नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश
कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था।
उसी समय उनकी पत्नी, पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे।
इस तरह, विष उनके गले में बनारहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था।
गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था।
अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव कोसमर्पित है।
मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहाँ भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 5500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
मुनी की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 50 किलोमिटर और नाव द्वारा गंगा पार करने पर
25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है।
![](https://m.ak.fbcdn.net/sphotos-a.ak/hphotos-ak-ash4/999681_489061737849239_671171148_n.jpg)