Author Topic: Maanila Devi Mandir Uttarakhand-मानिला उत्तराखंड का एक रमणीक स्थल  (Read 47714 times)

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swargiy hari dutt ji ki moorti manila





Photos by Vivek patwal ji

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Vivek patwal ji ka Ganv manila








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कुमाऊँ /कूर्मांचल/ क्षेत्र में अल्मोड़ा जनपद को मंदिरों का जनपद कहा जा सकता है। मध्यकाल में यह क्षेत्र कत्यूरी राजा द्वारा शासित था,   जिन्होंने इसका बड़ा भूभाग   श्रीचांद नामक गुजराती ब्राह्मण को बेच दिया था। चांद वंश के राजाओं ने यहाँ अनेक मंदिरों का निर्माण कराया था। इस क्षेत्र की सुंदरता से अभिभूत होकर गाँधी जी ने कहा था, ‘इन दीज हिल्स,   नेचर्स ब्यूटी इक्लिप्सेज औल मैन कैन डू‘।

इसी के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में चीड़ के वृक्षों से आच्छादित ऊँची पहाड़ी के ढलान पर बसे मानिला गाँव में दो मानिला मंदिर हैं- मानिला मल्ला और मानिला तल्ला। मानिला शब्द माँ अनिला का संक्षिप्त स्वरूप है। कुछ वर्ष पूर्व तक जब उत्तराखंड प्रांत उत्तर प्रदेश का एक भाग था,   

यह ग्राम सदियों पुरानी अपनी प्राकृतिक कमनीयता को यथावत बनाये रखे रहा था परंतु उत्तराखंड के सृजनोपरांत ग्रामों के नगरीकरण की ऐसी होड़ लग गई है कि मानिला गाँव कुछ कुछ एक मैदानी नगर जैसा लगने लगा है- अहर्निश बढ़ती आबादी,   दिन प्रतिदिन कटते वृक्ष,   ग्राम में पानी की ऊँची टंकियाँ,   सड़कों के किनारे खड़े होते बिजली के खम्भे,   हाथों में मोबाइल और घरों में टी० वी०,   तथा रामनगर से आने वाली मुख्य सड़क पर लगी चार पहियों के वाहनों की कतार सभी कुछ इस तपोमय भूमि के उच्छृंखल स्वरूप धारण कर लेने की कहानी कह रहे है।

मुख्य सड़क के किनारे स्थित होने के कारण मानिला तल्ला मंदिर अपनी नैसर्गिक आभा त्यागकर एक मैदानी मंदिर के व्यापारिक स्वरूप को ओढ़ चुका है,   परंतु पर्वत शिखर पर स्थित मानिला मल्ला मंदिर अपनी विशिष्ट स्थिति के कारण आज भी अपनी प्राकृतिक कमनीयता पूर्ववत सँजोये हुए है। यद्यपि ग्राम मानिला से इस मंदिर को जाने वाली पहाड़ी पर एक डामर की सड़क बन गई है, 

 तथापि सड़क के दोनों ओर लगे हुए वृक्षों और झाड़ियों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है और वहाँ न तो कोई्र निर्माण कार्य हुआ है और न कोई दूकान खुली है। मानिला मल्ला मंदिर आज भी पूर्ववत चीड़ और साल के ऊँचे ऊँचे वृक्षों से ढका हुआ है।

 

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