शिव पुराण, स्कंध पुराण, पद्म पुराण और महाभारत में वर्णित हरिद्वार ब्रह्मा, विष्णु और महेश से संबंधित है। वायु पुराण के अनुसार पृथ्वी के सभी तीर्थ माया यानि हरिद्वार में बसते हैं। इसी कारण हरिद्वार पौराणिक काल से ही संत महात्माओं की तपस्थली, कर्मस्थली और परमेश्वर तक पहुंचने का प्रवेश द्वार रहा है। गंगा के धरती पर आगमन से पहले भी हरिद्वार ब्रह्मा जी का तीर्थ रहा है, ऎसी मान्यता है कि जिस स्थान पर आज हर की पैड़ी है, वहां पहले कभी ब्रह्म कुंड था, जिस कारण हर की पैड़ी के मध्य वाले भाग को आज भी "ब्रह्म कुण्ड" कहा जाता है।