जोशीमठ के ऊपर 10,000 फीट ऊँचे ऑली में जो 200 करोड़ रुपए से अधिक का काम दक्षिण एशिया के शीत खेलों के लिये केन्द्र तथा उत्तराखंड सरकार ने किया था, उसका काफी कुछ भाग इस साल की पहली ही वर्षा में बह कर जोशीमठ शहर तथा उसके आसपास के गाँवों में आ गया।
ये खेल पिछले शीत काल में होने थे, किंतु तब तक तैयारियाँ न होने के कारण इन्हें दिसंबर 2009 तक के लिये आगे बढ़ा दिया गया। काम न पूरा होते देख अब इसे जनवरी 2010 तक फिर बढ़ा दिया गया है। मगर जनवरी 2010 तक भी इसकी सारी तैयारियाँ पूरी हो पायेंगी, संभव नहीं लगता।
ऑली में खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने विदेशों से आने वाले प्रतिभागियों के लिए जो बड़ा होटल बन रहा है, वह भी अभी पूरा नहीं हुआ है।
सबसे बड़ी समस्या आ रही है बर्फ पर तेजी से फिसलने स्की की प्रतियगिता के लिए बने 20 मीटर चौड़े तथा सवा किलोमीटर लम्बे रास्ते डबल स्की स्लोप की। यह ऑली के सबसे ऊपर जंगल से आरंभ होकर नीचे जाने वाली मोटर सड़क तक आता है। जिस ढलान पर वह बना है, उस पर हरी घास उगी रहती थी।
उसे मशीनों से उखाड़ कर यह प्रतियोगिता मार्ग बनाया गया है। यह घासवाली भूमि, जिसे हम पहाड़ के लोग बुग्याल कहते हैं, अत्यंत संवेदनशील है। इसकी घास को कहीं भी जरा सा भी छीलें-उखाड़ें तो उसके नीचे की मिट्टी झर कर बहने लगती है। मिट्टी का यह घाव तब तक फैल कर बढ़ता रहता है, जब तक उसमें फिर से घास नहीं उग जाती।