भारतीय रीति-रिवाज से एक दूजे के हुए प्रवेश और मोहनीजर्मनी के लेखक और टीवी पत्रकार का वैदिक परंपरा से विवाह• अमर उजाला ब्यूरो
रानीखेत। हैड़ाखान आश्रम की यज्ञशाला में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मंगलगीत गूंजे। अग्नि को साक्षी मानकर साथ जीने-मरने की सौगंध खाई गई। हैड़ाखंडी समाज के मुनिराज त्रिलोक सिंह ने आशीर्वाद दिया। इस प्रकार जर्मनी के 70 वर्षीय हार्बर्ड तथा 52 वर्षीया ब्रिगीट हिंदू मान्यताओं के अनुसार दांपत्य बंधन में बंध गए।
हैड़ाखंडी समाज से जुड़ी सुशीला के अनुसार जर्मनी के हाफमन परिवार से संबंध रखने वाले 70 वर्षीय हार्बर्ड लेखक हैं। अध्यात्मिक तकनीकों से लोगों को मानसिक शांति प्रदान करने का उन्हें शौक है। हैड़ाखंडी समाज से जुड़ी 52 वर्षीया ब्रिगीट जर्मनी में टीवी पत्रकार हैं। हैड़ाखंडी समाज में हार्बर्ड का भारतीय नाम प्रवेश तथा ब्रिगीट का नाम मोहनी है। दोनों सात साल पहले कैथोलिक परंपरा के अनुसार वैवाहिक बंधन में बंधे थे। आज उन्होंने सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार अपने इस रिश्ते को प्रगाढ़ता प्रदान की। सुबह यज्ञशाला में अग्नि को साक्षी मानकर उन्होंने एक दूसरे का वरण किया। पं. मायापति तिवारी, विनोद शास्त्री तथा पं. जय बल्लभ ने वैदिक परंपराओं के अनुसार रस्में निभाई। इस मौके पर स्थानीय महिलाओं ने मंगलगीत गाए। वहां मौजूद तमाम लोगों ने विवाह की बधाइयां दी। बाद में वर-वधू ने मुनिराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। दोनों ने भंडारे के समूह भोज में भी हिस्सा लिया।
दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने की तमन्नारानीखेत। विवाह समारोह संपन्न होने के बाद मोहनी ने कहा कि इस वक्त बहुत अच्छा और विशिष्ट किस्म का अनुभव प्राप्त हो रहा है। यह क्षण अविस्मरणीय हैं। प्रवेश ने कहा कि बाबा जी भले ही शरीर रूप में मौजूद नहीं हैं लेकिन वह हमेशा साथ रहते हैं। सब कुछ उनकी प्रेरणा का नतीजा है। हैड़ाखंडी समाज के लोगों ने कहा पाश्चात्य देशों में दांपत्य जीवन अस्थिर और पूर्णत: भौतिकवादी हैं, जबकि इसके विपरीत भारत में विवाह को दो आत्माओं का मिलन माना जाता है, जिसमें पति-पत्नी अगाध प्रेम और विश्वास की डोर में बंध जाते हैं। पाश्चात्य जगत के लोग भी विवाहेत्तर संबंधों को मधुर और प्रगाढ़ बनाने के लिए फिर से भारतीय परंपरानुसार विवाह करते हैं और हैड़ाखान बाबा की मूक और अदृश्य मध्यस्थता उन्हें प्राप्त होती है।
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