Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

Jakh Devta Temple, Rudraprayag- जाख देवता मंदिर, रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:




Deepak Benjwal20 hours ago
जन आस्था और विश्वास का मेला > जाख मेला
 एक बार फिर हजारों लोग साक्षी बने एक अदभुत, अकल्पनीय और अति रोमांचक उस क्षण के जब जलते अंगारों पर जाखराज के पश्वा द्वारा ढोल-दमों की थाप के साथ नृत्य किया जाता है...............! जय जाखराज की.....!
 
 जाख मेला रुद्रप्रयाग जिले के जाखधार गुप्तकाशी मे बिखोती के एक दिन बाद लगता है, जाख देवता यक्ष का ही नाम रूप है. इस देवता के निशान समीप  के गाँव देव्शल मे रखे जाते  है. बैशाखी के दिन बाज की लकडियो का एक बड़ा जखीरा यहाँ  कुंद मे अंगारों होने तक जलया जाता है. अगले दिन देव्शल गाँव से जाख देवता का पसवा (अवतारी पुरूष) इस कुंद मे खुद कर लोगो को  अश्रीवाद देता है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:



धियाणियों ने देवता से मांगीं मनौतियांStory Update : Sunday, April 29, 2012    12:01 AM[/t][/t] चमोली/गोपेश्वर। नौ गांव फरर्स्वाण फाट में 12 वर्षों में आयोजित होने वाला जंाती मेला शनिवार को आदिकाल से चली आ रही धार्मिक परंपराओं के साथ संपन्न हो गया है। इस मौके पर जाख देवता के पश्वा नौ दिनों तक आग में गरम की गई जांती (लोहे का छल्ला) को अपने पूरे शरीर पर स्पर्श करते हैं। इस दृश्य को देखने के लिए पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने देव शक्ति को नमन किया। मेले में पहुंची धियाणियों ने जाख देवता के दर्शन कर मनौतियां मांगीं।
पिछले आठ दिनों से चल रहे इस धार्मिक आयोजन में ब्राह्मणों द्वारा हवन कुुंड में लाखों मंत्रों की आहुतियां दी गईं। इस धार्मिक आयोजन में फर्स्वाण फाट के ग्राम पंचायत  लासी, मजोठी, दुसात गांव, डुंगरा, नव्वा, रांगतोली, हरमनी, पोल और लस्यारी गांवों के ग्रामीण भाग लेते हैं। जाख देवता को यक्षराज के नाम से जाना जाता है। यक्षराज के  पश्वा द्वारा जिस जांती को अपने शरीर से स्पर्श किया जाता है वह जांती इन नौ गांवों के लोगों द्वारा नौ दिन और नौ रातों तक आग में तपाई जाती है। लासी गांव में जाख देवता का भव्य मंदिर है। स्थानीय ग्रामीण यहां अपने खेतों में अच्छी फसल और क्षेत्र में दैवीय आपदाओं के प्रकोप को नष्ट करने के लिए पहुंचते हैं। शनिवार को बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी ने मेले का शुभारंभ किया।
जब गोपीनाथ भगवान ने दिया था श्राप
गोपेश्वर। जिला मुख्यालय से करीब सात किमी की दूरी पर स्थित कोठियालसैंण में कई खेत आज भी बंजर पडे़ हुए हैं। इसके पीछे एक स्थानीय कथा प्रचलित है। कहते हैं कि गोपीनाथ भगवान और जाख देवता बालखिला और अलकनंदा के संगमस्थल पर नहाने के लिए पहुंचे तो अपने-अपने क्षेत्र को लेकर दोनों देवों में ठन गई। तब दोनों में तय हुआ कि जो अपने मंदिर में पहले पहुंचकर शंखध्वनि करेगा उसी को अधिक भूमि का हिस्सा मिलेगा। गोपीनाथ भगवान कोठियालसैंण में गहत की खेती के बीच फंस गए, जबकि जाख देवता अलकनंदा से भूमिगत सुरंग बनाकर अपने मंदिर तक पहले पहुंच गए। तब गोपीनाथ भगवान ने कोठियालसैंण की भूमि में अनाज न उगने का श्राप दिया था।  http://www.amarujala.com/city/Chamoli/Chamoli-39313-142.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Deepak Benjwal a
दहकते आंगारो पर जाख राजा का नृत्य

दस्तक ...ठेठ पहाड़ से
जाखधार ( गुप्तकाशी )

केदारघाटी के जाखधार में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले दो दिवसीय जाख मेले का बुधवार को भव्य रूप से समापन हो गया। भगवान जाख के पश्वा ने दहकते अंगारों के बीच नंगे पांव नृत्य किया। मेले में हजारों की संख्या में मौजूद भक्तों के जयकारे से माहौल भक्तिमय हो गया।
केदारघाटी के जाखधार में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले जाख मेले का इस बार भी भव्य रूप से आयोजन किया गया। नारायणकोटी, कोठेडा, नाला, देवशाल समेत अन्य गांवों के सहयोग से 13 अप्रैल से मेले की तैयारियां शुरू हो गई थी। बीते मंगलवार की सुबह प्रत्येक परिवार से एक-एक व्यक्ति ने मंदिर पहुंचकर मंदिर में लकड़ियों को एकत्रित किया। मंदिर परिसर में करीब 15 फीट ऊंची पवित्र मूंडी का निर्माण किया गया, जिसकी विधिवत पूजा अर्चना की गई। संक्रांति के दिन शाम को भगवान जाख के गृह स्थान देवशाल से भगवान की डोली गाजे बाजे के साथ मंदिर परिसर पहुंची। यहां पूजा अर्चना के बाद फिर से जाख देवता की मूर्ति स्थापना कर उनका श्रृंगार किया गया। चारों कोनों पर विधिवत पूजा अर्चना के बाद अग्नि प्रज्ज्वलित की गई। रात्रि को नारायण भगवान ने पश्वा में अवतरित होकर मूंडी के शिखर पर आग जलाई। जल व दूध से स्नान कर करीब ढाई बजे पश्वा ने अग्निकुंड में प्रवेश किया। जहां उन्होंने दहकते अंगारों के बीच नृत्य किया। वहा हजारों की संख्या में मौजूद भक्तों ने जाख राजा के जयकारे किए। इससे पूरा माहौल भक्तिमय बन गया। इस मौके पर भारी संख्या में भक्तगण मौजूद थे।




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