Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

Jakh Devta Temple, Rudraprayag- जाख देवता मंदिर, रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

 दोस्तों,

 हम आज मेरापहाड़ फोरम में जाख देवता के महिमा का वर्णन करंगे और जाख देवता के मंदिर के बारे में जानकारी दंगे ! गुप्तकाशी (रुद्रप्रयाग),  देवशाल गांव में स्थित है प्रसिद्ध भगवान का मंदिर! जाख देवता यक्ष व कुबेर के रुप में भी माने जाते है!

 सबसे पहले आप जाख देवता के बारे में यह खबर पड़िए!



दहकते अंगारों पर आस्था का सैलाबगुप्तकाशी (रुद्रप्रयाग), निज प्रतिनिधि: देवशाल गांव में स्थित प्रसिद्ध भगवान जाख मेले में भगवान जाखराजा के पश्वा ने दहकते अंगारों के बीच नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। बीते गुरुवार को संक्रांति के दिन सुबह ग्रामीणों ने नंगे पांव भगवान की पूजा- अर्चना व अग्नि प्रज्ज्वलित करने के लिए काफी संख्या में लकड़ियां एकत्रित की। इसी दिन सांय को नारायणकोटी व कोठेडा के ग्रामीणों ने देवशाल स्थित जाखराजा के मंदिर से भगवान की डोली को गाजे-बाजों के साथ जाख मंदिर में स्थापित किया। अग्निकुंड व मंदिर के दोनों दिशाओं में स्थित देवी देवताओं के पारंपरिक पूजा-अर्चना के बाद अग्निकुंड में रखी लकड़ियों पर अग्नि प्रज्ज्वलित की गई। जो कि रात भर जलती रही। अग्नि की रक्षा के लिए नारायणकोटी व कोठेडा के ग्रामीण रात्रिभर जागरण कर जाख देवता के नृत्य के लिए अंगारें तैयार करते रहे। दूसरे दिन जाख देवता का पश्वा नारायणकोटी से जनसमूह के साथ कोठेडा व देवशाल होते मेला स्थल पहुंचे। यहां पर जाखराजा के पश्वा भी मौजूद थे, ढ़ोल-दमाऊ की थाप पर जैसे ही जागरों से जाखराजा का अह्वान किया गया तो वे पश्वा पर अवतरित हुए, और दहकते अंगारों में काफी देर तक नंगे पांव नृत्यकरश्रद्धालुओं को विराट रुप में दर्शन देकर आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर मुख्य पुजारी आचार्य उत्तमप्रसाद भट्ट ने बताया कि जाख देवता यक्ष व कुबेर के रुप में भी माने जाते है। उनके दिव्य स्वरूप की अलोकिक लीला प्रतिवर्ष अग्निकुंड में दहकते अंगारों पर नृत्य कर विश्व कल्याण की कामना करते हैं। जाख मेला समिति के सचिव आत्माराम बहुगुणा का कहना है कि जिले के  प्रसिद्ध जाखमेले को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए शासन-प्रशासन को पहल करनी चाहिए। (Source-Dainik Jagran)
 

M S Mehta

Devbhoomi,Uttarakhand:
दहकते अंगारों में होता जाख देवता का नृत्य
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गुप्तकाशी क्षेत्र अंतर्गत जाख मंदिर में बैशाखी पर्व पर विशेष रूप से आस्थावान लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। जाखमेला धार्मिक भावनाओं एवं सांस्कृतिक परम्पराओं से जुड़ा हुआ है। इस मेले में भगवान जाखराजा के पश्वा दहकते अंगारों के बीच नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं, मेले का यह दृश्य आस्थावान लोगों को अपने ओर आकर्षित करता है। दूर दराज से बड़ी संख्या में भक्त इस अवसर पर दर्शन हेतु पहुंचते हैं।
ऊखीमठ के विभिन्न गांवों के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की आस्था जाख मेले से जुड़ी हुई है। यह मेला प्रतिवर्ष बैशाखी के दिन ही लगता है। चौदह गांवों के मध्य स्थापित जाखराजा मंदिर में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष वर्ष भी देवशाल व कोठेडा के ग्रामीणों के आपसी सहयोग से मेले की तैयारियां शुरू कर दी गई है।

मेला शुरू होने से दो दिन पूर्व से भक्तजन बड़ी संख्या में पौराणिक परंपरानुसार नंगे पांव, सिर में टोपी और कमर में कपड़ा बांधकर लकडियां, पूजा व खाद्य सामग्री एकत्रित करते हैं तथा भव्य अग्निकुंड तैयार किया जाता है। इस अग्निकुंड के लिए हर वर्ष अस्सी कुंतल से अधिक कोयला एकत्रित किया जाता है।

वैशाखी के पर्व पर मेले के दिन नारायणकोटी गांव से ढोल-दमाऊ के साथ भगवान जाखराजा के पश्वा कोठेडा व देवशाल होते हुए मंदिर परिसर पहुंचते हैं। इसके बाद पूजा-अर्चना एवं ढोल सागर पर देवता के  पश्वा को अवतरित किया जाता है। तब देवता के पश्वा नंगे पांव अग्निकुंड में प्रवेश करके दहकते अंगारों के बीच काफी देर तक नृत्य करते हैं।


और वहीं से अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इस मेले को देखने के लिए दूर-दराज के गांवों के लोग बड़ी संख्या में आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से जाख मेले में आकर जाखराजा के दर्शन करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

Devbhoomi,Uttarakhand:
ग्रामीण व जिला पंचायत सदस्य केशव तिवारी, लखपत सिंह, सुरेश बगवाड़ी, कहते है कि जाखमेले को उत्तराखंड मानचित्र पर एक विशेष पहचान मिले इसके लिए प्रदेश सरकार को इसके लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए, जिससे पर्यटन व तीर्थाटन को गति मिल सके। और स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश के लोग इस मेले को देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे।


Source Dainik jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

कांडा जाख देवता

टेहरी गढ़वाल के जौनपुर विकासखंड में यूँ तो जाख देवता का अनेक स्थानों पर पूजा होती है लेकिन प्रमुख देवालय कांडा ग्राम में है जिसे कांडा जाख देवता के नाम से माना जाता है!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

थौलू मेला

इस स्थान पर प्रतिवर्ष बैसाखी के दिन थौलू मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे जाख देवता को नचाया जाता है! पहले जाख देवता का यह सामूहिक रूप से होता था जिसमे जाख देवता के डोले के यहाँ के तीन ग्रामो कांडा, लगडासु और कोल्टी घुमाया जाता था कितु परस्परिक विवाद होने के के कारण अब ये मेले अलग-२ गावो में होता है!

लगडासु में १३ अप्रैल, कांडा में १४ अप्रैल और कोल्टी मद १५ अप्रैल को इस मेले का आयोजन होता है!

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