Author Topic: Kilkileshwar Mahadev Srinagar Garhwal- किलकिलेश्वर महादेव मंदिर श्रीनगर गढ़वाल  (Read 6064 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

Kilkileshwar Mahadev Temple is situated near the Alaknanda River Bank in Sri Nagar Garhwal. This temple is merely 0.5 km from the Main Sri Nagar City. From sea level, this temple is situated at a height of 1650 ft.

Road connectivity is available to reach this temple from all the way.

From Rishikesh it 108 km,

From Kriti Nagar 05 km

From Pauri Garhwal it is 36 km.

We will give more details about Kilkeshwar Mahadev temple in this topic.


M S Mehta



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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किलकेश्वर महादेव मंदिर

ऐतिहासिक नगरी श्रीनगर गढ़वाल से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर पतित पावनी अलकनंदा के दक्षिण पर एक पाषण शिला पर अवस्थित श्री किलकेश्वर महादेव का विख्यात मंदिर है ! समुद्र तल से इस मंदिर की ऊँचाई १६५० फीट है! यह स्थान गढ़वाल क्षेत्र में सहित किलकिलेश्वर, क्यूँकालेश्वर, बिन्देश्वर (बिनसर) एकेश्वर उठा ताड़ेश्वर इन पाच शैव पीठो में एक है! (Ref- Kedarkhand Book written by Hema Uniyal)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Kilkileshwar Mahadev Temple


Established by the famous Guru Shankaraycharya, the Kilkileshwar Mahadev temple is dedicated to lord Shiva.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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किलकिलेश्वर महादेव  - Mythological Story Related to Kilkeshwar Mahadev Temple 


अलकनंदा  के विपरित किनारे पर श्रीनगर से छ: किलोमीटर दूर।

मंदिर के महंथ सुखदेव पुरी के अनुसार, मन्दिर से संबंधित एक अन्य बात यह है कि अपने वनवास के पांचवें वर्ष अर्जुन ने इसी  स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी। वह भगवान शिव का निजी अस्त्र पाशुपात  प्राप्त करना चाहता था, जो इतना शक्तिशाली था कि किसी भी अन्य अस्त्र को  निष्प्रभावी कर सकता था। अर्जुन ने लंबे समय तक तप किया। उसके तप से प्रसन्न  होकर भगवान शिव ने उसके सामने एक धृष्ट शिकारी के रूप में प्रकट होकर उसे     ललकारा। दोनो में घमासान द्वंद हुआ। अर्जुन परास्त होकर शिकारी को पहचान लिया  और भगवान शिव के पैरों पर गिर गया। इसके बाद भगवान शिव ने उसे पाशुपात का ज्ञान दिया। जंगल में इर्द-गिर्द छिपे किरातों के बीच किलकिलाहट हुई और किलकिल शब्द पर ही मंदिर का नाम पड़ा। (Sabhar-http://shivbhakt.blogspot.com)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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केदारखंड के अनुसार, पांडव पुत्र अर्जुन ने यहाँ तप करके महेश्वर देव से पाशुपत्र अस्त्र प्राप्त किया :-

यत्राजुर्नः पाडू पुत्रस्त्पस्त्प्तेपे मुनिश्वर!
शत्रं पाशुपंत नाम प्राप्त देवंमाहेशवारत !!

(केदारखंड - १९६/१३)



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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किलकिलेश्वर मंदिर में प्रवेश के लिए तीन द्वार है!

१) उत्तर मुख
२)  दक्षिण मुख
३)  पश्चिम मुख

मुख्य प्रवेश पश्चिमाभिमुख है१ इस द्वारा से सीधे गर्भ ग्रह में प्रवेश होता है ! नागर शैली के इस मंदिर में सभामंड़प नहीं है ! गृहगर्भ में प्रतिष्ठित मुख्य शिव लिंग को काष्ठ प्रकोष्ठ के भीतर स्थान दिया गया है! गृह गर्व में सिद्दी विनायक गणेश और गोरखनाथ की प्रतिमाये है !

उत्तरी द्वार के निकट पाषण निर्मित नदी के तीन मूर्तिया था गर्भ गृह में अब तक के महंतों की चरण पादुकाये है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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निकट के अन्य स्थानीय मंदिर अलकनंदा नदी के पार जनपद पौड़ी के अंतर्गत शामिल:

१)  कालिया सौड़ में धारी देवी
२) श्रीकोट गंगानाली में चंद्रशेखर महादेव
३) डैम कालोनी के निकट धसिया महादेव
४) खोला गाव में अष्टावक्र
५)  सुमाडी गाव में लक्ष्मी नारायण एव गौरा देवी
६)  श्रीनगर में कमलेश्वर मंदिर
७)  कीतिनगर के सामने  - विल्वलेश्वर
८)  विल्वकेदार के आगे - मंजुघोष (जहाँ कांडा मेला लगता है )

 

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