किशन नेगी, जैंती । अज्ञातवास के दौरान पांडवों की शरण स्थली रहा प्रसिद्ध पौराणिक धाम ऐड़द्यो धाम ग्रामीणों की बार-बार मांग के बावजूद आज तक रोड, पानी, बिजली से महरूम है।
लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र में वैसे तो वर्ष भर पूजा-अर्चना चलती रहती है। वहीं सावन के महीने इससे जुड़े 42 गांवों द्वारा यहां 22 दिन की बैसी का आयोजन कर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन जिला अल्मोड़ा के इस पौराणिक मंदिर में आज तक मोटर मार्ग ने बनने से ग्रामीणों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
स्कंदपुराण के मानस खण्ड के अनुसार वनवास के दौरान देवीधूरा, भीमा देवी एवं ऐड़द्यो में पांडवों ने पड़ाव डाला। जिसके स्मृति चिह्न आज भी मौजूद है। मसलन ऐड़द्यो में विद्यमान त्रिशूल (बरसीगाजा) जिससे पांडवों ने दासक राक्षस समेत तमाम आतताइयों का वध किया था। साथ ही देवीधूरा में भीम द्वारा गदा से तोड़ी भीम शिला एवं भीमा देवी में विशाल प्रस्तर शिला पर पदचिह्न, बरसीगाजा के पुजारी रघुनंदन भट्ट के अनुसार जो भी सच्ची श्रद्धा से इसकी पूजा करता है। उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
इसी तरह यहां स्थित कालालिंग जिस पर ग्रामीण घर का नया अनाज, फल-फूल व दूध, दही का चढ़ावा कर मनौतियां मांगते है। साथ ही पौराणिक तपस्थली सिद्ध माटी जहां स्थित सिद्धेश्वर महादेवी एवं राज राजेश्वरी का भव्य मंदिर है। इसके अलावा वर्षो पूर्व श्रमदान से बने दर्जनों धर्मशालाएं इस बात का प्रतीक है यहां श्रद्धालुओं की असीम आस्था है। बावजूद इसके यहां पेयजल योजना मंजूरी के बावजूद वर्षो से अधर में है। साथ ही रोड, बिजली व यात्रियों के लिए अन्य सुविधाएं न होने के कारण धार्मिक महत्व का यह स्थल आज तक उपेक्षित है।