गोपेश्वर के ऊपर एक बड़े गांव मंडल से अनुसूया माता मंदिर के 5 किलोमीटर की पैदल यात्रा आरंभ होती है।
पैदल-पथ बालकाल्या नदी के किनारे-किनारे जाता है तथा यह जंगलों तथा चबूतरानुमा धान के खेतों से गुजरता है। इस मंदिर पर संतान विहीन माता-पिता संतान का वर पाने आते हैं।
एक घने वन के बीच एक पर्वत के नीचे यह मंदिर स्थित है। भूरे पत्थरों के टुकड़ों से निर्मित इस मंदिर का शिखर नागर शैली में निर्मित है, जबकि मंदिर के आगे का भाग हाल ही में पुनर्निर्मित हुआ है। आप मंदिर समिति की अतिथिशाला में ठहर सकते है, जहां आपको बिस्तर एवं भोजन प्राप्त होगा।
एक किंवदंती के अनुसार नारद मुनि के उकसाने पर ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की पत्नियों ने उन्हें अत्री मुनि की पत्नी अनुसूया की परख करने को कहा, जिन्हें सर्वोत्तम धार्मिक स्त्री माना जाता था। इसका प्रमाण मिल गया और तीनों पत्नी देवियों को अनुसूया का दर्शन करने आना पड़ा।
यहां से 2 किलोमीटर दूर वह गुफा है, जहां अत्री मुनि तप करते थे। यह गुफा एक झरने के पीछे है, जिसके इर्द-गिर्द आप घूम सकते हैं।