कण्डार देव मंदिर के पुजारी परम्परागत संग्राली और बग्वाल गाव के ब्रह्मण होते है ! संग्राली में नैथानी,भट्ट जाती दे लोग और ब्ग्याल गाव में डंगवाल जाती के लोग परम्परागत इस मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य करते है !
संग्राली, पाटा व ब्य्गाल गाव में किसी व्यक्ति की म्रत्यु होने पर एक दिने का शोक कण्डार देवता द्वारा मनाया जाता है! उस दिन मंदिर में पूजा अर्चना नहीं होती है!