Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

Kailash Mansarovar - कैलाश मानसरोवर यात्रा:उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा

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पंकज सिंह महर:
साथियो,
       जैसा कि आप सभी अवगत हैं कि हमारा उत्तराखण्ड देवभूमि है और इस देव भूमि में सर्वत्र विराजमान हैं, देवाधिदेव-महादेव। महादेव का निवास स्थान है मानसरोवर झील के ऊपर कैलाश पर्वत मे, कैलाश पर्वत वर्तमान में चीन में है, लेकिन वास्तव में और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत उत्तराखण्ड का ही हिस्सा है।
      आज भी प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन किया जाता है और इस यात्रा का जिम्मा उठाता है कुमाऊं मण्ड्ल विकास निगम और यह यात्रा हमारे प्रदेश से होकर गुजरती है। तो आइये जाने इस पवित्र यात्रा के बारे में.........!

मानसरोवर वह स्थान है जिसे शिव का धाम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत में शिव-शंभु का धाम है। यही वह पावन जगह है, जहाँ शिव-शंभु विराजते हैं।
     इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है।
      कैलाश पर्वत, 22,028 फीट ऊँचा एक पत्थर का पिरामिड, जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने, शिव-शंभु की आराधना करने, हजारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहाँ एकत्रित होते हैं, जिससे इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफी बढ़ जाती है।

     मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।  
 
       पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहाँ प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।

यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के सभी तीर्थ स्थानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। वहीं जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ने भी यहीं निर्वाण लिया। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी यहाँ ध्यान किया था।
     मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। प्राचीनकाल से विभिन्न धर्मों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान से जुड़े विभिन्न मत और लोककथाएँ केवल एक ही सत्य को प्रदर्शित करती हैं, जो है सभी धर्मों की एकता।

पंकज सिंह महर:
ऐसा माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं।

पंकज सिंह महर:
कैलाश पर्वत

पंकज सिंह महर:
इस स्थान तक पहुँचने के लिए कुछ विशेष तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे इसकी ऊँचाई 3500 मीटर से भी अधिक है। यहाँ पर ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाती है, जिससे सिरदर्द, साँस लेने में तकलीफ आदि परेशानियाँ प्रारंभ हो सकती हैं। इन परेशानियों की वजह शरीर को नए वातावरण का प्रभावित करना है।


भारत से मानस कैलाश कैसे पहुँचें?
१. भारत से सड़क मार्ग। भारत सरकार सड़क मार्ग द्वारा मानसरोवर यात्रा प्रबंधित करती है। यहाँ तक पहुँचने में करीब 28 से 30 दिनों तक का समय लगता है। यहाँ के लिए सीट की बुकिंग एडवांस भी हो सकती है और निर्धारित लोगों को ही ले जाया जाता है, जिसका चयन विदेश मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
२. वायु मार्ग। वायु मार्ग द्वारा काठमांडू तक पहुँचकर वहाँ से सड़क मार्ग द्वारा मानसरोवर झील तक जाया जा सकता है।

३. कैलाश तक जाने के लिए हेलिकॉप्टर की सुविधा भी ली जा सकती है। काठमांडू से नेपालगंज और नेपालगंज से सिमिकोट तक पहुँचकर, वहाँ से हिलसा तक हेलिकॉप्टर द्वारा पहुँचा जा सकता है। मानसरोवर तक पहुँचने के लिए लैंडक्रूजर का भी प्रयोग कर सकते हैं।

४. काठमांडू से लहासा के लिए ‘चाइना एयर’ वायुसेवा उपलब्ध है, जहाँ से तिब्बत के विभिन्न कस्बों - शिंगाटे, ग्यांतसे, लहात्से, प्रयाग पहुँचकर मानसरोवर जा सकते हैं।

पंकज सिंह महर:
इस यात्रा का आयोजन प्रतिवर्ष कुमाऊं मण्डल विकास निगम द्वारा किया जाता है।

"All that is beautiful is sacred"


865 Kms from Delhi, stand Mount Kailas and Lake Mansarovar constituting one of the grandest of the Himalayan beauty spots. The perpetual snowclad peak of holy Kailas of hoary antiquity and celebrity, the spotless design of nature's art, of most bewitching and overpowering beauty, has a vibration of the supreme order from the spiritual point of view. It seems to stand as an immediate revelation of the Almighty in concrete form, which makes man bend his knees and lower his head in reverence. Its gorgeous silvery summit, resplendent with the luster of spiritual aura,pierces into a heavenly height of 6690 meters (22028 feet) above the level of the sea.

The PARIKRAMA or circumambulation of the Kailas Parvat is about 54 kms. Mount Kailas is revered in Sanskrit literature as the abode of the all-blissful Lord Shiva and his divine spouse Parvati, the all-enchanting Nature (Prakriti) which from 32 kms. off is overlooking the Holy Mansarovar and the Rakshas TaI, in the south. The holy Mansarovar or manasa-sarovara is the holiest, the most fascinating, the most inspiring, the most famous of all the lakes in the world and the most ancient that civilization knows. It is a famous lake in the Hindu mythology. The lake is majestically calm and dignified like a huge bluish green emerald or a pure turquoise set between the two mighty and equally majestic silver mountains, the Kailas on the north and the Gurla Mandhata on the south and between the sister lake Rakshas Tal or Ravan Harda on the west and some hills on the east.

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