जोशी जी आपका कहना सही है कि पुराणों में वर्णित "दारूकावने नागेशं" के आधार पर जागेश्वर को द्वादश ज्योतोर्लिंगों में शामिल करने के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं, दक्षिण के लोग भी अपने किसी प्रतिष्ठित मन्दिर को जागेश्वर की जगह पर द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल करते हैं.
लेकिन कुछ विद्वानों के मतानुसार "दारुकवन" (देवदार वन) के बीच स्थित होने के कारण स्पष्ट रूप से जागेश्वर को ही इस द्वादश शिवलिंगों में किया जा सकता है. क्योंकि गुजरात या दक्षिण भारत में देवदार के वृक्ष नहीं पाये जाते. "नागेश" भी हिमालय पर्वत का ही एक नाम है, इस आधार पर भी हिमालय की तलहटी में स्थित होने के कारण जागेश्वर को ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल होना निश्चित किया गया है.