इसी जोशीमठ में आज भी आदि जगतगुरू शंकराचार्य जी की तपस्थली स्थित है जो एक अति प्राचीन कल्प वृक्ष के साथ लगा हुआ है इसी वृक्ष के नीचे आदिगुरू ने कठोर तप किया था।
इस कल्प वृक्ष के बारे में जानकार लोग बताते है कि यह एक शहतूत का वृक्ष है आदिगुरू के तप के प्रभाव के कारण इसे भी दीर्घ जीवन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा हैं। इस वृक्ष के नीचे भगवान ज्योतिश्वर महादेव विराजमान है जिनके मंदिर के एक भाग में आदि जगतगुरू शंकराचार्य जी द्वारा जलाई गयी लोककल्याण के लिए एक अखंड ज्योति आज भी यहंा
आने वाले श्रद्धालूओं के जीवन के तम को मिटाने का काम कर रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस ज्योति के दर्शन मात्र से मानव जीवन का तम समाप्त हो जाता है। इस पावन ज्योति के साथ स्थल का दर्शन करने से मानव को एक कल्प यज्ञ का फल प्राप्त होता है।