कुंजापुरी माता के प्रमुख शक्ति एवं सिद्ध पीठों में से एक हैं जहां मां के अंग का एक भाग गिरा था. ओर तभी से एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाने लगा. कुंजापुरी मंदिर उत्तराखंड में स्थित 51 सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है. मंदिर का सरल श्वेत प्रवेश द्वार सभी को आकर्षित करता है जो सेना द्वारा मां को अर्पण किया गया है.
यह मंदिर गढ़वाल के सुंदर रमणीक स्थलों में से भी एक है इसके चारों ओर प्रकृति की सुंदर छ्टा के दर्शन होते हैं. पहाड़ों पर स्थित यह मंदिर भक्तों की आस्था का अटूट केन्द्र है जिसकी डोर माता के दर्शनों से बंधी हुई होती है तथा भक्त यहां खींचा चला आता है
कुंजापुरी मंदिर बहुत ही सुंदर रूप से निर्मित किया गया है कुंजापुरी मंदिर का निर्माण सन 1979 के समय किया गया था. मंदिर का प्रवेश द्वार ही इतना आकर्षक है की मंदिर की आभा में चार चांद लगा देता है. मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियां का इस्तेमाल किया जाता है जो मंदिर की उँचाई से वाक़िफ़ कराती प्रतीत होती हैं.
मंदिर परिसर में शिव ,भैरों, महाकाली, तथा नरसिंह की मूर्तियां विराजित हैं. कुंजापुरी मंदिर श्वेत रुप में निर्मित है परंतु फिर भी मंदिर के कुछ भागों में अन्य मनमोहक रंगों का भी उपयोग किया गया है. मंदिर की शिल्प कला बहुत ही उत्कृष्ट है. प्रवेश द्वार के सामने शेर की मूर्ति को देखा जा सकता है.
जो देखने में ऎसा प्रतीत होता है जैसे की यह शेर मां के मंदिर की रखवाली में लगा हो. मंदिर के गर्भ गृह में गड्ढा बना हुआ है मान्यता है कि इसी स्थान पर माता का कुंजा गिरा था इस स्थान को बहुत ही पूजनिय माना जाता है यहीँ माँ की पूजा की जाती है.