Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

Latu Devta Temple,opens for only one day- लाटू देवता का मंदिर, गोपेश्वर गढ़वाल

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Dosto,

Latu Devta (distance brother of Nanda Devi) is situated in Gopeshwar Uttarakhand. It is said that this temple is opened only one day during the year and priest perform worship after binding his eyes with a cloth.

Here is the detailed information on Latu Devta.

सनातन धर्म में चौतीस करोड़ देवी-देवताओं को अलग- अलग रूप में पूजा जाता है, लेकिन चमोली जिले के देवाल ब्लाक में एक ऐसे भी देवता हैं, जिनके दर्शन भक्त तो रहे दूर खुद पुजारी नहीं कर सकता। इस देवता के मंदिर के कपाट एक ही दिन के लिए खुलते हैं और पुजारी भी आंख पर पट्टी बांधकर कपाट खोलते हैं। श्रद्धालु भी दिनभर दूर से ही दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
देवाल विकासखंड के वाण गांव में स्थिति लाटू देवता का मंदिर है।  इस मंदिर के कपाट एक दिन के लिए खुलते है और उसी दिन सांय को बंद कर दिए । इस दिन लाटू देवता मंदिर में श्रद्धालु भारी संख्या में आकर पूजा अर्चना कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालु तो दूर स्वयं पुजारी भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाता है। पुजारी आंखों व मुंह पर पट्टियां बांधकर लाटू देवता की पूजा अर्चना करता है। मंदिर से कोई अंदर न देखे इसके लिए मंदिर के मुख्य कपाट पर पर्दा लगाया जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर साक्षात रूप में नागराजा मणि के साथ निवास करते हैं। श्रद्धालु साक्षात नाग को देखकर डरे न इसलिए मुंह और आंख पर पट्टी बांधी जाती है। यह भी कहा जाता है कि पुजारी के मुंह की गंध देवता तक न पहुंचे इसलिए उसके मुंह पर पूजा अर्चना के दौरान भी पट्टी बंधी रहती है। जिस दिन लाटू देवता के कपाट खुलते हैं उस दिन यहां पर विष्णु सहस्रनाम व भगवती चंडिका का पाठ भी आयोजित किया जाता है। लाटू देवता को उत्तराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी का धर्म भाई माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार लाटू कन्नौज के गर्ग गोत्र का कान्याकुंज ब्राह्मण था। वह भगवती नंदा का पता करने के लिए कैलाश पर्वत पर जा रहा था। उसी दौरान वाण गांव के दोदा नामक तोक में लाटू एक घर में एक बूढ़ी स्त्री से पीने का पानी मांगता है। बताते हैं कि लाटू व बूढ़ी स्त्री दोनों एक दूसरे के भाषाओं को समझ नहीं पाए। इशारे कर बुढि़या ने उसे घर के अंदर पानी पीने के लिए भेजा। घर के अंदर कांच के घड़े में जान (स्थानीय स्तर पर बनने वाली कच्ची शराब) और मिट्टी के दूसरे घड़े में पानी था, लेकिन जान इतना स्वच्छ रहता है कि लाटू उसे साफ पानी समझकर पी लेता है। जब लाटू को पता चलता है कि उसने पानी की जगह शराब पी ली है और उसका कर्म भ्रष्ट हो गया है तो उसे अपने पर घृणा आती है। अपराध बोध होने पर वह दरवाजे पर अपनी जीभ बाहर निकालता है।
'लाटू देवता स्थानीय लोगों का आराध्य देवता माना जाता है। वाण में स्थित लाटू देवता के मंदिर के कपाट सालभर में एक ही बार खुलते हैं। इस दिन यहां विशाल मेला लगता है।'डीडी कुनियाल, स्थानीय निवासी। (source dainik jagran)

 
M S Mehta

 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

चमोली जिले का सुदूर गाँव वाँण जो कि प्रशिद्ध बैदनी बुग्याल व रूपकुण्ड जाने के लिए अंतिम गाँव है। वहाँ पर लाटू देवता का छोटा सा प्राचीन मंदिर है जिसके प्रति स्थानीय लोगों में बहुत श्रद्धा व भक्ति है। 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

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वैदिक मंत्रोच्चार के बीच खुले लाटू देव के कपाट
Story Update : Sunday, May 06, 2012    12:01 AM देवाल। धार्मिक अनुष्ठान एवं वैदिक मंत्रोच्चार के बाद शनिवार को सिद्धपीठ लाटू देवता मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस मौके पर गढ़वाल एवं कुमाऊं क्षेत्र से आए हजारों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना करते हुए मनौतियां मांगी। देव नृत्य को देखने के लिए भी ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटी रही।
मां श्रीनंदा के धर्म भाई लाटू देवता के कपाट छह माह तक खुले रहते हैं। शनिवार सुबह से ही पूरा देवाल क्षेत्र देवी-देवताओं की जागर से गूंजायमान रहा। इस मौके पर लगभग एक दर्जन पंडितों ने परिसर में लाटू देवता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। परिसर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ अपने आराध्य की जयकार करने लगी। पूजा-अर्चना के उपरांत ब्राह्मणों ने जोत जलाते हुए लाटू के डांगरिया (पुजारी) के हाथों में दी एवं उसकी आंखों पर पट्टी बांधी। आंखों पर पट्टी बांधे डांगरिया मंदिर के अंदर गए और जोत वहां रखते बाहर आए। डांगरिया के मंदिर से बाहर आने पर वहां पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष पूजा अर्चना की।
 इस मौके पर लाटू देवता के मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में पश्वाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में देव नृत्य किया। जबकि ग्रामीण महिलाओं ने पौराणिक जागरों के साथ झोड़ा एवं नंदा की मनमोहक प्रस्तुति दी। देर शाम तक चले धार्मिक अनुष्ठान के उपरांत श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। 


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:



photo of latu devta temple

photo courtesy - sulekha.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

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