cms#ixzz17zJaTiRT

Anil Arya / अनिल आर्य

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बूंखाल में पशुबलि 31 के खिलाफ मुकदमा दर्ज
पौड़ी। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद बूंखाल में बलि होने पर प्रशासन ने सख्त कदम उठा लिए हैं। इसके तहत चिह्नित 31 लोगों के खिलाफ सार्वजनिक स्थल पर बलि देने के पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
प्रशासन के मुताबिक थलीसैण तहसील के अंतर्गत बूंखाल देवी मंदिर में 11 दिसंबर को आयोजित मेले में पुलिस के सख्त पहरे के बावजूद 31 नर भैंसों की बलि दी गई। बूंखाल को जाने वाले विभिन्न रास्तों पर पुलिस चैक पोस्ट बनाए गए थे। ताकि बलि के लिए जाने वाले नर भैंसों और बकरों को बूंखाल जाने से रोका जा सके। लेकिन खिर्सू चैक पोस्ट के अलावा अन्य पोस्टों से पुलिस बल की भी एक नहीं चली। लोगों के जुनून को देखते हुए बूंखाल क्षेत्र में तैनात पीएसी के जवान भी कुछ करने की स्थिति में नहीं रहे। प्रशासन के पहरे के सामने ही दर्जनों की तादाद में नर भैंसे और बकरे देवी के नाम बलि चढ़ाए गए। 
Source- epaper.amarujala

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बूंखाल में 31 के खिलाफ मुकदमे दर्जDec 13, 06:58 pmबताएं

पौड़ी गढ़वाल, जागरण कार्यालय : प्रख्यात पशु बलि मेला बूंखाल में इस बार नर भैंसों की बलि देने वाले 31 लोगों के खिलाफ नायब तहसीलदार थलीसैण ने पशु क्रूरता अधिनियम समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं, पशु बलि समर्थकों ने इसे धार्मिक भावनाओं पर गहरा आघात करार देते हुए सरकार को दोषी ठहराया है।

काबिलेगौर हो कि प्रसिद्ध बूंखाल मेले में शनिवार को पांच दर्जन से अधिक नर भैंसों व बकरों की बलि दी गई। प्रसिद्ध बूंखाल कालिका में पशु बलि को पशु क्रूरता अधिनियम के तहत गैर कानूनी करार देते हुए जिलाधिकारी दिलीप जावलकर के आदेश पर नायब तहसीलदार थलीसैण ने इस मामले में 28 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 147, 269, 270 व 429 में मुकदमा दर्ज किया है। इसके अलावा पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 में भी मुकदमे कायम किए गए हैं। प्रशासन ने यहां 12 नर भैंसों को अपने कब्जे में लिया था जिन्हें पशु लोक ऋषिकेश भेजा गया है।

जिलाधिकारी दिलीप जावलकर ने नायब तहसीलदार थलीसैण को मुकदमे दर्ज करने के साथ ही कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। वहीं इस संबंध में लोगों का कहना है कि इसमें शासन सीधे तौर पर शामिल है और इसका परिणाम भी शासन को भुगतना पडे़गा। इस संबंध में मुकदमे में शामिल लोगों ने आंदोलन की चेतावनी के साथ ही कलक्ट्रेट में प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया है।

नामजद आरोपियों की सूची

नाम गांव

साबर सिंह नौगांव

आनंद सिंह नौगांव

गुडबर सिंह नौगांव

महावीर सिंह चोपड़ा

राजेन्द्र सिंह चोपड़ा

नंदराम देहरादून

भूपेन्द्र प्रसाद बहेड़ी

शेर सिंह बमोर्थ

पंचम सिंह बमोर्थ

गोविन्द सिंह किरसाल

रणजीत लाल सौंटी

भगत लाल कुंडी

केदार सिंह मिलई

विनोद सिंह कुई

दलवीर सिंह सिमल्त

श्याम प्रसाद सिमल्त

राजेन्द्र सिंह फलद्वाडी

दरवान सिंह मणकोली

आनंद सिंह बुरांसी

देवेन्द्र सिंह जवाडी

धर्म सिंह मणकोली

राम सिंह किमडांग

गणेश सिंह किमडांग

सुरेश सिंह पसीणा

राम सिंह खंडूली

त्रिलोक सिंह बनेख

मनवर सिंह ओडागाड

ओम प्रकाश चूफण्डा

बूंखाल में नर भैंसो की बलि देने वाले इन लोगों के खिलाफ तहसील थलीसैण में मुकदमे कायम किए हैं।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7021828.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Bhookhal Kalinka.
            
   
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merapahad
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Suresh Rawat   
Hi, Animal Sacrifice Continues At Bunkhal Mela. Does it seems unpleasant if w...
   
Dec 20 (1 day ago)
Suresh RawatLoading...   
Dec 20 (1 day ago)
Suresh Rawat
 to me
   
show details Dec 20 (1 day ago)
   

Hi,

 

Animal Sacrifice Continues At Bunkhal Mela.

 

Does it seems unpleasant if we collectively offering prayer once in a year by this prehistoric method. Animal sacrifice is okay till the time we are not making it hazard for the others. Every day hundreds of animals are sold openly in market just for adding taste to the life. How many of us observe it, that both the side the materials are same and the culprits are common for the same crime.

          My announcement is, if the topic is not highlighted it does not hide its reality. It’s our custom since our mighty ancestor allotment it needs to continue.

 

My strong appeal: - Not to interrupt this till the time our Bhagwati is demanding for…. Let’s don’t forget those days when we entered into the premise for our desires and find our wishes in return.

 

Jai Bhookhal Kalinka.
Suresh Rawat.

Anil Arya / अनिल आर्य

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पशुबलि मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद
नैनीताल। पीपुल्स फार एनीमल संस्था देहरादून तथा गौरी मौलेखी द्वारा मंदिरों में पशुबलि रोके जाने के संबंध में दायर जनहित याचिका में सोमवार को डीएम नैनीताल ने जवाब दाखिल कर दिया। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष तथा न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। देहरादून की पीपुल्स फार एनीमल संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मंदिरों में होने वाली पशुबलि पर रोक लगाने की मांग की थी। एक अन्य याचिकाकर्ता गौरी मौलेखी ने भी कोर्ट में पशुबलि को रोके जाने की मांग की थी। हाईकोर्ट में उक्त दोनों याचिकाओं की सुनवाई एक साथ की जा रही है। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान डीएम नैनीताल में इस संबंध में जवाब दाखिल किया।
http://epaper.amarujala.com//svww_index.php

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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MANOJ BANGARI RAWAT

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जागरण प्रतिनिधि पौड़ी:

निरीह पशुओं के खून से रक्तरंजित होने वाली बूंखाल की धरती पर अब वासंती रंग चढ़ने लगा है। मंदिर के पास जिन खेतों में पशुबलि होती वहां सरसों लहलहा रही है। यह सब कालिंका मंदिर बूंखाल में पशुबलि बंद होने से हुआ है। सात्विक पूजा में बजने वाली मंदिर की घंटी भी अब सुकून दे रही है। आगामी सात दिसंबर को यहां मेला लगेगा, लेकिन इस बार भी पशुबलि के बजाय सात्विक पूजा होगी।

दरअसल, विकासखंड थलीसैंण के तहत आने वाला बूंखाल कालिंका मंदिर में मेला लगता है, इस मेले में सैकड़ों की तादाद में नर भैंसों व हजारों बकरों की बलि दी जाती थी। यह सब खुद की रक्षा, सुख-समृद्धि की मनौती के लिए होता था, लेकिन बदलाव की बयार के साथ लोगों ने अब इस प्रथा से निकारा कर लिया है। पूर्व की बात करें तो बूंखाल में पशुबलि रोकने निजी संगठनों व सरकार की ओर से काफी प्रयास प्रयास हुए, लेकिन पिछले वर्ष यानी 2012 लोगों ने खुद ही इस कुप्रथा परित्याग कर दिया। पिछले वर्ष से मंदिर में पशुबलि नहीं हो रही है। इससे मंदिर परिसर के आसपास जिन खेतों में पशुबलि का क्रूर खेल होता था, वहां पर सरसों के पीले फूल खिलें हैं। अब इस वर्ष भी लोग सात्विक पूजा कर देवी से मनौतियां मांगेंगे।

वर्षो से चल रही किसी प्रथा को रोकना चुनौती होता है। बूंखाल कालिंका मंदिर में पशुबलि बंद कर क्षेत्रवासियों ने सराहनीय कार्य किया। सात दिसंबर को होने वाले मेले को लेकर स्थानीय लोगों व प्रशासन की बैठक में सात्विक पूजा का कार्यक्रम तय किया गया है।

जीआर बिनवाल, एसडीएम थलीसैण

MANOJ BANGARI RAWAT

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बूंखाल मेले की तैयारियां जोरों पर
शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013
PauriUpdated @ 5:44 AM IST
पौड़ी। राठ क्षेत्रवासियों की आराध्य देवी मां कालिंका बूंखाल में सात दिसंबर को लगने वाले बूंखाल मेले की तैयारियां जोरों पर है। गांवों से देवी मंदिर में लाई जाने वाली देवी-देवताओं की डोलियां सजने लगी हैं।
बूंखाल मेला पहले पशुबलि के चर्चित था। क्षेत्रवासियों, प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं के प्रयास से पिछले दो साल से मेले में पशुबलि बंद हो गई। मेले में पिछले साल से लोगों की ओर से देवी को चढ़ाने के लिए बागी के स्थान पर देवी-देवताओं की डोली लाई जा रही है। इस परंपरा की शुरूआत पिछले साल डांडी-कांठी संस्था की ओर से शुरू की गई। डांडी कांठी संस्था के राकेश खंकरियाल, सुरेंद्र नौटियाल, संजय नौटियाल, भूपेंद्र सिंह रावत, जितेंद्र नेगी ने बताया कि मेले को लेकर लोगों को काफी उत्साह है।

चैक पोस्ट बनाने का कार्य शुरू
बूंखाल मेले को शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने बूंखाल मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में चैक पोस्ट बनाने शुरू कर दिए हैं। थलीसैण के उपजिलाधिकारी जीआर बिनवाल ने बताया कि इसके तहत बेला बाजार, पैठाणी, मुसांगली, पिठुंडी, चोपड़ा, नलई, मेलसैण समेत विभिन्न जगहों पर चैक पोस्ट स्थापित की जा रही हैं।

मेले में होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम
मेले में इस बार भी युवा कल्याण विभाग की पहल पर कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। जिला युवा कल्याण अधिकारी केकेएस रावत ने बताया कि कार्यक्रम राजकीय इंटर कालेज चौंरीखाल में आयोजित होंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोक गायक अनिल बिष्ट एवं साथी कलाकारों पर कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।

 

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